फीस भरने तक के नहीं थे पैसे...गरीबी को हरा मजदूर की बेटी ने यूनिवर्सिटी में किया टॉप, झूम उठा पूरा परिवार

पायल कुमारी ने यूनिवर्सिटी के बीए आर्कियोलॉजी कोर्स में टॉप किया है। पायल के पिता करीब दो दशक पहले बिहार से केरल आकर बस गए थे। मजदूर परिवार के लिए कॉलेज की 3 हजार रुपये की वार्षिक फीस भरने की भी चुनौती थी।

करियर डेस्क. Payal Kumari Success Story: इरादे मजबूत हों तो आपको मंजिल हासिल करने से कोई नहीं रोक सकता। गरीबी और अभाव वाली जिंदगी में भी कुछ लोग बड़ी सफलता हासिल करते हैं। ऐसे योद्धाओं की कहानी हर किसी के लिए प्रेरणा बन जाती हैं।  

कुछ ऐसा ही जज्बा है पायल कुमारी का भी रहा। केरल में रह रहे बिहार (Bihar) से आए मजदूर पिता की बेटी पायल कुमारी (Payal Kumari) ने केरल (Kerala) स्थित महात्मा गांधी यूनिवर्सिटी में टॉप किया है। वो भी तब जबकि एक वक्त उनके पास कॉलेज की फीस भरने तक के पैसे नहीं थे। इतना ही नहीं, अब उनकी निगाहें सिविल सेवाओं में किस्मत आजमाने पर हैं।

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कॉलेज की 3 हजार रुपये की वार्षिक फीस देना भी था मुश्किल

दरअसल, पायल कुमारी ने यूनिवर्सिटी के बीए आर्कियोलॉजी कोर्स में टॉप किया है। पायल के पिता करीब दो दशक पहले बिहार से केरल आकर बस गए थे। मजदूर परिवार के लिए कॉलेज की 3 हजार रुपये की वार्षिक फीस भरने की भी चुनौती थी, लेकिन टीचर्स समेत अन्य लोगों की मदद से ये बाधा भी दूर होती गई। कोच्चि के करीब पेरुंबावूर स्थित मारथोमा महिला कॉलेज की छात्रा पायल ने इस साल 85 प्रतिशत अंक हासिल किए।

 

 

हिस्ट्री टीचर ने दी फीस

पायल कुमारी के पिता प्रमोद कुमार बिहार के शेखूपुरा जिले से ताल्लुक रखते हैं. प्रमोद 19 साल पहले परिवार के साथ केरल आकर बस गए थे। पायल समेत प्रमोद के तीन बच्चे हैं. पायल ने अपनी हिस्ट्री टीचर की तारीफ करते हुए कहा कि उनके प्रथम वर्ष की फीस उन्होंने ही जमा की थी। पायल ने कहा, मैं जानती थी कि मैंने अच्छा एग्जाम दिया है, लेकिन रैंक आने की उम्मीद मुझे नहीं थी। मेरे पेरेंट्स ने मुझे हमेशा प्रोत्साहित किया।

पायल कुमारी पोस्ट ग्रेजुएशन की अपनी पढ़ाई दिल्ली स्थित जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी से करना चाहती हैं। इसके अलावा पायल की योजना सिविल सर्विस परीक्षा की तैयारी करने की है। 

 

Daughter Of Migrant Worker From Bihar Tops University Exam In Kerala

 

उन्होंने कहा, जब हम बिहार से केरल आए तब मैं चार साल की थी। मगर मैंने जल्द ही मलयालम भाषा सीख ली। अब मेरे माता-पिता मेरी उपलब्धि से बेहद खुश हैं। अब जबकि पायल कुमारी ने ये उपलब्धि हासिल कर ली है तो राज्य के मुख्यमंत्री पिनारी विजयन ने भी उन्हें फोन कर बधाई दी है। सीएम ने कहा, पायल की उपलब्धि गर्व और खुशी की बात है। मैं उनके सुखद भविष्य की कामना करता हूं। 

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