Asianetnews Hindi संघ लोक सेवा आयोग (UPSC 2020) में सिलेक्ट हुए 100 कैंडिडेट्स की सक्सेज जर्नी (Success Journey) पर एक सीरीज चला रहा है। इसी कड़ी में हमने डॉ शुभम मौर्या से बातचीत की। आइए जानते हैं इंटरव्यू में उनसे किस तरह के सवाल पूछे गए थे।
करियर डेस्क. UPSC की तैयारी करने वाले कैंडिडेट्स से लिए सबसे बड़ी चुनौती होती है इंटरव्यू राउंड को पास करना। कई बार प्री और मेंस निकलने के बाद इंटरव्यू में कैंडिडेट्स सफल नहीं हो पाते हैं जिस कारण से उनके अधिकारी बनने का सपना टूट जाता है। 2020 में UPSC में 241वीं रैंक पाने वाले डॉ शुभम मौर्या (dr shubham maurya) ने बताया कि इंटरव्यू राउंड काफी टफ होता है। उनसे हेल्थ फील्ड से जुड़ी कई बातों के बारे में पूछा गया था इसके साथ-साथ ही उनसे अफगानिस्तान के मुद्दे पर भी सवाल किए गए थे। संघ लोक सेवा आयोग (UPSC 2020) के नतीजे 24 सितंबर, 2021 को जारी किए गए। फाइनल रिजल्ट (Final Result) में कुल 761 कैंडिडेट्स को चुना गया। Asianetnews Hindi संघ लोक सेवा आयोग (UPSC 2020) में सिलेक्ट हुए 100 कैंडिडेट्स की सक्सेज जर्नी (Success Journey) पर एक सीरीज चला रहा है। इसी कड़ी में हमने डॉ शुभम मौर्या से बातचीत की। आइए जानते हैं इंटरव्यू में उनसे किस तरह के सवाल पूछे गए थे।
सवाल- डॉ राजेंद्र भरुद का मॉडल क्या है?
जवाब- नंदूरवार के जिलाधिकारी डॉ राजेंद्र भरुद कारोना महामारी के खतरे के प्रति सजग थे। पहली वेब जब खत्म हो रही थी, उस दौरान उन्होंने पहली से ही तैयारी कर ली थी। हॉस्पिटल में वार्ड वगैरह पहले से ही बना ली थी। बेड्स, ऑक्सीजन, जेनरेटर वगैरह का अरेजमेंट पहले से कर रखा था। उन्होंने इतनी तैयारी कर रखी थी कि जब सेकेंड वेब आयी तो उन्होंने बहुत असानी से चीजों को हैंडल कर लिया। जिस तरह देश के अन्य जगहों पर एक्सपलोजन हुआ। वह चीज नंदूरवार में नहीं हुई। उन्होंने सिर्फ न सिर्फ अपने एरिया में चीजों को कंट्रोल किया, बल्कि आस पास के जिलों को भी काफी मदद मिली। पेशेंट आएं तो उनका इलाज किया गया। अब यह हर जगह किया जा रहा है। बहुत अच्छा मॉडल था।
सवाल- और क्या अतिरिक्त किया जा सकता था?
जवाब- कहीं ना कहीं सेकेंड वेब के दौरान पापुलेशन में सुस्ती आ गयी थी। कहीं न कहीं एक मोटिवेशनल पुश की जरूरत थी। सिर्फ आप लगातार बताते बल्कि कुछ और इनोवेटिव कुछ और पर्सनल लेवल पर किया जा सकता था। वैक्सीन को लेकर शुरू में समस्या थी कि इसको राज्य खरीदेगा या केंद्र। इन सबको और कारगर तरीके से मैनेज किया जा सकता था। अगर यह सब चीजें हो जाती तो हम उस समय चीजों को हैंडल करने में और बेहतर स्थिति में होते।
सवाल- हेल्थ सेक्रेटरी के रूप में क्या कर सकते हैं?
जबाव- डैश बोर्ड क्रियेट कर सकते हैं जो रियल टाइम आपको डेटा प्रोवाइड करे। आप एक टीम बना सकते हैं जो अलग-अलग विभागों को हैंडल करे। लगातार मीटिंग हो, जिला लेवल पर सीधे सीएमओ और डीएम को कोआर्डिनेट कर सकते हैं। यह भी करना है कि मेडिसिन और फूड की सप्लाई रेलवे या रोडवेज के माध्यम से सुनिश्चित हो। यह सब चीजें सुचारू रूप से चलती रहें। यह सब काम आप ऊपर से कर सकते हैं।
सवाल- मुंबई के कोविड मैनेजमेंट के बारे में बताइए?
जवाब- इंटेसिव डोर टू डोर सर्वे और पेशेंट ट्रैकिंग हुई थी और अधिकतर चीजों को शुरुआत में कंसाइंड कर दिया गया था। इससे पेशेंट दूर दूर तक नहीं गए थे। एक्सपलोजन नहीं हुआ।
सवाल- अफगानिस्तान में रीजनत पीस को सुनिश्चित करने को लेकर इंडिया का क्या स्टैंड होना चाहिए?
जवाब- हम वेट एंड वॉच करने वाली स्थिति में थे, ऐसे ही उत्तर दिए थे।
सवाल- अपने ही तहसील में एसडीएम, सीडीओ या डीएम बन जाते हैं तो आप अपने क्षेत्र के सोशियो-इकोनॉमिक स्टेटस को इम्प्रूव कैसे करेंगे?
जवाब- मेरे क्षेत्र में दो इकोनॉमिक एक्टिविटी होती है। पहला कालीन इंडस्ट्री और दूसरा कृषि। अगर कालीन इंडस्ट्री पर फोकस किया जाए तो कारपेट इंडस्ट्री में क्या-क्या शार्टकमिंग आती हैं। यहां कारपेट के स्किल्ड लेबर हैं। इसके अलावा यहां मार्केट या रॉ मैटेरियल सोर्स नहीं हैं। वहां स्किल्ड लेबर की उपलब्धता बनी रहे। उनको सारी फेसिलिटी मिलती रहे। उनके बच्चे स्कूल जाएं। उनको वेजेज मिलती रहे। उनकी सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित कराई जाए। इसके अलावा मार्केटिंग के क्षेत्र में भी काम करने की जरूरत है। बड़े कार्पोरेटर का ग्रुप बना हुआ है। डिजिटल मीडिया के माध्यम से उन्हें राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर किस तरह बिजनेस उपलब्ध कराया जा सकता है। वन डिस्ट्रिक्ट, वन प्रोडक्ट जैसे इनोवेटिव तरीकों से कॉर्पोरेट को आगे बढ़ा सकते हैं। कृषि में सिंचाई, इंश्योरेंस और लोन वगैरह किसानों को उपलब्ध कराया जाए। खाद उपलब्ध कराया जाए। इस तरह विकास के लिए काम किया जा सकता है।
सवाल- रूरल इलाकों में हेल्थ सेक्टर में क्वालिफाई डाक्टर क्यों नहीं जाना चाहते हैं?
जवाब- प्रोफेशनल आइसोलेशन हो जाता है, ग्रोथ खत्म हो जाता है। ग्रामीण स्तर पर आपको उतनी सुविधाएं नहीं उपलब्ध करायी जाती हैं। इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी हो जाती है। आपको असिस्ट करने वाले स्किल्ड मैन पावर की कमी है। आपका परिवार वहां पर रहता है तो उसे भी कम से कम सुविधाएं चाहिए होती हैं, उसका अभाव है। सुरक्षा बड़ा मुद्दा है। इन्हीं सब वजहों से डॉक्टर रूरल एरिया में नहीं जाना चाहते हैं।
भदोही में हुई शुरुआती शिक्षा
उत्तर प्रदेश, भदोही के ज्ञानपुर नगर निवासी डॉ. शुभम की प्रारम्भिक शिक्षा भदोही जिले से ही हुई है। उन्होंने कक्षा एक से 12वीं तक की पढ़ाई सेंट थॉमस स्कूल गोपीगंज से पूरी की। वर्ष 2007 में 10वीं और वर्ष 2009 में 12वीं पास किया। फिर मेडिकल प्रवेश परीक्षाओं की तैयारी के लिए कोटा, राजस्थान में रहे। वर्ष 2010 में उनका केजीएमयू लखनऊ में मेडिकल की पढ़ाई के लिए एडमिशन लिया और 2015 में उन्होंने एमबीबीएस पूरा किया।
चौथे अटेम्पट में मिली थी 576वीं रैंक
वर्ष 2019 के चौथे अटेम्पट में उन्हें 576वीं रैंक मिली थी। उन्हें इंडियन रेलवे ट्रैफिक सर्विस (आईआरटीएस) काडर मिला था। वर्तमान में आईआरटीएम, लखनऊ में ट्रेनिंग कर रहे हैं। वर्ष 2016 में उन्होंने पहला अटेम्पट दिया था लेकिन उनका प्रीलिम्स नहीं निकला था। वर्ष 2017 और 2018 की परीक्षा में वह लगातार दो बार इंटरव्यू तक गए लेकिन मेरिट लिस्ट में उनका नाम शामिल नहीं हो सका। 2019 और 2020 के इंटरव्यू में उन्हें सफलता हासिल हुयी। उन्होंने यूपीएससी की तैयारी वर्ष 2015 से ही शुरू कर दी थी।
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