प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (PM Modi) ने 'कन्या शिक्षा प्रवेश उत्सव अभियान' (kanya shiksha pravesh utsav ) को "एक अनुकरणीय प्रयास" कहा है। 8 मार्च 2022 को पूरे विश्व में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जा रहा है।
करियर डेस्क. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (PM Modi) ने 'कन्या शिक्षा प्रवेश उत्सव अभियान' (kanya shiksha pravesh utsav ) को "एक अनुकरणीय प्रयास" कहा है, जो अधिक से अधिक लड़कियों के लिए शिक्षा प्राप्ति आनंद सुनिश्चित करेगा। उन्होंने इस आंदोलन को सफल बनाने के लिए प्रयास करने के लिए भी कहा। यह अभियान यह सुनिश्चित करने के लिए एक मिशन है कि प्रत्येक लड़की को शिक्षा और कौशल प्राप्त हो सके। केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी के एक ट्वीट का जवाब देते हुए, प्रधानमंत्री ने एक ट्वीट में कहा। “एक अनुकरणीय प्रयास जो सुनिश्चित करेगा कि अधिक लड़कियों को शिक्षा प्राप्ति का आनंद मिले! आइए हम सब एक राष्ट्र के रूप में एक साथ आएं और इस आंदोलन को सफल बनाएं।"
8 मार्च 2022 को पूरे विश्व में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जा रहा है। महिलाओं की हर क्षेत्र में भागीदारी को बढ़ावा देने और उनके योगदान को सम्मानित करने के उद्देश्य से संयुक्त राष्ट्र द्वारा हर वर्ष मनाए जाने इंटरनेशनल वीमेन्स डे के इस साल के अवसर पर भारत सरकार के केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय और यूनीसेफ के साथ मिलकर केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने स्कूली शिक्षा में छात्राओं की वापसी के लिए एक विशेष अभियान की शुरूआत की है। किसी कारणवश स्कूली पढ़ाई छोड़ चुकी देश भर की 11 से 14 वर्ष की बालिकाओं की औपचारिक शिक्षा वापसी कराई जाएगी।
केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा साझा की गयी विज्ञप्ति के अनुसार ‘कन्या शिक्षा प्रवेश उत्सव’ के माध्यम से देश में चार लाख से अधिक छात्राओं को मंत्रालय के बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ (बीबीबीपी), किशोर बालिकाओं के लिए योजना (एसएजी) और राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के प्रावधानों को सम्मिलित करते हुए लाभान्वित किया जाएगा।
कार्यक्रम का लक्ष्य है महिला एवं बाल विकास मंत्रालय और शिक्षा मंत्रालय के बीच नजदीकी तालमेल स्थापित करना तथा अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के साथ भागीदारी करना। इस पर जोर देते हुए शिक्षा राज्यमंत्री अन्नपूर्णा देवी ने कहा, “पिछले वर्षों के दौरान शिक्षा मंत्रालय के लिये यह बहुत अहम रहा है कि लड़कियों के पंजीकरण को प्राथमिकता दी जाये, लेकिन पिछले दो वर्षों की महामारी अवधि के कारण, यह अनिवार्य हो गया है कि हम मिलकर प्रयास करें तथा लड़कियों के पंजीकरण और उन्हें स्कूलों में कायम रखने पर व्यवस्थित रूप से काम करें। इसके लिये जरूरी है कि लड़कियां माध्यमिक शिक्षा की तरफ जायें और उसे पूरी करें।”
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