रेलवे की पटरियों पर बिताया बचपन, कभी ढाबे पर धोए बर्तन, ऐसा था ओम पुरी का जीवन

Published : Oct 18, 2019, 10:13 AM IST
रेलवे की पटरियों पर बिताया बचपन, कभी ढाबे पर धोए बर्तन, ऐसा था ओम पुरी का जीवन

सार

हरियाणा के अंबाला में जन्मे ओमपुरी की शुक्रवार को 69वां बर्थ एनीवर्सरी है। उनका जन्म 18 अक्टूबर, 1950 को हुआ था। ओम पुरी का फिल्म इंडस्ट्री में खासा योगदान रहा है। एक्टर की सफलता के साथ ही उनके जीवन में संघर्ष भी कम नहीं थे।

मुंबई. हरियाणा के अंबाला में जन्मे ओमपुरी की शुक्रवार को 69वां बर्थ एनीवर्सरी है। उनका जन्म 18 अक्टूबर, 1950 को हुआ था। ओम पुरी का फिल्म इंडस्ट्री में खासा योगदान रहा है। आज वो इस दुनिया में नहीं हैं लेकिन फिल्मों में उनके योगदान के कारण वे लोगों की यादों में जीवित हैं। ओम पुरी ने 6 जनवरी, 2017 को इस दुनिया को अलविदा कह दिया था। एक्टर की सफलता के साथ ही उनके जीवन में संघर्ष भी कम नहीं थे। ऐसे में उनकी बर्थ एनीवर्सरी पर संघर्षों के बारे में बता रहे हैं। 

रेलवे की पटरियों पर बीता था बचपन

ओमपुरी ने बचपन से ही बहुत संघर्ष किया था। पांच साल की उम्र में ही वे रेल की पटरियों से कोयला बीनकर घर लाया करते थे। सात साल की उम्र में वे ढाबे पर गिलास धोने का काम किया करते थे। सरकारी स्कूल से पढ़ाई कर कॉलेज पहुंचे। उस समय भी वह छोटी-मोटी नौकरियां कर गुजारा करते थे। कॉलेज में ही यूथ फेस्टिवल में नाटक में हिस्सा लेने के दौरान उनकी जान-पहचान पंजाबी थिएटर के पिता हरपाल तिवाना से हुई। यहीं से उन्हें वह रास्ता मिला जो आगे चलकर उन्हें मंजिल तक पहुंचाने वाला था। इसक बाद वे पंजाब से निकलकर दिल्ली आए और एनएसडी में दाखिला लिया। कमजोर अंग्रेजी के कारण वहां से निकलने की सोचने लगे। तब इब्राहिम अल्काजी ने उनकी यह कुंठा दूर की और हिंदी में ही बात करने की सलाह दी। धीरे-धीरे अंग्रेजी भी सीखते रहे।

FTII से एक्टिंग का किया कोर्स 

एनएसडी के बाद 'फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया' से एक्टिंग का कोर्स करने के बाद ओम मुंबई आए और धीरे-धीरे फिल्मों में खुद के लिए अलग जगह बनाई। कला फिल्मों से टेलीविजन, व्यावसायिक फिल्मों और हॉलीवुड की फिल्मों तक का सफर तय करके उन्होंने सफलता का स्वाद भी चखा। उनकी इस सफलता के बारे में उनके दोस्त और एक्टर नसीरुद्दीन शाह ने लिखा है, 'ओम प्रकाश पुरी से ओम पुरी बनने तक की पूरी यात्रा का मैं चश्मदीद गवाह रहा हूं, एक दुबले-पतले चेहरे पर कई दागों वाला युवक जो भूखी आंखों और लोहे के इरादों के साथ एक स्टोव, एक सॉसपैन और कुछ किताबों के साथ एक बरामदे में रहता था, अंतरराष्ट्रीय स्तर का कलाकार बन गया।'

पद्मश्री पुरस्कार से किया गया सम्मानित 

ओमपुरी को फिल्मों में अक्सर नेगेटिव रोल में देखा गया था, लकिन इसके साथ ही उन्होंने कई कॉमेडी और सीरियस रोल भी किए हैं। नेगेटिव रोल से जहां उन्होंने फिल्मी दर्शकों को परेशान किया वहीं सीरियस रोल से लोगों को सोचने पर मजबूर कर दिया। उनकी प्रभावशाली आवाज और उनके द्वारा बोले गए डायलॉग दर्शकों की जुबान पर खूब दोहराए जाते हैं। भारतीय सिनेमा के साथ-साथ उन्होंने ब्रिटिश और अमेरिकन सिनेमा में भी बेहतरीन अभिनय किया है। भारतीय सिनेमा में लाजवाब अभिनय के लिए उन्हें पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है।

14 साल की उम्र में नौकरानी से हुआ था प्यार 

ओमपुरी के जीवन में सफलता के साथ ही विवाद भी कम नहीं थे। ओम की पत्नी ने उन पर एक किताब लिखी थी। इसमें उन्होंने लिखा था कि ओमपुरी ने 14 साल की उम्र में घर की नौकरानी के साथ संबंध बनाए थे। पत्नी नंदिता ने किताब के जरिए बताया कि मामा के घर पर काम करने वाली 55 साल की नौकरानी से उन्हें प्यार हो गया था। नौकरानी भी उनका बहुत ख्याल रखती थी। एक दिन घर की लाइट गुल हो गई। नौकरानी ने मौका देखकर उन्हें पकड़ लिया। तब ओमपुरी ने पहली बार नौकरानी के साथ शारीरिक संबंध बनाए थे। वो नौकरानी ओमपुरी का पहला प्यार थी। इस किताब का नाम है 'असाधारण नायक ओमपुरी'। 

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