कर्ज से पंजाब-राजस्थान समेत इन 6 राज्य की वित्तीय सेहत खराब, गुजरात में महंगा न पड़े आप का फ्री वाला वादा

Gujarat Assembly Election 2022:  गुजरात में आम आदमी पार्टी और कांग्रेस फ्री की याेजनाएं लाने के दावे कर रही है। साथ ही जीत के बाद कर्ज माफ करने की बात भी इनके घोषणा पत्र में कही गई है, जो राज्य के वित्तीय सेहत के लिए ठीक नहीं है। 

Ashutosh Pathak | Published : Nov 25, 2022 11:13 AM IST / Updated: Nov 25 2022, 06:12 PM IST

गांधीनगर। Gujarat Assembly Election 2022: गुजरात  विधानसभा चुनाव के बीच सभी पार्टियों ने घोषणा पत्र का ऐलान कर दिया है। कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने जहां मुफ्त चीजें देने पर ज्यादा जोर दिया है, वहीं भाजपा विकास और रोजगार के मुद्दे पर आगे बढ़ रही है। ऐसे में इस बार चुनाव दो पार्टियों के बीच नहीं बल्कि, तीन राजनीतिक दलों के बीच हो गया है। 

आम आदमी पार्टी और कांग्रेस ने राज्य में अपने घोषणा पत्र में फ्री वादों की झड़ी लगा रखी है। वहीं, जिन राज्यों में इनकी सरकार है वहां की वित्तीय सेहत अच्छी नहीं है। फिर चाहे वह पंजाब हो या फिर राजस्थान। अगर रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की रिपोर्ट पर गौर करें तो पंजाब, राजस्थान, बिहार, केरल, पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश और झारखंड ऐसे राज्य हैं, जिनकी वित्तीय सेहत बिल्कुल अच्छी नहीं है और इन पर कर्ज अदायगी का बोझ लगातार बढ़ता जा रहा है। 

बता दें कि पहले चरण की वोटिंग प्रक्रिया के लिए गजट नोटिफिकेशन 5 नवंबर को और दूसरे चरण की वोटिंग प्रक्रिया के लिए 10 नवंबर को जारी हुआ था। स्क्रूटनी पहले चरण के लिए 15 नवंबर को हुई, जबकि दूसरे चरण के लिए 18 नवंबर की तारीख तय थी। नाम वापसी की अंतिम तारीख पहले चरण के लिए 17 नवंबर और दूसरे चरण के लिए 21 नवंबर को हुई। गुजरात विधानसभा चुनाव में दोनों चरणों के लिए नामांकन का दौर समाप्त हो चुका है। राज्य में पहले चरण की वोटिंग 1 दिसंबर को होगी, जबकि दूसरे चरण की वोटिंग 5 दिसंबर को होगी। वहीं, मतगणना दोनों चरणों की 8 दिसंबर को होगी। पहले चरण के लिए नामांकन प्रक्रिया 14 नवंबर अंतिम तारीख थी। दूसरे चरण के लिए नामाकंन प्रक्रिया की अंतिम तारीख 17 नवंबर थी।

मुफ्त वाली योजनाएं गुजरात की वित्तीय सेहत को नुकसान पहुंचाएंगी 
हालांकि, गुजरात पर भी कर्ज है, मगर इतना नहीं कि वह अलॉर्मिंग हो। राहत की बात यह भी है कि गुजरात अभी कर्ज के बोझ से दबे और इसकी अदायगी वाली आरबीआई की टॉप 10 लिस्ट में भी शामिल नहीं है। राज्य पर कैग की रिपोर्ट के अनुसार, करीब तीन लाख करोड़ का कर्ज है। यह आंकड़ा भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक यानी CAG ने जारी किया है। ऐसे में गुजरात में मुफ्त वाली योजनाएं कर्ज का संकट कम करने की बजाय बढ़ाएंगी। 

कर्ज के दलदल में फंसते जा रहे ये राज्य 
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने अपनी रिपोर्ट में CAG के आंकड़ों का जिक्र करते हुए कहा कि सब्सिडी को लेकर राज्य सरकारों पर खर्च बढ़ता जा रहा है। 2020-21 में इस पर कुल 11.2 प्रतिशत खर्च हुआ तो 2021-22 में यह आंकड़ा बढ़कर 12.9 प्रतिशत हो गया था। सब्सिडी पर जिन राज्यों में खर्च बढ़ा है, उनमें झारखंड, केरल, ओडिशा और तेलंगाना शामिल हैं। वहीं, पंजाब और छत्तीसगढ़ की सरकार ने अपने राजस्व खर्च का दस प्रतिशत से अधिक खर्च सब्सिडी पर कर दिया है। 

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