
गांधीनगर। Gujarat Assembly Election 2022: गुजरात विधाानसभा चुनाव के बीच इस बार मुकाबला त्रिकोणीय है। अब तक राज्य में भाजपा और कांग्रेस के बीच सीधा मुकाबला होता था, मगर इस बार चुनाव में आम आदमी पार्टी भी इंट्री हो गई है। इससे कई सीटों पर दोनों ही दलों की मुश्किल बढ़ी है। राज्य में इस बार दो चरणों में वोटिंग हो रही है, जिसमें पहले चरण की वोटिंग 1 दिसंबर को खत्म हो गई, जबकि दूसरे चरण की वोटिंग 5 दिसंबर को होगी। दोनों ही चरणों के नतीजे 8 दिसंबर को जारी होंगे।
राज्य में अहमदाबाद जिले में सबसे अधिक 21 विधानसभा सीट हैं। यहां दानीलिम्डा विधानसभा सीट, जहां अल्पसंख्यक और दलित वोटर अधिक हैं, पर कांग्रेस के मौजूदा विधायक शैलेश परमार हैं। यह सीट अस्तित्व में एक दशक पहले यानी 2012 में आई। भाजपा तब से इस सीट पर एक बार भी जीत दर्ज नहीं कर सकी है, मगर इस बार यह सीट आप के आने से कांग्रेस के लिए भी मुसीबत का सबब बनी हुई है। दरअसल, कांग्रेस के ज्यादातर वोटर आम आदमी पार्टी की ओर शिफ्ट हो रहे हैं और पार्टी को इस बात का डर लग रहा है कि दलित और अल्पसंख्यक बहुल आबादी वाली ये सीट भी आप का शिकार न हो जाए।
कांग्रेस को इस बार वोट विभाजन का डर सता रहा
यही नहीं, इस बार दानीलिम्डा सीट पर आल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुसलमीन यानी एआईएमआईएम ने भी प्रत्याशी उतारा है, जिससे विपक्ष को और खासकर कांग्रेस को अल्पसंख्यक वोट खिसकने का डर सता रहा है। यह स्थिति भाजपा के लिए मुफीद साबित हो रही है और पार्टी चाहती है कि मौके का फायदा उठाते हुए अब तक के सभी भ्रम तोड़ दिए जाएं। दानीलिम्डा सुरक्षित सीट है और यहां दूसरे चरण में यानी 5 दिसंबर को वोटिंग होनी है। इस सीट को 2012 में परिसीमन के बाद बनाया गया है।
शैलेश परमार दो बार से जीत रहे चुनाव
यहां अब तक दो विधानसभा चुनाव हो चुके हैं और दोनों ही बार कांग्रेस का यहां कब्जा रहा। वहीं, 2017 के चुनाव में अहमदाबाद की सभी 21 में से 15 सीटों पर जीत मिली थी, जबकि बाकी 6 सीट कांग्रेस के खाते में गई थी। दानीलिम्डा विधानसभा सीट पर दो लाख 65 हजार रजिस्टर्ड वोटर हैं। इनमें करीब 34 प्रतिशत अल्पसंख्यक समुदाय से हैं। वहीं 33 प्रतिशत दलित-एससी समुदाय के हैं। बाकी जातियां पटेल और क्षत्रीय हैं। कांग्रेस के शैलेश परमार को 2012 के उपचुनाव में 50 प्रतिशत से अधिक वोट मिले थे। वे विधानसभा में विपक्ष के उपनेता भी हैं।
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