अमृतसर की विधवा कॉलोनी की रुला देने वाली कहानी Part3: मौत से नहीं, भूख से भयभीत हूं, दो परिवार कैसे पालूंगा?

दलबीर कहते हैं कि क्या आप उसे बचाने में मेरी मदद कर सकते हैं। मैं यह इसलिए नहीं बोल रहा कि भाई की मौत से डर गया हूं। मौत से क्या डरना? यहां नशे से मौत एक सामान्य घटना है। बस, एक गिनती ही तो बढ़ती है। इससे ज्यादा कुछ नहीं। 

Asianet News Hindi | Published : Feb 8, 2022 12:24 PM IST / Updated: Feb 08 2022, 06:45 PM IST

अमृतसर। अमृतसर की विधवा कॉलोनी मकबूलपुर में नशे ने घर बर्बाद कर दिए हैं। किसी का जवान बेटा मारा गया है तो किसी का भाई-पति। घरों में सन्नाटा है। खाने के लाले पड़े हैं। यहां रिश्तों के भावनात्मक लगाव पर भूख भारी पड़ रही है। नशे ने कॉलोनी के लोगों की भावनाओं को भी मार दिया है। यहां रहने वाले दलबीर (49 साल) कहते हैं कि साहब, हमें मौत नहीं डराती, डर तो यह है कि जो परिजन बचे हैं, उनका गुजारा कैसे होगा? मेरा एक भाई चिट्टा पीते-पीते मर गया, दूसरा मरने वाला है।  पढ़ें Asianet News Hindi की रिपोर्ट का Part 3... 

दलबीर कहते हैं कि क्या आप उसे बचाने में मेरी मदद कर सकते हैं। मैं यह इसलिए नहीं बोल रहा कि भाई की मौत से डर गया हूं। मौत से क्या डरना? यहां नशे से मौत एक सामान्य घटना है। बस, एक गिनती ही तो बढ़ती है। इससे ज्यादा कुछ नहीं। नशे की गिरफ्त में आए अपने भाई को इसलिए बचाना चाहता हूं, क्योंकि यदि वह मर गया तो उसके परिवार का गुजारा कैसे होगा? पहले ही एक भाई की मौत की वजह से घर में खाने के लाले पड़े हुए हैं। अब यदि दूसरा भी मर गया तो उसके परिवार का भार भी मेरे ऊपर आ जाएगा। उसकी सारी जिम्मेदारी मेरे ऊपर आ जाएगी। 

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मुझे पता है वो किसी दिन मर जाएगा... 
दलबीर ने बताया कि उसका एक भाई नशे की लत से मर गया है। दूसरा भाई नशे का आदी है। समझाओ तो झगड़ता है। सुबह वह तस्करों के साथ चला जाता है।  वह नशा करता भी है, तस्करों के साथ मिल कर सप्लाई भी करता है। इससे उसके घर का गुजारा चल रहा है। तस्कर के साथ जाने से हम रोकते हैं तो हमारे साथ मारपीट करता है। मुझे पता है कि वह किसी दिन मर जाएगा। लेकिन, मैं कुछ नहीं कर सकता। मुझे उसकी पत्नी और दो बच्चों की चिंता सताती रहती है। इनका क्या होगा।

मेरे भाई से भी नशा तस्करी करवाई जाती
दलबीर ने बताया कि भाई का नशा तस्करों से बचाने के लिए वह कहां-कहां नहीं गया। रिश्तेदारों को बुलाकर समझवाया। लेकिन सब बेकार गया। तस्कर आते हैं। उसे साथ ले लाते हैं। वह चला भी जाता है। हम देखते रह जाते हैं। तस्कर ऐसे युवाओं की तलाश में रहते हैं, जो थोड़े तगड़े हों। उन्हें नशे की लत लगवा कर नशा सप्लाई कराते हैं। मेरा भाई भी नशे का सप्लायर है। कई बार पुलिस के पास गया। लेकिन, कोई कार्रवाई नहीं हुई। उलटा भाई को बता दिया कि मैंने शिकायत की है। वह मेरे से ही लड़ने लगता है। 

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मैं अकेला कैसे इतने लोगों का पेट पाल पाऊंगा
मेरा भाई काफी तगड़ा था, अब नहीं है। क्योंकि अब तस्करों की सप्लाई चेन में शामिल है, इसलिए उसे नशे से निकलने नहीं दिया जा रहा है। मुझे पक्का यकीन है, वह एक दिन मर जाएगा। इससे तस्करों की सप्लाई चेन को कोई असर नहीं पड़ेगा। उनके पास तो मेरे भाई जैसे बहुत से नशेड़ी युवा हैं। जो नशे के लिए कुछ भी कर सकते हैं। उसकी मौत का फर्क मुझे पड़ेगा, क्योंकि पहले भाई का परिवार मेरे ऊपर आश्रित है। उसके दो बच्चे हैं, एक विधवा पत्नी। छोटे भाई की एक बेटी है और पत्नी है। मेरे खुद के दो बच्चे हैं। मैं अकेला कैसे इतने लोगों का पेट पाल पाऊंगा। 

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पुलिस के पास पैसे जाते, इसलिए ध्यान नहीं देते
दलबीर ने बताया कि सिर्फ यही इलाका नशे की चपेट में नहीं है। ये तस्कर दूसरी जगह भी नशा सप्लाई करते हैं। इनका चेन सिस्टम है। नशा सप्लाई करने वाली चेन में उसके भाई जैसे सबसे छोटी कड़ी है। यदि पुलिस की कार्रवाई होती है तो उन्हें ही पकड़ लिया जाता है। कभी भी बड़े तस्कर को नहीं पकड़ा जाता। पकड़ें भी कैसे? उससे तो पुलिस को भी पैसा जाता है। इसलिए कोई उसकी ओर ध्यान नहीं देता। यहां नशा मुक्ति केंद्र था। उसे भी तस्करों ने बंद करा दिया है। सरकारी अस्पताल में नशे का इलाज होता था, लेकिन वहा दवा नहीं मिलती। प्राइवेट में इलाज करा नहीं सकते। यह महंगा बहुत है। 

नेता पैसे देंगे और वोट देने की अपील करेंगे
यहां रहने वाले लोग मजबूर हैं- अपनों को नशे की गिरफ्त में आकर मरते हुए देखने के। अब चुनाव का वक्त है। राजनेता आएंगे, यहां के गरीबों को कुछ पैसा दे देंगे। जिससे वह उनके पक्ष में वोट डाल सके। कभी किसी नेता ने यहां यह कोशिश नहीं की कि यहां से नशा खत्म किया जाए। यहां तस्करों के खिलाफ कार्रवाई हो। जो नशे के आदी हैं, उनका इलाज कराया जाए। कुछ नहीं किया, किसी ने हमारे लिए। हमें तो ऐसा लगता है कि हम गुंडा राज में जी रहे हैं। ऐसा राज जहां हम जैसे इंसान सिर्फ इसलिए पैदा होते हैं कि वह गुंडों बदमाशों के टूल बन सकें।

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युवाओं के पास काम नहीं, इसलिए नशे की चपेट में आ जाते
दलबीर के अनुसार, यहां के 60 प्रतिशत युवा नशे की चपेट में हैं। यह सब संगत का असर है। इसके साथ ही यहां तस्करों की सप्लाई चेन भी काम कर रही है। जिसकी नजर उन किशोरों पर रहती है, जो जवान होने हो रहे होते हैं। उनकी कोशिश यह रहती है  कि किस तरह से इन युवाओं को अपनी चपेट में लिया जाए। युवाओं के पास काम नहीं है। वह आसानी से इनकी चपेट में आ जाते हैं। बहुत कम युवा ऐसे है, जो इनके चंगुल से बच पाते हैं। क्योंकि नशा तस्कर ऐसा जाल बुनते हैं कि कोई इससे बचा ही नहीं रह सकता है। 

 बच्चे बचे हैं, उनको बचाने की कोशिश हो

दलबीर ने बताया कि उसका भाई तो देर सवेर मर ही जाएगा, क्योंकि वह बचने वाला नहीं है। लेकिन कोशिश होनी चाहिए कि जो बच्चे है, उन्हें बचाया जाना चाहिए। इसके लिए योजना बननी चाहिए। यहां तस्करों के आने पर रोक लगनी चाहिए। क्योंकि जब तक वह यहां आएंगे, तो नशा रोका नहीं जा सकता। उन्होंने बताया कि सिद्धू पंजाब मॉडल की बात करते हैं। नशा तस्करों को खत्म करने की बात करते हैं। लेकिन उनके अपने विधानसभा क्षेत्र का यह इलाका किस तरह से नशे की चपेट में है। वह हमें ही बचा लें। 

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ऐसा लगता है- हम लट्ठतंत्र में जी रहे हैं
हमारे बच्चों को नशे से बचा लें तो यूं समझो हमारा जीवन सुधर जाएगा। लेकिन शायद ऐसा होगा नहीं, क्योंकि अभी तक उन्होंने भी इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया। ऐसा लगता है कि हम लोकतंत्र में नहीं लट्ठतंत्र में जी रहे हैं। हमारी सरकार, हमारा जीना, मरना सब कुछ तस्करों के हाथ में हैं। वह चिट्टे की आड़ में हम सब को अपना गुलाम बना रहे हैं। हमें इस गुलामी से शायद मर कर ही निजात मिलेगी। क्योंकि जीते जी तो शायद ही... हम चैन की सांस यहां ले पाए।

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