पंजाब चुनाव: राम रहीम की फरलो पर हाइकोर्ट ने हरियाणा सरकार से जवाब मांगा, अब 21 फरवरी को सुनवाई होगी

हाइकोर्ट में जस्टिस बीएस वालिया की बेंच इस केस की सुनवाई करेगी। याचिका में आरोप लगाया गया है कि पंजाब विधानसभा चुनाव को लेकर गुरमीत राम रहीम को यह राहत दी गई है, लेकिन यह राहत विधानसभा चुनाव की निष्पक्षता के लिए बड़ा खतरा है। 

Asianet News Hindi | Published : Feb 18, 2022 8:31 AM IST / Updated: Feb 18 2022, 07:17 PM IST

चंडीगढ़। डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत रामरहीम को फरलो देने के मामले में पंजाब एवं हरियाणा हाइकोर्ट ने हरियाणा सरकार से जवाब मांगा है। याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने सरकार को 21 फरवरी तक नोटिस का जवाब देने को कहा है। हाइकोर्ट ने हरियाणा सरकार को मामले से जुड़ा रिकॉर्ड भी पेश करने को कहा है। इसमें गुरमीत राम रहीम सिंह को दी गई फरलो का रिकॉर्ड शामिल है। जस्टिस बीएस वालिया की बेंच में केस की सुनवाई हुई है।

हरियाणा के एडवोकेट जनरल बलदेव राज महाजन ने कोर्ट को बताया कि रोहतक मंडल के आयुक्त ने पुलिस रिपोर्ट और कुछ शर्तों के साथ गुड कंडक्ट प्रिजनर्स के नियमों के आधार पर गुरमीत राम रहीम को फरलो दी है। अगर शर्तों की अवहेलना होती है तो उसकी फरलो रद्द की जा सकती है। पंजाब के समाना निर्वाचन क्षेत्र से निर्दलीय उम्मीदवार 56 वर्षीय परमजीत सिंह सोहाली ने कोर्ट में यह याचिका दायर की है। मामले में हरियाणा सरकार समेत अन्य को पार्टी बनाया गया है। याचिका में आरोप लगाया गया है कि पंजाब विधानसभा चुनाव को लेकर गुरमीत राम रहीम को यह राहत दी गई है, लेकिन यह राहत विधानसभा चुनाव की निष्पक्षता के लिए बड़ा खतरा है।

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याची ने कहा- फरलो को रद्द किया जाए
याचिका में कहा गया है कि इतने घिनौने अपराध करने वाले दोषी को यह राहत नहीं देनी चाहिए थी। याची ने खुद को अकाली दल स्वतंत्र का कौमी प्रधान बताया है। याचिका में मांग की गई है कि गुरमीत राम रहीम को फरलो देने के फैसले को रद्द किया जाए। राम रहीम को फिर से सुनारिया जेल में डाला जाए। इस फरलो के आदेश को गैरकानूनी व गैरजरूरी बताया गया है। हत्या और रेप समेत तीन मामलों में गुरमीत राम रहीम को आजीवन कारावास हुई है। उसे हाल ही में 21 दिन की फरलो स्वीकृत की गई है।

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पंजाब चुनाव में डेरा का राजनीतिक रोल....
पंजाब चुनाव के बीच गुरमीत की फरलो का सीधा असर पड़ सकता है। क्योंकि पंजाब की 48 सीटों पर डेरा समर्थकों का सीधा असर पड़ सकता है। डेरा को लेकर कांग्रेस खासतौर पर प्रदेश अध्यक्ष नवजोत सिह सिद्धू लगातार हमलावर रहे हैं। डेरा की ओर से अपनी ताकत दिखाने के लिए समागम भी किया था, जिसमें बड़ी संख्या में डेरा समर्थक आए थे। इसके बाद ही यह माना जाने लगा था कि डेरा इस बार पंजाब की राजनीति में सक्रिय भूमिका अदा करेगा। गुरमीत रामरहीम तीन मामलों में आजीवन कारावास की सजा काट रहा है और सिरसा के डेरा सच्चा सौदा का प्रमुख है। हालांकि, डेरा सीधे तौर पर राजनीति गतिविधियों में भाग नहीं लेता। लेकिन चुनाव से पहले किसी ने किसी दल को समर्थन जरूर देता है। यह समर्थन मतदान से एक दिन पहले शाम के वक्त दिया जाता है। डेरा समर्थक ही इस संदेश को आगे ले जाने का काम करते हैं। क्योंकि डेरा प्रमुख गुरमीत राम रहीम 25 अगस्त 2017 से जेल में है। इसलिए किस पार्टी को समर्थन देना, यह काम डेरा की 25 सदस्यीय राजनीतिक कमेटी करती है। 

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