पंजाब चुनाव : कांग्रेस-आप से कितना अलग होगा अकाली दल का मैनिफेस्टो, सस्ती बिजली का दांव या फिर कोई और प्लान?

इस बार के चुनाव में अकाली दल बिना भारतीय जनता पार्टी के चुनावी मैदान में है। ऐसे में शहरी क्षेत्र में अकाली दल को काफी मुश्किलें हो रही हैं। कहा जा रहा है कि शहरी वोटर्स को प्रभावित करने के लिए भी मैनिफेस्टों में बड़ी चुनावी घोषणाएं हो सकती हैं। 

Asianet News Hindi | Published : Feb 15, 2022 4:22 AM IST

चंडीगढ़ : पंजाब चुनाव (Punjab Chunav 2022) में इस बार शिरोमणि अकाली दल (बादल) और बसपा एक साथ मिलकर चुनावी मैदान में हैं। यह गठबंधन आज अपना चुनावी घोषणा पत्र जारी करेगा। चंडीगढ़ में अकाली दल (Shiromani Akali Dal) के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल (Sukhbir Singh Badal) जनता के बताएंगे कि चुनाव जीतने के बाद उनकी पार्टी का विजन क्या होगा। पार्टी सभी वर्गों को साधने वाला मैनिफेस्टो सामने ला सकती है। इस दौरान बहुजन समाज पार्टी के कई नेता भी मौजूद रहेंगे।

कांग्रेस-आप से कितना अलग होगा मैनिफेस्टो
अकाली दल और बसपा का गठबंधन गरीब और पिछड़े वर्ग के मतदाताओं को लुभाने कई तरह के वादे घोषणा पत्र में ला सकता है। दरअसल कांग्रेस की तरफ से मुख्यमंत्री चेहरा चरणजीत सिंह चन्नी (Charanjit Singh Channi) को बनाया गया है, जो दलित वर्ग से आते हैं। इसी का काट खोजने अब अकाली दल अपने मैनिफेस्टों में इस वर्ग के लिए कई घोषणाएं कर सकती है। बता दें कि पंजाब में आम आदमी पार्टी (AAP) पहले ही 300 यूनिट मुफ्त बिजली का वादा कर चुकी है। कांग्रेस (Congress) सस्ती बिजली और बिल माफी का दांव खेल चुकी है। अकाली दल के मैनिफेस्टों में भी कुछ ऐसा ही दिखाई देगा या वोटर्स को लुभाने पार्टी का विजन और प्लान बाकी दलों से अलग होगा, इस पर सभी की नजर है।

Latest Videos

इस बार बिन भाजपा मैदान में अकाली दल
इस बार के चुनाव में अकाली दल बिना भारतीय जनता पार्टी के चुनावी मैदान में है। ऐसे में शहरी क्षेत्र में अकाली दल को काफी मुश्किलें हो रही हैं। सुखबीर सिंह बादल समेत तमाम अकाली नेता SAD को पंथक पार्टी बता रहे हैं ताकि गांवों में सिख वोट बैंक को अपने पाले में लाया जा सके। कहा यह भी जा रहा है कि शहरी वोटर्स को प्रभावित करने के लिए भी मैनिफेस्टों में बड़ी चुनावी घोषणाएं हो सकती हैं। 

इसे भी पढ़ें-पंजाब चुनाव: सुखबीर बादल की बेटी ने संभाली पापा की पॉलिटिक्स, सिद्धू की बेटी विपक्ष को दे रही मुंहतोड़ जवाब

1996 में दोनों पार्टियों ने मिलकर लड़ा था लोकसभा चुनाव
बता दें कि इस बार पंजाब विधानसभा चुनाव में शिअद और बसपा गठबंधन करके लड़ रहे हैं। कुल 117 में से 20 सीटें बसपा को मिली हैं। जबकि बाकी 97 सीटों पर अकाली दल के उम्मीदवार चुनावी मैदान में हैं। इससे पहले दोनों पार्टियों ने मिलकर 1996 में लोकसभा चुनाव लड़ा था और 13 में से 11 सीटों पर जीत हासिल की थी। 

इसे भी पढ़ें-पंजाब चुनाव: 2017 में मैनिफेस्टो के दम पर कैप्टन ने बनाई थी सरकार, मगर इस बार वादों से दूरी बना रहीं पार्टियां

बसपा को 1992 में सबसे ज्यादा वोट मिले थे
पंजाब में दलितों की आबादी करीब 32 प्रतिशत मानी जाती है। कांशीराम ने पंजाब में दलितों को एकजुट करने की कोशिश की थी। इसका परिणाम यह आया कि 1996 में उन्हें जीत मिली। उस वक्त भी पार्टी का गठबंधन शिरोमणि अकाली दल के साथ था। लेकिन 1997 में बसपा को 7.5 प्रतिशत मत मिले, 2017 में तो पार्टी का ग्राफ नीचे जाते हुए मात्र 1.5 प्रतिशत पर टिक गया। बसपा का सबसे अच्छा प्रदर्शन 1992 में रहा। तब पार्टी को 16 प्रतिशत मत मिले थे। लेकिन, इसके बाद दलितों का बसपा से मोह भंग होता गया। हालांकि कांशीराम ने बहुत प्रयास किए। इसके बाद भी पंजाब के मजहबी सिख वह सिख जो वाल्मीकि है, वह बसपा से दूर ही रहे। 

इसे भी पढ़ें-पंजाब चुनाव: दमदमी टकसाल समेत कई सिख संगतों का आकली दल-बसपा को समर्थन, जानिए इसके सियासी मायने

इसे भी पढ़ें-पंजाब चुनाव: वोटर्स के मन में झूठी उम्मीद जगाने का जरिया बने घोषणा पत्र, 10 साल के वादे आज भी अधूरे, पढ़ें

Read more Articles on
Share this article
click me!

Latest Videos

Almora Bus Accident: मंजिल तक पहुंचने से पहले ही खत्म हुए सफर... जानें क्यों तनाव में था ड्राइवर
Tulsi Vivah 2024: कब है तुलसी विवाह, जानें पूजन का महत्व और शुभ मुहूर्त
LIVE: प्रियंका गांधी ने तिरुवंबदी के कोडेनचेरी में सुखनेर सभा को संबोधित किया
यूपी मदरसा कानून पर आ गया 'सुप्रीम' फैसला, लाखों छात्रों का जुड़ा था भविष्य । SC on UP Madarsa
Rahul Gandhi LIVE : तेलंगाना में जाति जनगणना पर राज्य स्तरीय परामर्श को सम्बोधन