पंजाब में सभी दलों ने कर्ज में डूबे मतदाता के लिए थोक में की घोषणाएं, पूरा करने का रोड मैप क्या, पढ़िए रिपोर्ट

 पंजाब में विधानसभा चुनाव बेहद रोचक हो गया है। क्योंकि यहां पर सभी राजनीतिक पार्टियो ने सत्ता में आने के लिए पूरी ताकत झोंक दी है। ताबड़तोड़ रैलियां और घोषणाओं की तो झड़ी लगा दी है। घोषणा पत्र, में बड़े बड़े दावे करने वाले दलों मतदाता के साथ किस तरह से छल कर रहे हैं, इसका अंदाजा इसी बात से हो जाता है कि जो घोषणाएं थोक में हो रही है, लेकिन सवाल यह है कि यह पूरी कैसे होगी? 

Asianet News Hindi | Published : Feb 20, 2022 2:35 AM IST / Updated: Feb 20 2022, 08:09 AM IST

चंडीगढ़. 117 विधानसभा क्षेत्रों वाले पंजाब में आज सुबह 8 बजे से मतदान शुरू हो चुका है। जो कि शाम 6 बजे तक चलेगा। पंजाब की 117 विधानसभा सीटों पर टोटल 1304 कैंडिडेट्स मैदान में हैं। जिनकी किस्मत का आज मतदाता फैसला करेंगे। पंजाब का चुनाव भी बेहद रोचक हो गया है। क्योंकि यहां पर सभी राजनीतिक पार्टियो ने सत्ता में आने के लिए पूरी ताकत झोंक दी है। ताबड़तोड़ रैलियां और घोषणाओं की तो झड़ी लगा दी है। घोषणा पत्र, में बड़े बड़े दावे करने वाले दलों मतदाता के साथ किस तरह से छल कर रहे हैं, इसका अंदाजा इसी बात से हो जाता है कि जो घोषणाएं थोक में हो रही है, लेकिन सवाल यह है कि यह पूरी कैसे होगी? 

आप को छोड़कर सभी ने जारी किया  घोषणापत्र
 पंजाब विधानसभा चुनाव के लिए आम आदमी पार्टी को छोड़कर सभी पार्टियों ने अपना घोषणापत्र जारी किया है। आम आदमी पार्टी ने भी मतदाता से वायदे करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। भारतीय जनता पार्टी ने राष्ट्रीय सुरक्षा पर ध्यान केंद्रित किया है, सभी दलों ने मतदाताओं को लुभाने के लिए किसी न किसी रूप में मुफ्त में बहुत कुछ देने का वायदा किया है।    

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हर पार्टी ने बिजली फ्री देने का क्यों क्या ऐलान
अकाली दल की 400 यूनिट, आम आदमी पार्टी की 300 यूनिट, कांग्रेस के 13 सूत्रीय वादों में हर घर में मुफ्त बिजली शामिल की है।  पंजाब को वर्तमान में कृषि क्षेत्र को मुफ्त बिजली और अनुसूचित जाति, पिछड़ा वर्ग और औद्योगिक क्षेत्रों को सब्सिडी वाली बिजली प्रदान करने के लिए 14,000 करोड़ रुपये की जरूरत है। इसे कम करने की कोई योजना नहीं है। अकाली दल ने पूरे पंजाब में सोलर प्रोजेक्ट लगाकर इसे बढ़ाकर 4000 करोड़ रुपये करने का वादा किया है।

शराब और रेत के लिए निगम
कांग्रेस और शिरोमणि अकाली दल ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में शराब और रेत निगम बनाने का वादा किया है। भाजपा ने नई आबकारी नीति और खनन प्राधिकरण का वादा किया है। आम आदमी पार्टी ने इस बारे में कुछ नहीं बोला।। 

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महिलाओं को आर्थिक सहायता
कांग्रेस ने 1,100 रुपये प्रति माह और महिलाओं को प्रति वर्ष आठ सिलेंडर देने का वादा किया है, आम आदमी पार्टी ने महिलाओं को 1,000 रुपये और अकाली दल ने ब्लू कार्ड धारकों को 2,000 रुपये प्रति माह देने का वादा किया है।

शिक्षा के लिए भी चुनावी वादे
शिक्षा के क्षेत्र में आम आदमी पार्टी ने मॉडल स्कूल स्थापित किए हैं, अकाली दल ने 5000 छात्रों के साथ मेगा स्कूल चेन स्थापित की है, कांग्रेस ने जरूरतमंद लड़कियों (5000 से 5 वीं कक्षा तक, 10 वीं कक्षा तक 10000 लड़कियां, 12 वीं कक्षा तक 12000 लड़कियां) प्रदान की हैं। आर्थिक मदद का वादा किया है।

भाजपा अलग से जारी किया किसानों का घोषणापत्र
भाजपा और अकाली दल के अलावा किसी भी दल ने किसानों के लिए व्यापक योजना की घोषणा नहीं की है। कांग्रेस, भाजपा और शिअद के घोषणापत्र में दलहन, तिलहन और मक्का के लिए एमएसपी का वादा किया गया है। भाजपा ने किसानों का पांच एकड़ तक का कर्ज माफ करने का वायदा किया है। किसानों के नाम पर आम आदमी पार्टी ने कोई खासा वायदा नहीं किया है। 

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अब सवाल पैसे कहां से आएंगे?
इस संबंध में किसी पार्टी ने अपना रोडमैप नहीं दिया है। अकाली दल ने जहां सोलर प्रोजेक्ट लगाकर 10 हजार करोड़ रुपये की सब्सिडी बचाने की बात कही है, वहीं कांग्रेस ने शराब और रेत निगम की स्थापना कर पैसे बचाने का दावा किया है. बीजेपी और आम आदमी पार्टी ने सरकार का राजस्व बढ़ाने की बात कही है। 

लाख टके का सवाल तो यह है कि पैसा आएगा कहां से? 
सरकार के बजट को ही देखे तो हम पाएंगे कि  2021-22 के दौरान सरकार को 1,62,599 करोड़ का राजस्व आने का अनुमान है, सरकार ने 1,68,015 करोड़ का अनुमानित खर्च प्रस्तुत किया है। यह 5,416 करोड़ के घाटे वाला बजट है। बजट में  24,240 करोड़ रुपए का वित्तीय घाटा दिखाया गया है।  पंजाब पर 31 हजार करोड़ रुपए के कर्ज का ब्याज भारी पड़ रहा है। किसानों की फसलों के भुगतान के लिए केंद्र सरकार से ली जाने वाली कैश-क्रेडिट लिमिट  पिछली सरकार में कर्ज में तब्दील कर गई।

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कर्ज लेकर चल रहा है पंजाब का मतदाता
कर्ज के आंकड़ों पर नजर डालें तो 8 साल में पंजाब के कर्ज बढ़ता ही जा रहा है। 2016-17 में प्रदेश पर 1.82 लाख करोड़ रुपए का कर्ज था। 2017-18 में 1.95 लाख करोड़ हो गया। 2018-19 में 2.11 लाख करोड़ हो गया तो फिर 2019-20 में बढ़कर यह बोझ 2.28 लाख करोड़ रुपए का रिकॉर्ड किया गया। अगले वित्त वर्ष 2020-21 में यह बढ़कर 2,52,880 करोड़ रुपए हो गया और अब 2021-22 में 2,73,703 करोड़ हो जाने का अनुमान है।

कैग ने भी जताई चिंता 
कैग ने अपनी रिपोर्ट में  राज्य पर बढ़ते कर्ज पर  चिंता जताई है।  अगर आमदनी और खर्च का औसत यही रही तो कर्ज बढ़कर 2028-29 में 6.33 लाख करोड़ रुपए हो जाएगा। इससे निपटने के लिए या तो राज्य सरकार को अपनी आमदनी बढ़ानी होगी या फिर और कर्ज लेना होगा।

तो सवाल यह है कि जो वादे किए वह पूरे कैसे होंगे 
इसके लिए बजट आएगा कहां से? यह बड़ा सवाल है। इस बारे में हालांकि राजनीतिक दल अलग अलग तर्क दे रहे हैं। आम आदमी पार्टी नशा माफिया पर रोक लगा कर रेवेन्यू बढ़ाने की बात कर रही है । भाजप भ्रष्टायार पर रोक लगा कर रेवेन्यू बढ़ाने पर जोर दे रहे हैं। लेकिन यह हकीकत में संभव होता नजर नहीं आता। अर्थशास्त्री डॉक्टर मलकीत सिंह ने बताया कि यह कहने की बात है, इससे होगा कुछ नहीं। पंजाब को इस वक्त कर्ज से उबरने के लिए इनोवेटिव आइडिया चाहिए। जहां मुफ्त में कुछ भी नहीं देना चाहिए। सबसे बड़ी चिंता तो यह होनी चाहिए कि कर्ज से मुक्ति कैसे मिले? क्योंकि जब तक कर्ज से राहत नहीं मिलेगी तो बाकी कामों के लिए फंड आएगा ही कहां से? 

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''सपने दिखाओ और वोट हासिल कर लो''
इसलिए होना तो यह चाहिए कि पंजाब की आर्थिक हालत सुधरे, इसके लिए काम करना होगा। यह जो घोषणा पत्र में वायदे हो रहे हैं, यह सब दिखावा है। आम आदमी को बहकाने का इसस बढ़िया माध्यम कुछ नहीं हो सकता। उसे सपने दिखाओ और वोट हासिल कर लो। घोषणा पत्र इससे ज्यादा कुछ नहीं है।

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