बेअदबी के मामले सामने आने के बाद 7 साल पहले 2015 में अकाली दल छोड़ चुके पूर्व प्रधान उपकार सिंह संधू ने फिर अकाली दल ज्वाइन कर ली है।
अमृतसर। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू के खिलाफ चुनाव मैदान में डटे अकाली दल के प्रत्याशी बिक्रम सिंह मजीठिया ने शुक्रवार को पर्चा दाखिल कर दिया है। पर्चा दाखिल करते ही वह सक्रिय हो गए। उन्होंने कांग्रेस के स्थानीय नेताओं को तोड़कर अपनी पार्टी में मिलाने की मुहिम शुरू कर दी है।
बेअदबी के मामले सामने आने के बाद 7 साल पहले 2015 में अकाली दल छोड़ चुके पूर्व प्रधान उपकार सिंह संधू ने फिर अकाली दल ज्वाइन कर ली है। उनके साथ कांग्रेसी पार्षद और सिद्धू के समर्थक रहे पार्षद लाडी पहलवान और भाजपा के पार्षद रणजीत सिंह गोल्डी ने भी अकाली दल का दामन थाम लिया है। मजीठिया का पूर्वी हलके में खुद को मजबूत करने का यह पहला दाव है।
पहली बार मजीठा से बाहर चुनाव लड़ रहे हैं बिक्रम मजीठिया
बिक्रम मजीठिया अपने 15 साल के राजनीतिक करियर में पहली बार मजीठा से बाहर चुनाव लड़ रहे हैं। अकाली-भाजपा गठबंधन में 2007 से पहले यह सीट अकाली दल के पास ही थी, लेकिन नवजोत सिंह सिद्धू के लिए इस सीट को भाजपा के हवाले कर दिया गया, लेकिन आज समय बदला और अकाली दल के मजीठिया और सिद्धू इस सीट पर आमने-सामने हो गए हैं।
मजीठिया ने शुक्रवार को नामांकन भरते ही पूर्वी हलके के वर्करों और रूठों को मनाने का काम शुरू कर दिया। एक तरफ पूर्व प्रधान रह चुके उपकार सिंह संधू को वापस अकाली दल में लाया गया है। वहीं, दूसरी तरफ दो पार्षद लाडी पहलवान और रणजीत सिंह गोल्डी के अकाली दल ज्वाइन करने से बिक्रम मजीठिया को बटाला रोड में पैर पसारने में सहायता मिलेगी।
तेज होगा स्थानीय नेताओं को तोड़ने का सिलसिला
बता दें कि 2015 में अकाली दल छोड़ चुके उपकार सिंह संधू ने 2017 लोकसभा उपचुनावों में आम आदमी पार्टी की तरफ से चुनाव लड़ा था, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा। उपकार सिंह संधू शुरू से ही अमृतसर पूर्वी हलके में एक्टिव रहे हैं और 2007 से पहले वहां से चुनाव लड़ना चाहते थे। मजीठिया की तरफ से उन्हें मनाना और अकाली दल ज्वाइन करवाने से उन्हें काफी सपोर्ट मिलेगा। माना यह भी जा रहा है कि आने वाले दिनों में अमृतसर में एक-दूसरे के स्थानीय नेताओं को तोड़ने का सिलसिला और ज्यादा तेज होगा। सिद्धू और मजीठिया इस सीट को लेकर जी जान लगाए हुए हैं। इस सीट पर पंजाब की राजनीति में रुचि रखने वाले हर किसी की नजर टिकी हुई है।
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