
अमृतसर। हरियाणा सरकार ने डेरा सच्चा सौदा सिरसा का प्रमुख गुरमीत राम रहीम को 21 दिन की फरलो दी है। इस मामले में शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) के अध्यक्ष एडवोकेट हरजिंदर सिंह धामी ने कड़ी आपत्ति जताई है। उन्होंने कहा कि यह फैसला पंजाब के सांप्रदायिक सौहार्द के लिए बहुत ही खतरनाक है। इसे तुरंत रोका जाना चाहिए। एसजीपीसी अध्यक्ष ने कहा कि डेरा सिरसा प्रमुख बलात्कार और हत्या जैसे गंभीर अपराधों में दोषी पाए जाने पर काट रहा है।
वह सीधे तौर पर 2015 में बरगाड़ी में गुरु ग्रंथ साहिब जी के अपमान से भी जुड़ा रहा है। ये व्यक्ति सिखों की धार्मिक भावनाओं का हत्यारा है और दुख की बात है कि हरियाणा और केंद्र की भाजपा सरकार मिलकर राजनीति खेल रही है। एडवोकेट धामी ने कहा कि भाजपा चुनाव के दौरान राजनीतिक लाभ हासिल करने के मकसद से देश और खासकर पंजाब का माहौल खराब करने की कोशिश कर रही है। एक तरफ जहां डेरा प्रमुख से बेअदबी कांड के मामले में पूछताछ की जा रही है तो दूसरी तरफ उसे जेल से रिहाई का रास्ता तैयार करना स्वीकार्य नहीं है।
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गुरमीत की पैरोल से हर सिख आहत है: धामी
एसजीपीसी अध्यक्ष ने कहा कि भाजपा शांतिपूर्ण पंजाब नहीं देखना चाहती, इसलिए राम रहीम को बाहर लाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि सिख भावनाएं इसे कभी बर्दाश्त नहीं करेंगी। इसका कड़ा विरोध किया जाएगा। एडवोकेट धामी ने कहा कि भारत सरकार और हरियाणा को इस गलती को तुरंत सुधारना चाहिए। इस गलती के लिए पंजाबियों और खासकर सिखों से माफी भी मांगनी चाहिए। उन्होंने कहा कि गुरमीत को पैरोल पर आने से पंजाब का हर सिख आहत है। चुनाव में फायदा उठाने की बीजेपी की यह कोशिश कभी कामयाब नहीं होने दी जाएगी। इसका पुरजोर विरोध किया जाएगा।
पंजाब का सौहार्दपूर्ण माहौल खराब हो सकता है
उन्होंने यह भी कहा कि गुरमीत के बाहर आने का पंजाब के चुनाव में असर पड़ेगा। यहां का सौहार्दपूर्ण माहौल खराब हो सकता है। पिछली बार भी डेरा की वजह से पंजाब में कई बार दिक्कत आई। इसलिए हरियाणा सरकार को चाहिए कि गुरमीत की पैरोल की अर्जी तुरंत ही खत्म करनी चाहिए। उसे वापस जेल में रखा जाए। उन्होंने कहा कि हरियाणा सरकार के इस निर्णय से पंजाब के सिखों की भावना आहत हुई है। शिरोमणि गुरूद्वारा प्रबंधक कमेटी भी इसका पुरजोर विरोध करती है।
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