पंजाब चुनाव: 117 सीटों पर मतदान कल, 94 साल के प्रकाश सिंह बादल समेत 1304 कैंडिडेट्स की किस्मत लिखेंगे मतदाता

मतदान कल होगा। चुनाव आयोग की ओर इसकी तैयारी पूरी कर ली गई हैं। 24740 मतदान केंद्र बनाए गए हैं। इसमें से 1051 केंद्र संवेदनशील केंद्र घोषित किए गए हैं। इस बार 315 ऐसे उम्मीदवार भी चुनाव मैदान में हैं, जिनके खिलाफ अलग-अलग धाराओं में केस दर्ज हैं।

चंडीगढ़। पंजाब विधानसभा चुनाव में प्रचार खत्म हो गया है। अब मतदाताओं की बारी है- प्रत्याशियों की किस्मत लिखने की। इसके लिए चुनाव आयोग ने उन्हें मंथन करने के लिए 36 घंटे का समय दिया है। यह समय भी रविवार सुबह 7 बजे खत्म होने जा रहा है। यानी वोटिंग के लिए काउंट डाउन शुरू हो गया है। राज्य की 117 विधानसभा सीटों पर 1304 उम्मीदवार मैदान में हैं। इनके लिए पंजाब के 2,12,75,066 वोटर्स मतदान करेंगे। इनमें 1,00,86,514 महिला मतदाता हैं। देश के सबसे उम्रदराज 94 साल के उम्मीदवार प्रकाश सिंह बादल मैदान में हैं। 25 साल की आयु के 6 उम्मीदवार भी चुनाव मैदान में हैं।

मतदान कल होगा। चुनाव आयोग की ओर इसकी तैयारी पूरी कर ली गई हैं। 24740 मतदान केंद्र बनाए गए हैं। इसमें से 1051 केंद्र संवेदनशील केंद्र घोषित किए गए हैं। इस बार 315 ऐसे उम्मीदवार भी चुनाव मैदान में हैं, जिनके खिलाफ अलग-अलग धाराओं में केस दर्ज हैं। 218 प्रत्याशी तो ऐसे हैं, जिन पर गंभीर धाराओं में केस दर्ज हैं। चुनाव के नतीजे 10 मार्च को आएंगे।

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कांग्रेस में सबसे कम दागी प्रत्याशी
इस बार अकाली दल की ओर से सबसे ज्यादा दागी उम्मीदवारों को टिकट दिया गया है। 65 प्रत्याशी ऐसे हैं, जिन पर मामले दर्ज है। आम आदमी पार्टी ने 58 ऐसे प्रत्याशियों को टिकट दिया, जिन पर मामले दर्ज हैं। भाजपा के 71 में से 27 पर मामला दर्ज हैं। कांग्रेस के 117 में से 16 पर आपराधिक मामला दर्ज हैं। इस तरह से देखा जाए तो कांग्रेस में सबसे कम ऐसे प्रत्याशी हैं, जिनके खिलाफ कोई मामला दर्ज है। 

2017 में 100 प्रत्याशी आपराधिक छवि वाले थे
एडीआर के आंकड़ों के मुताबिक, पिछले विधानसभा चुनाव में कुल उम्मीदवार 1145 थे। इसमें से मात्र 100 पर ही आपराधिक मामले दर्ज थे। सात प्रत्याशी ऐसे थे, जिन पर गंभीर धाराओं में मामला दर्ज था। चुनाव प्रचार के दौरान भले ही नेता खुद को आम आदमी दिखाने की पूरी कोशिश करते रहे हों, लेकिन हकीकत यह है कि अधिकतर पार्टियों के नेता करोड़पति हैं। 

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अकाली दल में 93 प्रतिशत उम्मीदवार करोड़पति
कांग्रेस नेताओं की औसतन संपत्ति 13.3 करोड़ रुपए है जो कि सबसे ज्यादा है। दूसरे नंबर पर अकाली दल है, इनके उम्मीदवारों की औसतन संपत्ति 12.7 करोड़, भाजपा के पास औसतन 7.7 करोड़, आम आदमी पार्टी के सात करोड़ रुपए की संपत्ति है। अकाली दल में 93 फीसदी उम्मीदवार करोड़पति हैं। कांग्रेस के 91 प्रतिशत उम्मीदवार करोड़पति हैं। मायावती की बीएसपी के 80 प्रतिशत उम्मीदवार करोड़पति हैं। मायावती ने 22 प्रत्याशियों को टिकट दिया है, इसमें से 16 करोड़पति क्लब में हैं। 

भाजपा के 85 प्रतिशत करोड़पति
भाजपा ने 71 उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतारे हैं, इसमें से 60 प्रत्याशी यानी की 85 प्रतिशत करोड़पति है। पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह की पार्टी पंजाब लोक कांग्रेस 27 में से 16 प्रत्याशी करोड़पति हैं। यानी 59 प्रतिशत प्रत्याशी करोड़पति हैं।

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पूरे चुनाव में विवादित बयान रहे सुर्खियां
इस बार के चुनाव प्रचार में नेता अपने विवादित बयानों से भी खूब चर्चा में रहे। सबसे ज्यादा विवादित बयान कांग्रेस नेताओं की ओर से दिए गए। सीएम चरणजीत सिंह चन्नी के यूपी और बिहार के लोगों को भइया बोलने का विवाद देशभर में सुर्खियों में रहा। बयान पर उन्होंने माफी मांग ली, लेकिन बिहार में उनके खिलाफ केस दर्ज कराया गया है। 

मुस्तफा के बयान ने माहौल गरमाया, कुमार विश्वास ने तहलका मचाया
इसी तरह से चुनाव प्रचार के शुरुआती दौर में पूर्व डीजीपी मोहम्मद मुस्तफा ने अपनी पत्नी और चन्नी सरकार की मंत्री रजिया सुल्ताना की रैली को संबोधित करते हुए हिंदुओं पर विवादित टिप्पणी की थी। आम आदमी पार्टी पर भी आरोप लगते रहे। सबसे ज्यादा आरोप अलगाववादियों के साथ संबंधों को लेकर लगे। कुमार विश्वास के वीडियो ने खूब तहलका मचाया। 

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आप के सामने समर्थकों का वोट डलवाने की चुनौती
कुल मिलाकर इस बार पंजाब का चुनाव एक अलग ही नैरेटिव सेट करता नजर आ रहा है। यह देखने वाली बात होगी कि कौन सा दल कुर्सी तक पहुंच पाता है। लेकिन एक बात तो साफ है कि आम आदमी पार्टी ने मतदाताओं पर जबरदस्त पकड़ बनाई है। आप का समर्थन ठोक बजा कर बोलता है। अब देखना यह होगा कि इस वोकल समर्थक को वोट में आप कैसे और कितना बदल पाती है? अकाली दल ने अपना कैडर संभाल कर रखा। 

भाजपा का वोट प्रतिशत बढ़ना लगभग तय
भाजपा ने पहली बार पंजाब में अपनी पकड़ काफी मजबूत की है। पहली बार पंजाब के मतदाता को विकल्प मिला है। इसका लाभ भाजपा को मिलता नजर आ रहा है। सीट भले ही कम रहे, लेकिन वोट प्रतिशत बढ़ना लगभग तय है। किसानों के लिए भी खुद को आंकने का यह चुनाव मौका है। संयुक्त समाज मोर्चा बना कर पहली बार वोट पॉलिटिक्स में आए किसान संगठन कई सीटों पर काफी अच्छा प्रदर्शन करने जा रहे हैं। कई सीटों पर वह वोट कटुवा की भूमिका में रहेंगे। बहरहाल, अब देखना दिलचस्प होगा कि मतदाता के मन में क्या है? राजनेताओं और पार्टियों ने मतदाता को अपने पक्ष में करने की पूरी कोशिश की है। इसमें वह कितना कामयाब रहे हैं। इसका फैसला मतदाता कल करेंगे।

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