Uttarakhand किसान मंच ने कृषि कानूनों की वापसी को बताया सम्मान, अध्यक्ष बोले- उत्तराखंड में बीजेपी को करेंगे

किसान मंच के अध्यक्ष भोपाल सिंह चौधरी ने बताया कि संयुक्त किसान मोर्चा तीन कृषि कानूनों को निरस्त कराने में सफल देश भर के किसानों ने एक साल तक आंदोलन किया। इस आंदोलन में उत्तराखंड के किसानों की अहम भूमिका रही है। 

Asianet News Hindi | Published : Feb 10, 2022 9:21 AM IST

देहरादून। संयुक्त किसान मोर्चा (Sanyukt Kisan Morcha) के सदस्य और उत्तराखंड किसान मंच (Uttarakhand Kisan Manch) के अध्यक्ष भोपाल सिंह चौधरी (Bhopal Singh Chaudhary) ने कहा कि तीन कृषि कानूनों को निरस्त कराने में किसानों ने सफल आंदोलन किया है। बीजेपी सरकार इस आंदोलन के बाद तीनों कानूनों को वापस ले ली। अब कुछ किसान राजनीतिक रूप से सक्रिय हैं। पंजाब में किसान राजनीतिक दल भी बना लिए हैं। लेकिन उत्तराखंड के किसान मानते हैं कि मोदी सरकार ने कानूनों को वापस लेकर किसानों का सम्मान किया है। ऐसे में किसान यहां पर मोदी सरकार को वोट करेंगे क्योंकि हमारी भावनाओं का इस पार्टी ने ख्याल रखा है।

किसान राजनीतिक षडयंत्र नहीं करेंगे, न राजनीतिक दल बनाएंगे

किसान मंच के अध्यक्ष भोपाल सिंह चौधरी ने बताया कि संयुक्त किसान मोर्चा तीन कृषि कानूनों को निरस्त कराने में सफल देश भर के किसानों ने एक साल तक आंदोलन किया। इस आंदोलन में उत्तराखंड के किसानों की अहम भूमिका रही है। राज्य के हर जिले से लोग लगातार दिल्ली के बॉर्डर पर जाकर आंदोलन में हिस्सेदारी की संयुक्त किसान मोर्चा की स्थापना नवबर 2020 में हुई थी। देश भर के चालीस से ज्यादा किसान संगठन इसमें शामिल थे। हर राज्य को इसमें प्रतिनिधित्व दिया गया था। उन्होंने कहा कि इस आंदोलन की वजह से प्रधानमंत्री ने किसानों से माफी मांगते हुए तोनों कानूनों को वापस लेकर किसानों के त्याग का सम्मान किया। संयुक्त किसान मोर्चा में शामिल ज्यादातर संगठन की ये राय थी आंदोलन सफल हो गया है इसलिए कोई नई मांग या आंदोलन को आगे बढ़ाने का औचित्य नहीं है, लेकिन संयुक्त किसान मोर्चा के कुछ सदस्यों के मन में कुछ और ही योजना चल रही थी. कई किसान नेताओं ने इस आंदोलन की आड़ में राजनीति शुरू कर दी। पंजाब के किसान नेताओं ने तो राजनीतिक दल भी बना दिया। पश्चिम उत्तर प्रदेश में भी किसान आंदोलन से जुड़े नेता राजनीति करने में जुट गए उत्तराखंड के किसान जिन्होंने इस आदिलन में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया। उन्होंने राजनीति दल बनाने से इनकार कर दिया। संयुक्त किसान मोर्चा से जुड़े किसी संगठन या नेता चुनाव नहीं लड़ रहे हैं। लेकिन सवाल ये है कि इस चुनाव में किसानों की भूमिका क्या होनी चाहिए।

पीएम मोदी ने किया है किसानों का सम्मान

किसान मंच ने किसानों से अपील करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने तीन काले कानूनों को वापस कर किसानों का जो सम्मान किया, जिस तरह से कोरीना काल में गरीब किसानों के घरों में राशन पहुंचाया भूमिहीन किसानों और मजदूरों के खातों में पैसे भेजें। ऐसा आजादी के बाद किसी सरकार ने नहीं किया। उन्होंने कहा कि किसान आंदोलन के नाम पर दूसरे राज्यों में जो लोग राजनीतिक रोटियां सेंकने के काम कर रहे हैं वो देवभूमि के किसानों का संस्कार नहीं है। इसलिए हम उत्तराखंड के समस्त किसानों से वे अपील करते हैं कि चुनाव में भारी मतदान करें और जिस मोदी सरकार ने हमारी मांगों को पूरा किया है उसे समर्थन करें। किसान नेताओं ने कहा कि एमएसपी की मांग हमारी जारी है जिस पर सरकार चुनाव के बाद अहम फैसला लेने का आश्वासन दे चुकी है।

 

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