ऑल इंडियन सिने वर्कर्स एसोसिएशन ने मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम एक लेटर लिखा, जिसमें उन्होंने आदिपुरुष पर सवाल उठाए हैं और कहा है कि यह हमारी रामायण नहीं हैं। इसलिए इस पर तुरंत बैन लगा देना चाहिए।
एंटरटेनमेंट डेस्क. 'आदिपुरुष' (Adipurush) छिड़े विवाद की आंच इतनी तेज है कि अब फिलम इंडस्ट्री में ही इस पर बैन लगाने की मांग उठने लगी है। इस मामले में ऑल इंडियन सिने वर्कर्स एसोसिएशन (AICWA) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) को एक लेटर लिखा है और फिल्म पर प्रतिबंध लगाने की मांग की है। AICWA ने मंगलवार को प्रधानमंत्री मोदी के नाम लिखे अपने लेटर में मेंशन किया है कि यह हमारी रामायण नहीं है, इसकी स्क्रीनिंग तत्काल प्रतिबंधित की जानी चाहिए।एसोसिएशन द्वारा लिखा गया लेटर मीडिया और सोशल मीडिया में वायरल हो रहा है, जिसके विषय में लिखा है, "आदिपुरुष मूवी पर तत्काल बैन का निवेदन- यह हमारी रामायण नहीं है।"
AICWA ने की ‘आदिपुरुष’ पर बैन की मांग
लेटर में AICWA ने लिखा है, "ऑल इंडियन सिने वर्कर्स एसोसिएशन फिल्म आदिपुरुष पर बिना की मांग करता है। फिल्म का स्क्रीनप्ले और डायलॉग्स साफ़तौर पर भगवान राम और भगवान हनुमान की छवि खराब कर रहे हैं। आदिपुरुष फिल्म हिंदू और सनातन धर्म की भावनाओं को आहत कर रही है।"
भगवान राम सभी के हैं, धर्म से फर्क नहीं पड़ता
इस लेटर में यह भी लिखा गया है कि भगवान राम भारत में सभी के हैं। इससे फर्क नहीं पड़ता कि कौन किस धर्म से है।लेटर में लिखा है, "मूवी में भगवान राम का चित्रण और यहां तक कि वीडियो गेम के किरदार की तरह दिखने वाले रावण का लुक और इसके डायलॉग्स दुनियाभर में बसे भारतीयों की भावनाओं को आहत करते हैं।" इसके आगे AICWA ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से गुजारिश की है कि वे तत्काल की सिनेमाघरों और भविष्य में OTT प्लेटफॉर्म्स पर स्क्रीनिंग पर प्रतिबंध लगाने के निर्देश दें।
प्रभास को नहीं करनी चाहिए थी ऐसी अपमानजनक फिल्म
एसोसिएशन ने अपने लेटर में आगे लिखा है, "हमें डायरेक्टर (ओम राउत), राइटर (मनोज मुंतशिर शुक्ला) प्रोड्यूसर्स के खिलाफ हिंदू भावनाओं के अपमान को रोकने और भगवान श्रीराम, माता सीता और रामसेवक भगवान हनुमान की छवि बचाने के लिए FIR दर्ज कराने की जरूरत है।" लेटर में लिखा है, "प्रभास, कृति सेनन और सैफ अली खान को भारतीय सिनेमा के इतिहास में बनी ऐसी अपमानजनक फिल्म का हिस्सा नहीं बनना चाहिए था। आदिपुरुष रामायण और श्रीराम में हमारी आस्था का पूरी तरह विनाश है।"
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