9 दिन में ही थिएटर्स क्यों हटाई थी 'गैंग्स ऑफ़ वासेपुर'? 11 साल बाद छलका अनुराग कश्यप का दर्द

'गैंग्स ऑफ़ वासेपुर' का दूसरा पार्ट 8 अगस्त 2012 को रिलीज हुआ था, जबकि इसके ठीक 7 दिन बाद 15 अगस्त को 'एक था टाइगर' सिनेमाघरों में आ गई थी। अनुराग कश्यप ने 11 साल बाद अपना दर्द जाहिर किया है।

Gagan Gurjar | Published : Sep 2, 2023 4:55 PM IST

एंटरटेनमेंट डेस्क. अनुराग कश्यप की मानें तो उनकी फिल्म 'गैंग्स ऑफ़ वासेपुर' को सिर्फ 9 दिन में थिएटर से हटा दिया गया था और इसके पीछे की वजह सलमान खान की फिल्म 'एक था टाइगर' थी। दरअसल, अनुराग कश्यप एक बातचीत में बता रहे थे कि कैसे आज भी बॉक्स ऑफिस पर स्टार सिस्टम का दबदबा है। उनका कहना है कि बड़ी फ़िल्में छोटी फिल्मों की असमय और अचानक मौत की जिम्मेदार होती हैं।

9 दिन में थिएटर्स से हटा दी गई थी 'गैंग्स ऑफ़ वासेपुर'

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अनुराग कश्यप ने एक न्यूज वेबसाइट से बातचीत में कहा, "आज लोग गैंग्स ऑफ़ वासेपुर' के बारे में बहुत बात करते हैं। लेकिन इसे 9 दिनों में सिनेमाघरों से हटा दिया गया था। क्योंकि बड़ी फिल्म 'एक था टाइगर' आ रही थी। यह स्टार या प्रोड्यूसर का फैसला नहीं था और यह थिएटर्स का फैसला था। अगर उस फिल्म ने 9 दिन में 26 करोड़ रुपए कमा लिए थे तो स्पेस मिलने पर यह और कमाई करती। इसलिए सिस्टम ऐसा है और हमारे पास ज्यादा सिनेमाहॉल्स नहीं हैं।"

फिल्म बनाने की शैली अनुराग कश्यप ने क्यों बदली?

इसी बातचीत में अनुराग कश्यप ने यह भी बताया कि आखिर क्यों उन्होंने फिल्म बनाने की अपनी शैली बदल दी है। वे कहते हैं, "मैंने इस वातावरण में अपनी तरह की फ़िल्में बनाना चुना, जहां मैं समझता हूं कि यह क्यों काम करेगी और क्यों नहीं। इसलिए नतीजे भी मेरे होते हैं। कम से कम मैं दूसरों के पैसे तो नहीं खोता हूं। मैंने यह सबक सीखा है, इसलिए अपना बजट लो रखता हूं।"

साउथ बनाम नॉर्थ की बहस पर भी बोले कश्यप

अनुराग कश्यप ने बातचीत के दौरान नॉर्थ बनाम साउथ की डिबेट पर बात की। साथ ही दोनों की फिल्ममेकिंग की शैली की तुलना भी की। उन्होंने कहा, "मुझे लगता है कि हिंदी टेम्पलेट है। यह ट्रेड, बॉक्स ऑफिस, स्टार सिस्टम द्वारा कंट्रोल की जाती है। स्टार सिस्टम साउथ में भी है, लेकिन तमिल फिल्म इंडस्ट्री को देखिए, उन्होंने पहली बार फिल्म बनाने वाले के साथ 5 हिट थीं, जिनमें कोई बड़ा स्टार नहीं है। वहां एक तरह की समानता है। मलयालम में वे बहुत ज्यादा प्रमोशन नहीं करते हैं। सीधे फिल्म रिलीज कर देते हैं। तमिलनाडु में सभी बराबरी से प्रमोशन करते हैं। इसकी एक सीमा होती है। लेकिन यहां (हिंदी) बड़ी फिल्म का प्रमोशन शुरू हो जाएगा और छोटी फिल्म गायब हो जाएगी। यहां तक कि थिएटर मालिक भी स्पेस नहीं देते हैं। लेकिन वहां बराबर स्पेस दिया जाता है।

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