6 Facts: ऑस्कर नहीं तो क्या है इस अवॉर्ड का असली नाम, क्यों जीतने वालों का नहीं होता ट्रॉफी पर हक
एंटरटेनमेंट डेस्क. वर्ल्ड के सबसे बड़े अवॉर्ड मतलब 95वें अकादमी अवॉर्ड्स का आयोजन 12 मार्च को होगा। लॉस एंजेलिस के डॉल्बी थिएटर में होने वाले इस इवेंट को अकादमी ऑफ मोशन पिक्चर आर्ट्स एंड साइंसेज द्वारा आयोजित किया जाएगा। जानें कुछ अनसुनी बातें...
Rakhee Jhawar | Published : Mar 11, 2023 11:55 AM IST / Updated: Mar 13 2023, 02:31 PM IST
Fact 1. वैसे, तो ज्यादातर लोग ऑस्कर को इसी नाम से जानते हैं, लेकिन आपको बता दें यह इसका असली नाम नहीं है। खबरों की मानें तो इसका असली और ऑफिशियल नाम अकादमी अवॉर्ड ऑफ मेरिट है।
Fact 2. आपको बता दें कि ऑस्कर का सबसे पहला इवेंट 1929 में हॉलीवुड रूजवेल्ट होटल में आयोजित किया गया था। सबसे बड़ी आश्चर्य वाली बात यह है कि जिस इस इवेंट की टिकिट सिर्फ 5 डॉलर की थी और इवेंट सिर्फ 15 मिनट ही चला था।
Fact 3. ऑस्कर से जुड़ा एक चौंकाने वाला सच यह है कि विनर के पास उसकी ट्रॉफी पर पूरा हक नहीं होता है। अवॉर्ड दिए जाने से पहले एक एग्रीमेंट साइन कराया जाता है कि वो अपनी ट्रॉफी कहीं नहीं बेच सकता। इतना ही नहीं जीतने वाला अपनी ट्रॉफी 1 डॉलर में सिर्फ अकादमी को ही बेच सकता है। यह नियम 1950 से लागू है।
Fact 4. ऑस्कर अवॉर्ड से जुड़ा एक अजीब फैक्ट यह बी है कि सेकंड वर्ल्ड वॉर के बाद मेटल की कमी हो गई थी। इसी वजह से तकरीबन 3 साल तक ऑस्कर की ट्रॉफी को प्लास्टिक से बनाकर उसपर पैंट किया गया था।
Fact 5. ऑस्कर की हिस्ट्री में हॉलीवुड एक्टर केविन ओ कोनल को सबसे बड़ा लूजर माना जाता है। रिपोर्ट्स की मानें तो उन्हें तकरीबन 20 बार ऑस्कर के लिए नॉमिनेट किया गया लेकिन उनकी किस्मत इतनी खराब रही कि वह एक बार भी अवॉर्ड नहीं जीत पाए।
Fact 6. ऑस्कर से जुड़ा एक सच यह भी है कि एक बार यह अवॉर्ड नेता को दे दिया गया था। दरअसल, ब्रिटिश सरकार में इन्फार्मेशन मिनिस्टर को 1941 में उनके एक डाक्यूड्रॉमा टार्गेट फॉर टुनाइट के लिए उन्हें यह अवॉर्ड दिया गया था।