जिन पर बनी 'द एलिफेंट व्हिस्परर्स' उन्होंने खुद अब तक नहीं देखी फिल्म, बोले- हमने हाथियों को अपने बच्चों की तरह पाला

शॉर्ट फीचर डॉक्यूमेंट्री 'द एलिफेंट व्हिस्परर्स' (The Elephant Whisperers) ने ऑस्कर अवॉर्ड जीतकर इतिहास रच दिया है। यह फिल्म बेसहारा हाथी को गोद लेकर पालने वाले आदिवासी जोड़े बेल्ली और बोम्मी की कहानी है। 

Ganesh Mishra | Published : Mar 13, 2023 2:44 PM IST

The Elephant Whisperers : ऑस्कर 2023 में शॉर्ट फीचर डॉक्यूमेंट्री 'द एलिफेंट व्हिस्परर्स' (The Elephant Whisperers) ने अवॉर्ड जीतकर इतिहास रच दिया है। यह फिल्म बेसहारा हाथी को गोद लेकर पालने वाले आदिवासी जोड़े बेल्ली और बोमन की कहानी है। डॉक्यूमेंट्री में काम करने वाली बेल्ली और उनके पति बोम्मी ने एशियानेट न्यूज से बात की। इस दौरान उन्होंने कहा- हमने हाथियों को बड़ी चुनौतियों के साथ अपने बच्चों की तरह पाला है। लेकिन बावजूद इसके हम इसे मुश्किल काम नहीं मानते। उनका कहना है कि वो ऑस्कर अवॉर्ड के बारे में नहीं जानते, लेकिन उन्हें लगातार बधाइयां मिल रही हैं, जिससे वो बेहद एक्साइटेड हैं।

जंगल में मां से बिछड़े हाथी के बच्चों को पालते हैं :

बेल्ली के मुताबिक, मैंने एक मां की तरह उनकी देखभाल की है। खासतौर पर हाथी के उन बच्चों की जो जंगल में अपनी मां से बिछड़ जाते हैं। महावत परिवार से ताल्लुक रखने वाली बेल्ली के मुताबिक, रघु (हाथी) जब मेरे पास आया, तब मैं बारिश में शेड के नीचे सो रही थी। मैं उसके लिए परेशान नहीं थी। हालांकि, अब मुझे फॉरेस्ट ऑफिस में नौकरी मिल गई है। हाथी मुझसे बेहद प्यार करते हैं। वे मुझे देख लेते हैं तो मेरे पास आ जाते हैं।

कोझिकोड से गुरुवायूर तक हाथी को देखने आते हैं लोग :

बेल्ली के मुताबिक, लोग हाथी को देखने के लिए कैम्प में आते हैं। अगर मैं कैम्प में नहीं होती हूं तो वे मुझे देखने के लिए मेरे घर आते हैं और मेरे साथ फोटो खिंचवाते हैं। मेरे घर में हाथी की कई तस्वीरें हैं, जिन्हें केरल के बच्चे ले जाते हैं। बच्चे फोटो मांगते हैं तो उन्हें कैसे मना कर सकते हैं। बेल्ली के मुताबिक, हमारे पूर्वज हाथियों की सेवा करते आ रहे हैं। ये हमारे खून में है। बता दें कि बेल्ली और उनके पति बोम्मी तमिलनाडु के नीलिगिरी जिले में स्थित मुदुमलाई टाइगर रिजर्व थेपक्काडू हाथी शिविर में काम करते हैं।

जिन पर बनी उन्होंने ही नहीं देखी फिल्म :

54 साल के बोमन के मुताबिक, वो हाथियों की देखभाल में बिजी रहते हैं, जिसके चलते उन्हें अब तक डॉक्यूमेंट्री देखने का समय ही नहीं मिला है। उनका कहना है कि मैं ऑस्कर के बारे में नहीं जानता, लेकिन इतना पता है कि ये काफी मायने रखता है, क्योंकि हर कोई बधाई देते हुए ये कह रहा है कि इससे हमारे देश का गौरव बढ़ा है। बोमन के मुताबिक, हफ्तेभर पहले 3 हाथी करंट की चपेट में आ गए थे, जिसकी वजह से वो धर्मापुरी गए थे। इनमें से एक हथिनी की मौत हो गई थी। बोमन के मुताबिक, वे अब तक 84 हाथियों की देखभाल कर चुके हैं।

क्या है 'द एलिफेंट व्हिस्परर्स' की कहानी?

डायरेक्टर कार्तिकी गोंजाल्विस (Kartiki Gonsalves) की शॉर्ट फीचर डॉक्यूमेंट्री 'द एलिफेंट व्हिस्परर्स' हाथी के दो बेहसहारा बच्चों रघु और अम्मू के अलावा उन्हें पालने वाले दंपत्ति बेल्ली और बोम्मी की कहानी है। इसमें हाथी के बच्चों और इंसान के बीच प्यार और अटूट संबंध को दिखाया गया है। बता दें कि बोम्मी गंभीर समस्या से जूझ रहे एक हाथी के बच्चे को सलेम से लाए थे। बाद में उन्होंने उसका नाम रघु रखा। रघु को उन्होंने अपने बच्चे की तरह पाला। फिर उस हाथी ने कैसे इस आदिवासी जोड़े की जिंदगी बदल दी, पूरी फिल्म इसी पर बेस्ड है।

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