FACT CHECK: ये लड़की नहीं है हाथरस केस की पीड़िता, किसी और की तस्वीर वायरल कर फैलाया गया झूठ

Published : Sep 30, 2020, 05:53 PM ISTUpdated : Sep 30, 2020, 06:29 PM IST
FACT CHECK: ये लड़की नहीं है हाथरस केस की पीड़िता, किसी और की तस्वीर वायरल कर फैलाया गया झूठ

सार

पीड़िता को इंसाफ दिलाने के लिए सोशल मीडिया पर कई हैशटैग ट्रेंड कर रहे हैं। इसी बीच कई लोग गन्ने के खेत में खड़ी मुस्कुराती हुई एक लड़की की फोटो शेयर कर रहे हैं। दावा किया जा रहा है कि यही लड़की हाथरस गैंगरेप पीड़िता है। जबकि सच्चाई कुछ और है। 

फैक्ट चेक डेस्क. इस समय पूरे देश में हाथरस गैंगरेप केस को लेकर उबाल है। उत्तर प्रदेश के हाथरस में एक लड़की के साथ गैंगरेप करके निर्मम तरीके से उसकी हत्या कर दी गई। पीड़िता ने 29 सितंबर, 2020 की सुबह दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में दम तोड़ दिया। 14 सितंबर को चार लोगों ने इस 19 वर्षीय लड़की का कथित तौर सामूहिक बलात्कार किया था। पीड़िता को इंसाफ दिलाने के लिए सोशल मीडिया पर कई हैशटैग ट्रेंड कर रहे हैं। इसी बीच कई लोग गन्ने के खेत में खड़ी मुस्कुराती हुई एक लड़की की फोटो शेयर कर रहे हैं। दावा किया जा रहा है कि यही लड़की हाथरस गैंगरेप पीड़िता है। जबकि सच्चाई कुछ और है। 

फैक्ट चेक में आइए जानते हैं कि आखिर इस वायरल तस्वीर से जुड़ा सच क्या है? 

वायरल पोस्ट क्या है? 

यह दावा ट्विटर पर खूब वायरल है। मोटिवेशनल स्पीकर और यूट्यूबर गीत ने भी इस तस्वीर को हाथरस की गैंगरेप पीड़िता के नाम वाले हैशटैग के साथ शेयर किया। उन्होंने लिखा, “इस मासूम बच्ची पर क्या बीती होगी, यह सोच कर ही मेरा दिल कांप जाता है, इसका गैंगरेप हुआ, जीभ काटी गई, गर्दन और रीढ़ की हड्डी तोड़ी गई... इतना जुल्म किसी को भी न सहना पड़े! आखिर हर चीज की एक हद होती है। बदलाव आना चाहिए। अभी।” खबर लिखे जाने तक इस पोस्ट को तकरीबन 1900 लोग शेयर कर चुके थे। पोस्ट का आर्काइव्ड वर्जन यहां देखा जा सकता है।

इसी तरह एक अन्य यूजर अनु तोमर ने भी वायरल फोटो को शेयर करते हुए लिखा, “निर्भया की तरह ही उत्तर प्रदेश के हाथरस की एक 19 वर्षीय बच्ची का सामूहिक बलात्कार हुआ। उसकी जीभ काटी गई, रीढ़ की हड्डी और गर्दन को चोट पहुंचाई गई।” खबर लिखे जाने तक इस पोस्ट को तकरीबन 1800 लोग शेयर कर चुके थे।

बहुत सी लीडिंग वेबसाइट्स ने भी अपनी खबरों में वायरल तस्वीर को ही हाथरस गैंगरेप पीड़िता की तस्वीर के तौर पर इस्तेमाल किया है। ऐसा पहली बार नहीं है जब किसी पीड़ित को लेकर गलत फोटो वायरल की गई हो। सोशल मीडिया पर लोग लाइक-कमेंट्स के लिए ऐसे ही कहीं से भी तस्वीरें उठाकर पीड़ित के तौर पर शेयर करते जाते हैं। फेक न्यूज को लेकर इसलिए हम इस तस्वीर की जांच-पड़ताल कर रहे हैं।

फैक्ट चेक 

हाथरस में रहने वाले गैंगरेप पीड़िता के परिवार ने तस्वीर को पीड़िता की नहीं बताया। पीड़िता के भाई ने तस्वीर को देखकर कहा कि यह उनकी बहन नहीं है। परिवार के अन्य सदस्यों ने भी इस बात की पुष्टि की कि वायरल तस्वीर में जो लड़की गन्ने के खेत में खड़ी दिख रही है, वह कोई और ही है। सोशल मीडिया पर गन्ने के खेत में खड़ी जिस लड़की की फोटो हाथरस गैंगरेप पीड़िता के नाम से शेयर की जा रही है, वह दरअसल कोई और लड़की है। 

पीड़िता की कुछ तस्वीरें इस वायरल फोटो से मैच नहीं खाती हैं। दोनों में दिख रही लड़कियां अलग-अलग हैं। पीड़िता और वायरल तस्वीर में मौजूद लड़की की पहचान जाहिर न हो, इसलिए हमने चेहरा धुंधला कर दिया है। ऐसा पीड़ित की गरिमा और परिवार के लिए जरूरी है। सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार किसी भी यौन हिंसा पीड़ित की तस्वीरें साझा करना दंडनीय अपराध की श्रेणी में आता है। 

 

 

वायरल तस्वीर का सच

हाथरस पीड़िता के नाम पर जिस लड़की की फोटो वायरल हो रही है, दरअसल उसका नाम मनीषा यादव है जिसकी मौत चंडीगढ़ के एक अस्पताल में 22 जुलाई 2018 को इलाज के दौरान हो गई थी। मनीषा मूलत: उत्तर प्रदेश के अयोध्या की रहने वाली थी और उसके भाई अजय यादव के मुताबिक यह फोटो भी उसके गांव की ही है। अजय ने मीडिया को बताया कि बहन की शादी चंडीगढ़ में हुई थी और चंडीगढ़ के अस्पताल में इलाज के दौरान लापरवाही की वजह से उसकी जान गई थी। ये तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हुई थी जिसे हाथरस पीड़िता बताकर वायरल कर दिया गया। लोग इस झूठ पर भरोसा कर बैठे।

क्यों उजागर न करें पीड़ित का नाम-पहचान

भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 228-ए (यौन अपराध पीड़ित की पहचान उजागर करने से संबंधित) है। धारा 228 (ए) ऐसे अपराध में पीड़ित की पहचान का खुलासा करने के बारे में है। कानून में इस अपराध के लिए दो साल तक की कैद और जुर्माने की सजा का प्रावधान है।  वहीं यौन हिंसा से बच्चों का संरक्षण कानून (पॉक्सो एक्ट ) की धारा 23 में यौन हिंसा के शिकार बच्चों से संबंधित मामलों की खबरें देने के बारे में मीडिया के लिए एक प्रक्रिया निर्धारित है। इसमें भी पीड़ित की पहचान-नाम उजागर करने की मनाही है। कठुआ मामले में सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा था पीड़ित की भी गरिमा होती है जिसे बनाए रखना चाहिए।

ये निकला नतीजा 

बहरहाल, सोशल मीडिया पर लोग तस्वीर शेयर कर न्याय मांग रहे हैं इसके साथ जो फोटो शेयर की जा रही है वो 2018 में मृतक एक अलग लड़की की है। ऐसे भ्रामक दावों से बचें। 

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