Shraddha Paksha 2022: श्राद्ध पक्ष में पितरों के मोक्ष के लिए उन्हें जरूर लगाएं इन चीजों का भोग

हिंदू कैलेंडर के अनुसार अनंत चतुर्दशी के बाद पितृपक्ष या श्राद्ध आता है। इस समय विशेष रूप से तैयार भोजन तैयार करके और चढ़ाकर अपने पूर्वजों के प्रति अपना धन्यवाद व्यक्त किया जाता है। आइए हम आपको बताते हैं, कि पितृपक्ष को दौरान आपको क्या बनाना चाहिए।

Asianet News Hindi | Published : Sep 10, 2022 6:17 AM IST / Updated: Sep 10 2022, 11:54 AM IST

फूड डेस्क : 10 दिन के गणपति उत्सव के बाद 15 दिन के कड़े दिन या जिसे हम पितृपक्ष या श्राद्ध (Shraddha Paksha 2022) कहते हैं उनकी शुरुआत हो गई है। यह 10 सितंबर से शुरू होकर 25 सितंबर तक चलेंगे। इस दौरान पितरों का तर्पण और पिंड दान किए जाते हैं। उनकी श्राद्ध तिथि के दिन उन्हें खाने का भोग लगाया जाता है और इस भोग को ब्राह्मणों, गाय कुत्तों और कौवों को खिलाया जाता है। इसके बाद घर के लोग इसका सेवन करते हैं। ऐसे में आज हम आपको बताते हैं कि आपको श्राद्ध के दौरान किन चीजों का भोग अपने पूर्वजों को लगाना चाहिए, जिससे उनकी आत्मा को शांति मिले और घर में भी सुख शांति कायम रहे...

पितरों को लगाएं इन चीजों का भोग
1. पितरों का श्राद्ध उनके तिथि के अनुसार मनाया जाता है। ऐसे में इस दिन गाय के दूध से बनी चीज जैसे कि खीर, मिठाई आदि का भोग उन्हें जरूर लगाएं।

2. पितरों को अर्पण करने के लिए जौ, धान, तिल, गेहूं, मूंग, अनार, आंवला, नारियल, अंगूर, चिरौंजी, मटर, सरसों का तेल आदि का प्रयोग खाना बनाने के लिए करना चाहिए। इससे पितरों की आत्मा को शांति मिलती है।

3. श्राद्ध में खाना बनाने के दौरान जड़ से उत्पन्न होने वाली सब्जियों के सेवन की भी मनाही होती है. इसमें आलू, मूली बैंगन, अरबी और अन्य सब्जियां शामिल हैं। आप मौसमी सब्जी जैसे तोरई, लौकी, भिंडी कच्चे केले की सब्जी ही बना सकते हैं।

4. इसके अलावा श्राद्ध में भोजन के रूप में पूड़ी, मटर या छोले की तरी वाली सब्जी, कद्दू की सब्जी, खीर और घी से बने पकवान आदि जरूर बनाए जाते हैं। 

5. पितरों के लिए बनाए गए खाने में उड़द, मसूर, अरहर, चना, हींग प्याज, लहसुन, अलसी का तेल और मांसाहार का इस्तेमाल बिल्कुल नहीं किया जा सकता है। आप इस बात का विशेष ध्यान रखें।

6. इतना ही नहीं पितरों के लिए खाना बनाते समय आपको स्वच्छता का पूरा ध्यान रखना है और जूठी चीजों का प्रयोग बिल्कुल नहीं करना है। पितरों को हमेशा सात्विक भोजन का भोग ही लगाना चाहिए।

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