भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान (Indian Institute of Vegetable Research), वाराणसी, उत्तर प्रदेश में बैंगन और टमाटर (ब्रिमेटो) की दोहरी ग्राफ्टिंग को दिखाया है।
फूड डेस्क : भारत एक कृषि (Agricultural) प्रधान देश है। यहां तरह-तरह की खेती की जाती है। हाल ही में वाराणासी (Varanasi) में सब्जी की खेती की ऐसी तस्वीर सामने आई है, जिसे देखकर हर कोई हैरान है। दरअसल, उत्तर प्रदेश के वाराणसी में आईसीएआर के शोधकर्ता ग्राफ्टिंग प्रक्रिया का उपयोग करके एक पौधे में बैंगन और टमाटर (Brinjal And Tomato) दोनों उगा रहे हैं। इसे 'ब्रिमेटो' कहा जा रहा है। सीधे शब्दों में कहें तो - 'ब्रिमेटो' (Brimato) मतलब 'बैंगन + टमाटर'। यह प्रक्रिया दोहरी या एक से अधिक ग्राफ्टिंग तकनीकों का एक हिस्सा है जो सब्जियों में उत्पादकता बढ़ाने के लिए एक उपयोग की जा रही है।
आईसीएआर ने भी इस खेती की कुछ तस्वीरें ट्विटर पर शेयर की और लिखा, 'ब्रिमेटो: ग्राफ्टिंग के माध्यम से एक ही पौधे में बैंगन और टमाटर का उत्पादन करने के लिए एक आधुनिक तकनीक।' आईसीएआर की वेबसाइट पर एक रिपोर्ट में कहा गया है कि ग्राफ्टिंग ऑपरेशन तब किया गया जब बैंगन का पौधा 25-30 दिन पुराना था और टमाटर का पौधा 22-25 दिन पुराना था। इन पौध को शुरुआत में एक सप्ताह के लिए नियंत्रित वायुमंडलीय स्थिति में रखा गया था। ग्राफ्टिंग ऑपरेशन के बाद ग्राफ्ट किए गए पौधों को 15-18 दिनों में खेत में ट्रांसफर कर दिया गया।
वैज्ञानिकों का कहना है कि ब्रिमेटो के हर पौधे से करीब 3-4 किलो बैंगन और 2-3 किलो टमाटर मिल सकेगा। इससे पहले भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ने पोमेटो नामक पौधे की कलम तैयार की थी। जिससे आलू और टमाटर एक ही पौधे से मिलता था। कहा जा रहा है कि दो सब्जियों को एक साथ उगाने से इनके न्यूट्रीशन में कोई कमी नहीं आएगी। बल्कि इनके उत्पादन में लगने वाली लागत में कमी आएगी।
वैज्ञानिकों का मानना है कि शहरी और उपनगरीय क्षेत्रों में 'ब्रिमेटो' तकनीक बहुत अधिक उपज देने वाली सब्जियां हो सकती है। हालांकि, ग्राफ्टेड 'ब्रिमेटो' के व्यावसायिक उत्पादन के बारे में पता लगाने के लिए और शोध की आवश्यकता है।
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