गुजरात के मेहसाणा जिले में यह सूर्य मंदिर पुष्पावती नदी के किनारे सूर्यवंशी सोलंकी राजा भीमदेव प्रथम ने 1026 ई. में बनवाया था। इसे इस तरह बनाया गया कि सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक सूरज की किरणें जरूर पड़ती हैं। जब यह बना था तो इस मंदिर के परिसर को तीन भागों में बांटा गया- गुढ़ा मंडप (धर्मस्थल), सभा मंडाप (सभा भवन) और कुंड (जलाशय)। मंदिर का सभा मंडप 52 स्तंभों पर खड़ा है, जो एक वर्ष में 52 सप्ताह दर्शाता है। मंदिर के चारों तरफ देवी-देवताओं और अप्सराओं की मूर्तियां बनी हुई हैं।