फिटनेस टेस्ट में फेल हुई तो कबाड़ी को देनी होगी कार, 25 सितंबर से लागू हो गए नियम, देखें क्या है स्क्रेप नीति

ऑटो डेस्क । केंद्र  सरकार की एक योजना से गाड़ी मालिकों को बड़ा झटका लग सकता है। दरअसल मोदी सरकार की महत्वाकांक्षी वाहन कबाड़ नीति के तहत स्क्रैपिंग सेंटर स्थापति किए जा रहे हैं। सरकार की मंशा है कि भारत की सड़कों से जल्द से जल्द कंडम गाड़ियां हटा दी जाएं। इससे प्रदूषण पर भी नियंत्रण होगा साथ ही सड़कों पर रेंगने वाली गाड़ियों की समस्या से भी निजात मिलेगी।

Asianet News Hindi | Published : Sep 27, 2021 9:38 AM IST / Updated: Sep 27 2021, 10:26 PM IST
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फिटनेस टेस्ट में फेल हुई तो कबाड़ी को देनी होगी कार, 25 सितंबर से लागू हो गए नियम, देखें क्या है स्क्रेप नीति

इस नीति के जरिए सरकार एक्सीडेंट से होने वाली जनहानि पर भी नियंत्रण करना चाहती है। इसको लेकर बनाए गए नियम 25 सितंबर से लागू हो गए हैं। नियमानुसार  अगर आपकी पुरानी गाड़ी दो बार फिटनेस जांच में विफल हो जाती है तो वह सीधे कबाड़ में जाएगी। इस नियम के तहत  गाड़ी के एक बार फिटनेस जांच में विफल होने के बाद शुल्क देकर इसका दोबारा जांच करवा सकते हैं।
 

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फिटनेस में फेल हुई गाड़ी का करा सकते हैं दोबारा टेस्ट
केंद्र सरकार के नए नियम के मुताबिक, यदि गाड़ी मालिक फिटनेस जांच संबंधी रिजल्ट से संतुष्ट नहीं हैं तो वह इसकी दोबारा जांच करवा सकता है। इसके 15 दिन के अंदर अथॉरिटी वाहन की आंशिक या फिर से  पूर्ण जांच का ऑर्डर दे सकती है। अगर वाहन फिटनेस जांच में मानक के अनुरुप पाया जाता है तो अपीलेट अथॉरिटी ऐसे वाहनों के लिए फिटनेस सर्टिफिकेट जारी कर सकती है। इसमें अपीलेट अथॉरिटी का फैसला अंतिम और वाहन मालिकों के लिए बाध्यकारी होगा। 

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हर दो साल में लेना होगा गाड़ी का फिटनेस सर्टिफिकेट 
नए नियम के अनुसार कमर्शियल वाहनों को 8 साल तक हर दो साल में फिटनेस जांच करानी होती है। 8 साल से अधिक पुराने वाहनों का हर साल फिटनेस जांच कराना होती  है। वहीं, घरेलू गाड़ियों का 15 साल बाद रजिस्ट्रेशन रिन्यूअल किया जाता है और उसी वक्त  इनका फिटनेस जांच होता है। नियमानुसर प्रत्येक पांच साल में घरेलू उपयोग की गाड़ियों का फिटनेस टेस्ट कराना होता है।

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केंद्र की मोदी सरकार ने फिटनेस जांच सेंटर खोलने के नए नियमों की अधिसूचना जारी की है। इसके तहत कोई व्यक्ति, कंपनी, फर्म अथवा सोसायटी पंजीकृत वाहन स्क्रैपिंग सेंटर व स्कै्रपिंग यार्ड खोलने के लिए राज्य सरकार को आवेदन दे सकती है।

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स्क्रैप पॉलिसी जून 2024 से कर दी जाएगी लागू
स्क्रैपिंग सेंटर (आरवीएसएस) की निगरानी भी की जाएगी । राज्य के परिहवन आयुक्त इसका सुपरविजन करेंगे। सेंटर पर  15 साल पुराने व्यवसायिक वाहनों और 20 साल पुराने प्रायवेट व्हीकल को स्क्रैप किया जाएगा।

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सरकार की योजना के मुताबिक वह  पेट्रोल-डीजल का आयात खर्च घटाना चाहती है। इसके स्थान पर स्वच्छ ईंधन बायो फ्यूल, सीएनजी, हाइड्रोजन, एथेनॉल, मिथनॉल को बढ़ावा दिया जा रहा है। स्क्रैप पॉलिसी आगामी जून 2024 से लागू कर दी जाएगी। इस तिथि के बाद पुराने वाहन सड़कों पर नहीं दौड़ सकेंगे।

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स्क्रैपिंग पॉलिसी से आएगा हजारों करोड़ का  इंवेस्टमेंट
 स्क्रैपिंग पॉलिसी से इस इंडस्ट्री में 10,000 करोड रुपये का इंवेस्टमेंट आएगा। इससे लाखों रोजगार के मौके सृजित होंगे। वहीं नियमानुसार पुराने वाहन को स्क्रेप कराने पर एक सर्टिफिकेट मिलेगा, इसे  दिखाकर नई गाड़ी खरीदने पर रजिस्ट्रेशन शुल्क माफ हो जाएगा और रोड़ टैक्स में भी डिस्काउंट दिया जायेगा। इससे गाड़ी मालिक  को पुरानी गाडी का मैंटेनेंस कॉस्ट, रिपेरिंग कॉस्ट और कम माइलेज से होने वाले नुकसान से छुटकारा मिलेगा। 

 

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