बेटी को जिताने के लिए लालू ने इस बाहुबली से मांगी थी मदद, बना दिया था पार्टी का महासचिव, आज ये है हाल

पटना (Bihar )। बिहार विधानसभा चुनाव ( Bihar assembly elections) में हमेशा से ही बाहुबलियों का वर्चस्व रहा है। इनमें एक नाम रीतलाल(Reetlal) का भी है, जो कभी लालू प्रसाद यादव (Lalu Prasad Yadav) के करीबियों में गिने जाते थे। लेकिन, आज आरजेडी (RJD) से खुद के टिकट का जुगाड़ लगा रहे हैं। वो भी मिलता नहीं दिखा रहा। हालांकि वो टिकट नहीं मिलने पर निर्दलीय चुनाव मैदान में भी उतरने की तैयारी कर रहे हैं। बता दें कि एक ऐसा भी समय था जब खुद लालू यादव ने रीतलाल को पार्टी में महासचिव का पद दिया था। इतना ही नहीं उन्होंने अपनी बेटी मीसा भारती को चुनाव जिताने में मदद मांगी थी। हालांकि मीसा चुनाव हार गई थीं।

Asianet News Hindi | Published : Oct 6, 2020 11:23 AM IST / Updated: Oct 22 2020, 12:14 PM IST
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बेटी को जिताने के लिए लालू ने इस बाहुबली से मांगी थी मदद, बना दिया था पार्टी का महासचिव, आज ये है हाल

रीतलाल पटना के कोठवां गांव के रहने वाले हैं। 90 के दशक में पटना से लेकर दानापुर तक उनका वर्चस्व था।  बताते हैं कि रेलवे के दानापुर डिवीजन से निकलने वाले हर टेंडर पर उनका कब्जा रहता था। कहा तो यह भी जाता है कि उनके खिलाफ जाने की कोशिश करने वाला जान की कीमत चुकाता था।

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रीतलाल पहले अपने गांव के मुखिया हुआ करते थे। बताते हैं कि 30 अप्रैल 2003 को जब आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने तेल पिलावल-लाठी घुमावल रैली कर रहे थे, इसी दौरान रीतलाल ने खगौल के जमालुद्दीन चक के पास दिनदहाड़े भाजपा नेता सत्यनारायण सिंह को उनकी ही गाड़ी में गोलियों से भून दिया था।
 

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भाजपा नेता की हत्या के बाद रीतलाल तब और सुर्खियों में आ गया जब चलती ट्रेन में बख्यिारपुर के पास दो रेलवे ठेकेदारों की हत्या का आरोप लगा। इसके बाद रीतलाल ने अपने विरोधी नेऊरा निवासी चून्नू सिंह की हत्या छठ पर्व के समय घाट पर उस समय कर दी थी जब वो घाट बना रहे थे।

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चुन्नू को पुलिस का मुखबिर बताया गया था, जिसके बाद पुलिस और एसटीएफ उसके पीछे पड़ गई। लेकिन, रीतलाल तक कभी नहीं पहुंच सकी। हालांकि साल 2010 में खुद आत्मसमर्पण कर दिया और निर्दलीय चुनाव लड़ा। वह बीजेपी प्रत्याशी से हार गया। बाद में जेल से ही एमलसी बन गया था। साल 2012 में रीतलाल पर मनी लॉन्ड्र्रिंग का केस भी दर्ज किया गया था।

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भाजपा नेता की हत्या के बाद वो डॉन के नाम से जाना जाने लगा। इस घटना के बाद उसके गुर्गों ने एकबार फिर शिक्षण संस्थान के मालिक से एक करोड़ रुपए रंगदारी की मांग की थी। बता दें कि ये रंगदारी तब मांगी गई थी, जब वह पटना के बेऊर में जेल में बंद था।
 

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