टीचर की नौकरी से यूं राजनीति में आए थे उपेंद्र कुशवाहा, बड़े नेताओं की भीड़ में खुद बनाई हैसियत

Published : Sep 28, 2020, 03:50 PM IST

पटना (Bihar)। रालोसपा अध्यक्ष पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा (Upendra Kushwaha) इन दिनों सुर्खियों में हैं। हर कोई इनके बारे में जानने की कोशिश कर रहा है, क्योंकि इन दिनों राजद (RJD) से उनकी बात नहीं बन रही है। दिल्ली (Delhi) में उनकी भाजपा (BJP) के साथ-साथ कांग्रेस (Congress) नेताओं के भी संपर्क में होने की चर्चा है। शिक्षक से राजनीति में आए उपेंद्र कुशवाहा मध्यम वर्गीय किसान परिवार से ताल्लुक रखते हैं। जो, राजनीति में कई बार विपक्षी दलों को अपनी ताकत दिखाकर हैरान कर चुके हैं। जिनके बारे में आज हम आपको बता रहे हैं। 

PREV
17
टीचर की नौकरी से यूं राजनीति में आए थे उपेंद्र कुशवाहा, बड़े नेताओं की भीड़ में खुद बनाई हैसियत

वैशाली जिले के निवासी उपेंद्र कुशवाहा पहले मुजफ्फरपुर के बीआर अंबेडकर बिहार यूनिवर्सिटी से राजनीति विज्ञान में एमए किए थे। समता कॉलेज में राजनीति विज्ञान के लेक्चरर के तौर पर भी काम किए थे।(फाइल फोटो)

27


1985 में राजनीति में इंट्री लेने वाले कुशवाहा 1985 से 1988 तक लोकदल के युवा राज्य महासचिव रहे। उनकी सक्रियता को देखते हुए पार्टी ने 1988 से 1993 तक राष्ट्रीय महासचिव की जिम्मेदारी सौंप दी थी।

37

1994 में समता पार्टी का महासचिव बनने के साथ ही उपेंद्र कुशवाहा को राजनीति में महत्व मिलने लगा। इस पद पर वे 2002 तक रहे। सन 2000 से 2005 तक बिहार विधान सभा के सदस्य रहे और विधान सभा के उप नेता और फिर नेता प्रतिपक्ष भी नियुक्त किए गए।
 

47

उपेंद्र कुशवाहा जदयू से जुलाई 2010 में राज्यसभा सदस्य चुने गए। लेकिन, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से खींचतान की वजह से कार्यकाल पूरा नहीं कर पाए और राज्यसभा सदस्य पद से इस्तीफा दे दिए।

57

उपेंद्र कुशवाहा ने राष्ट्रीय लोक समता पार्टी की स्थापना 3 मार्च 2013 में की। अपनी पार्टी के नाम और झंडे का अनावरण बड़े प्रभावशाली ढंग से गांधी मैदान में एक ऐतिहासिक रैली से किए सबको हैरान कर दिया था।(फाइल फोटो)

67

फरवरी 2014 को राष्ट्रीय लोक समता पार्टी राजग (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) में शामिल हो गई। 2014 के आम चुनाव में RLSP ने बिहार से तीन सीटों सीतामढ़ी, काराकट और जहानाबाद पर चुनाव लड़ा। मोदी लहर पर सवार RLSP ने इस चुनाव में तीनों सीटों पर जीत हासिल की थी।
 

77

मोदी सरकार में साल 2014 में उन्हें ग्रामीण विकास, पंचायती राज, पेय जल और स्वच्छता मंत्रालय का राज्यमंत्री बनाया गया था। इसके बाद नवंबर में जब कैबिनेट में फेरबदल हुआ तो केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय का राज्यमंत्री बनाया गया। उपेंद्र कुशवाहा ने केंद्रीय मानव संसाधन विकास राज्यमंत्री के पद से इस्तीफे के साथ ही एनडीए से भी नाता तोड़ दिया था।

Recommended Stories