58 दिन पहले परिवार से ये वादा कर निकले थे खुर्शीद, अब बेटी ने कहा-फौज में जाकर लूंगी बदला

रोहतास (Bihar) । जम्मू-कश्मीर के बारामूला जिला के क्रेरी इलाके में आज हुए आतंकी हमले में सीआरपीएफ के जवान खुर्शीद खान (41) शहीद हो गए। वे बिक्रमगंज थाना क्षेत्र के घुसिया कला गांव निवासी स्व. श्यामुद्दीन खान के बेटे थे। उनकी शहादत की खबर आज सुबह 10 बजे परिवार को मिली। वहीं, शहीद की बीवी नगमा खातून बार-बार बेहोश हो रही। होश में आने पर एक ही रट लगा रही हैं कि उनका शौहर किसी का क्या बिगाड़ा था। वहीं, बेटी जहीदा ने रोते हुए कहा कि वे पापा के दुश्मनों से बदला फौज में शामिल होकर अवश्य लूंगी। भाई ने कहा कि 58 दिन पहले छुट्टी पूरी कर देश सेवा के लिए वापस बार्डर पर गए थे और जल्द आने का वादा किए थे।

Asianet News Hindi | Published : Aug 17, 2020 12:57 PM IST / Updated: Aug 17 2020, 06:38 PM IST

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58 दिन पहले परिवार से ये वादा कर निकले थे खुर्शीद, अब बेटी ने कहा-फौज में जाकर लूंगी बदला

परिजन बताते हैं कि 24 अक्टूबर 2001 को खुर्शीद खां सीआरपीएफ में ड्राइवर कांस्टेबल के पद पर तैनात हुए थे। श्यामुद्दीन खान के पांच पुत्रों में वह सबसे बड़े थे। भाई मुर्शीद ने बताया कि इसी वर्ष 14 मार्च को घर आए थे। 

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लॉकडाउन होने के कारण तीन माह बाद 19 जून को ड्यूटी पर गए थे। उनका फोन हमेशा आता था। पिता की मौत के बाद वे ही परिवार के कर्ता धर्ता थे। वृद्ध मां का भी ख्याल रखते थे। चार बहनों में से दो की शादी कर दिए थे और दो बहनों की शादी करनी थी। इसके अलावा पत्नी, तीन पुत्रियां और चार भाई भी है। सभी उनपर आश्रित थे। 
 

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भाई मुर्शीद ने कहा कि दो माह पहले जब भाई खुर्शीद खान ड्यूटी पर जा रहे थे तो सभी से जल्दी मिलने का वादा किया था। लेकिन, क्या पता कि अब वे अपनों से कभी नहीं मिल पाएंगे। गांव में वे खुद नहीं बल्कि उनका पार्थिव शरीर आएगा।
 

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बेटी जहीदा कहती है कि वे पापा के दुश्मनों से बदला फौज में शामिल होकर अवश्य लूंगी। वहीं, ग्रामीण कहते हैं कि खुर्शीद को कोई सामने से वार कर मारने वाला पैदा नहीं हुआ था। उनकी शहादत कभी भी बर्बाद नहीं जाएगी।

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मां रुकसाना खातून, पत्नी नगमा खातून बार-बार बेसुध हो जा रही हैं। बहन यासमीन, फिजा, भाई मुर्शीद खान, मुजीब खान, सद्दाम खान एवं मकसूद खान, पुत्री जहीदा खुर्शीद, जुबेदा खुर्शीद तथा अफसाना खुर्शीद का रो-रोकर बुरा हाल है। 

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लॉकडाउन के कारण तीन माह तक घर पर रह गए थे। परिवार में उनकी लंबी उपस्थिति से काफी खुशी थी। लंबे अंतराल पर इतने दिनों तक वह घर पर थे। लेकिन किसी को क्या पता था कि वे यह खुशी उनके साथ अंतिम बार बिताएंगे।

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