जन्मदिन विशेष : नीतीश कुमार की वो बातें, जो शायद ही जानते होंगे आप, स्कूल-शादी और परिवार के हैं सीक्रेट राज

पटना : आज बिहार (Bihar) के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) अपना 71वां जन्मदिन मना रहे हैं। इस मौके पर उन्हें देशभर से बधाईयां मिल रही हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि एक छोटे से गांव से निकलकर मुख्यमंत्री तक का सफर नीतीश के लिए इतना आसान भी नहीं था। सुशासन बाबू के नाम से जाने-पहचाने जाने वाले नीतीश कुमार का सफर काफी दिलचस्प रहा है। जेपी आंदोलन और मंडल की राजनीति से राष्ट्रीय फलक पर अपना सितारा बुलंद करने वाले नीतीश कुमार के बीच के 9 महीने छोड़े दें तो साल 2005 के बाद से वे लगातार बिहार की सत्ता की कमान अपने हाथों में थामे हुए हैं। जन्मदिन पर जानिए उनसे जुड़ी वो बातें जो शायद ही जानते होंगे आप..

Asianet News Hindi | Published : Mar 1, 2022 4:44 AM IST

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जन्मदिन विशेष : नीतीश कुमार की वो बातें, जो शायद ही जानते होंगे आप, स्कूल-शादी और परिवार के हैं सीक्रेट राज

नीतीश कुमार का जन्म एक मार्च 1951 को नालंदा के कल्याण बिगहा गांव में हुआ था। नीतीश गांव से बाहर बनने तो निकले थे इंजीनियर लेकिन राजनीतिक झुकाव ने उन्हें सोशल इंजीनियरिंग का प्रोफेसर बना दिया। नीतीश कुमार ने बिहार कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग से बीटेक की पढ़ाई की। तब उनके गांव के लोग उन्हें इंजीनियर बाबू के नाम से बुलाते थे। यह संस्थान अब NIT पटना के नाम से जाना जाता है।

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नीतीश के पिता राम लखन बाबू स्वंतत्रता सेनानी थे और वह प्यार से नीतीश कुमार को मुन्ना बुलाते थे। 'मुन्ना' अपने पिता की तरह बड़े हो रहे था और वो भी लखन बाबू की तरह राजनीति में दिलचस्पी रखते थे। यही दिलचस्पी पटना यूनिवर्सिटी की छात्र राजनीति से शुरू होकर ऐसा निकला कि बिहार की सत्ता के शीर्ष पर काबिज होकर अब तक कायम है।  नीतीश ने राजनीति के गुण जयप्रकाश नारायण, राम मनोहर लोहिया, कर्पूरी ठाकुर और जॉर्ज फर्नाडीज से सीखे थे।

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इंजीनियरिंग कॉलेज में नीतीश के दोस्त और क्लासमेट रहे अरुण सिन्हा की लिखी किताब 'नीतीश कुमारः द राइज ऑफ बिहार' में बताया गया है कि 'कॉलेज के दिनों में नीतीश कुमार राज कपूर की फिल्मों के दीवाने थे। नीतीश कुमार को 150 रुपए की स्कॉलरशिप मिला करती थी, जिससे वो हर महीने किताबें-मैगजीन खरीद लाते थे।

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नीतीश कुमार ने मंजू कुमारी सिन्हा से 22 फरवरी 1973 को इंटरकास्ट मैरिज की थी। मंजू कुमारी सिन्हा सरकारी स्कूल में टीचर थीं। नीतीश और मंजू का एक बेटा है निशांत कुमार, जो कि एक इंजीनिर हैं। मुख्यमंत्री का बेटा होने के बावजूद निशांत को कम ही लोग जानते हैं। निशांत ने बीआईटी मेसरा से इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है। 

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नीतीश कुमार सुशासन बाबू के नाम से जाने जाते हैं। उन्होंने अपने शासन काल में कई सामाजिक सुधार के कदम उठाए हैं। नीतीश के बारे में कहा जाता है कि उनकी शादी में स्वेच्छा से दहेज के तौर पर मिल रहे 22,000 रुपए को नीतीश कुमार ने ससुराल वालों को ही लौटा दिया था। धूमधाम से शादी करने की बजाय उन्होंने कोर्ट मैरिज की थी। 

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साल 2007 में जब नीतीश बिहार के मुख्यमंत्री थे तब 53 साल की उम्र में उनकी पत्नी मंजू कुमारी सिन्हा का निधन हो गया था। उन्हें नोमोनिया हुआ था और दिल्ली के मैक्स अस्पताल में कई दिनों के इलाज के बाद उन्होंने दम तोड़ दिया था। नीतीश कुमार की तीन बहनें और एक बड़े भाई है। बड़े भाई सतीश कुमार किसान हैं। उनके अलावा तीन बहनें उषा देवी, इंदु देवी और प्रभा देवी हैं। लेकिन नीतीश के परिवार के बारे में ज्यादा जानकारी उपलब्ध नहीं है, क्योंकि नीतीश ने राजनीतिक संसाधनों से परिवार को हमेशा दूर ही रखा है।

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कैबिनेट विभाग की वेबसाइट पर डाले गए संपत्ति ब्यौरे के मुताबिक नीतीश कुमार के बेटे निशांत कुमार के पास अलग-अलग बैंक खातों में एक करोड़ से ज्यादा नकद और फिक्स्ड डिपॉजिट है। जबकि सीएम नीतीश कुमार के पास किसी भी बैंक में कोई फिक्स डिपॉजिट नहीं है। नीतीश कुमार के पास एक फोर्ड कार है, जिसकी कीमत 11 लाख 32 हजार रुपए है। हालांकि उनके बेटे निशांत के पास पिता की तरह महंगी गाड़ी नहीं है। लेकिन, उनके पास एक हुंडई कार है, जिसकी कीमत 6 लाख 40 हजार रुपए है।
 

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पटना यूनिवर्सिटी में जयप्रकाश नारायण की अगुवाई में हुए छात्र आंदोलन में नीतीश कुमार का नाम पहली बार उभरा। समाजवादी धारा के नीतीश ने सन् 1977 में एंटी कांग्रेस आंदोलन के दौरान पहली बार जनता पार्टी की टिकट से हरनौत से चुनाव लड़ा लेकिन जीत नहीं पाए। लेकिन सन् 1985 में उन्होंने हरनौत से ही जीत दर्ज की और पहली बार विधायक बने। इसके बाद वे साल सन् 1987 में बिहार के युवा लोकदल के अध्यक्ष बने और सन् 1989 में उनको जनता दल की बिहार इकाई का महासचिव बना दिया गया।

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साल 1989 नीतीश कुमार के राजनीतिक करियर के लिए काफी महत्वपूर्ण रहा। इसी साल वे 9वीं लोकसभा के लिए चुने गए। यह उनका लोकसभा का पहला कार्यकाल था। साल सन् 1990 में नीतीश अप्रैल से नवंबर तक कृषि एवं सहकारी विभाग के केंद्रीय राज्य मंत्री भी रहे। इसके बाद उनका राजनीतिक कद लगातार बढ़ता गया। 1991 में एक बार फिर वे संसद पहुंचे। इसी साल नीतीश कुमार जनता दल के महासचिव बनने के साथ संसद में जनता दल के उपनेता भी बने।

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साल 2000 नीतीश कुमार के जीवन का सबसे बड़ा साल था। इसी साल तीन मार्च को नीतीश कुमार पहली बार बिहार के मुख्यमंत्री बने। हालांकि उन्हें सात दिन में ही इस्तीफा देना पड़ा लेकिन यह उनकी राजनीतिक जीवन का सबसे महत्वपूर्ण टर्निंग प्वॉइंट भी रहा। 24 नवंबर, 2005 को नीतीश दूसरी बार मुख्यमंत्री बने और बतौर सीएम पांच साल का कार्यकाल पूरा किया।

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