पटना। नीतीश कुमार एक बार फिर एनडीए छोड़कर महागठबंधन में शामिल हो गए। अक्सर राजद सरकार को जंगलराज का पर्याय बताने वाले नीतीश एक बार फिर लालू के साथ अपनी बेमेल जोड़ी को जोड़ने के लिए एक हुए हैं। नीतीश बिहार की सियासत में पलटी मारते रहे हैं। यह उनका खास अंदाज है। कभी अकेले खड़े नहीं हो सके और हमेशा दूसरे के सहारे चलने वाले नीतीश इसी के बूते 24 नवंबर 2005 से अब तक इस कुर्सी पर जमे हैं। 2017 में एनडीए से अलग होकर जदयू चुनाव में उतरी, तो उसकी हालत ऐसी हो गई कि सिर्फ दो सीट आई। बदहाली देखकर सीएम पद से इस्तीफा दिए और अपने ही मंत्री जीतनराम मांझी को कुर्सी पर बिठा गए। सोचा मांझी कठपुतली रहेंगे, मगर कुर्सी पाते ही मांझी के रंग-ढंग बदल गए। तब नीतीश ने फिर 22 फरवरी 2015 को कुर्सी छीन ली और तब से कभी इसके तो कभी उसके साथ मिलकर सीएम पद पर जमे हैं। आइए तस्वीरों के जरिए राजद के साथ उनके रिश्तों पर नजर डालते हैं।