एक ही वर्ष में दो छात्रों से बढ़कर 36 छात्र हो गए और तीसरे साल के अन्त तक यह संख्या 500 तक हो गई। फिर, 2002 में गरीब छात्रों के विशेष निवेदन पर (जो आईआईटी संयुक्त प्रवेश परीक्षा की महंगी कोचिंगों की फीस नहीं दे सकते थे) सुपर 30 कार्यक्रम प्रारम्भ किया, जिसके कारण उन्हें प्रतिष्ठा मिली।