25 Facts About Irrfan Khan: जब आतंकी घोषित हो गए थे इरफान खान, एक्टर नहीं क्रिकेटर बनने की थी चाह

मुंबई. बॉलीवुड के दिग्गज अभिनेता इरफान खान ने 53 साल की उम्र में दुनिया को अलविदा कह दिया है। मुंबई के कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी अस्पताल में उन्होंने आखिरी सांसे लीं। नशीली आंखों से अभिनय करने वाले इस एक्टर ने बिना गॉडफादर फिल्म इंडस्ट्री में जगह बनाई थी। इरफान को मंगलवार को पेट के संक्रमण के बाद शहर के एक अस्पताल की आईसीयू में भर्ती कराया गया था। कोरोना संक्रमण के बीच उन्होंने कैंसर और इंफेक्शन के कारण जान गंवा दी। उन्होंने हिंदी फिल्मों सहित हॉलीवुड में भी बहुत सी बेहतरीन फिल्मों में काम किया है। इरफान खान न सिर्फ एक मंझे हुए कलाकार थे बल्कि एक मजबूत इंसान भी थे। कैंसर से जंग लड़ते हुए उन्हें मालूम था वो नहीं बचेंगे इसलिए चिट्टियों में अपना दर्द लिखते थे। उनकी जिंदगी में सैकड़ों रहस्य रहे हैं। कभी क्रिकेटर बनने की चाह रखने वाले इरफान एक बार आतंकी भी घोषित हो चुके थे।

उनके गुजरने के बाद आइए जानते हैं इरफान खान की जिंदगी के अनसुने किस्से (25 Facts About Irrfan khan) जो शायद ही आप पहले काफी जानते होंगे-  

Asianet News Hindi | Published : Apr 29, 2020 9:43 AM IST / Updated: Apr 29 2020, 05:05 PM IST
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25 Facts About Irrfan Khan:  जब आतंकी घोषित हो गए थे इरफान खान, एक्टर नहीं क्रिकेटर बनने की थी चाह

इरफान खान (Irrfan Khan) ने अपनी शानदार एक्टिंग के बदौलत कई बार दर्शकों का दिल जीता है।

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उनका असली नाम साहबज़ादे इरफ़ान अली खान था। ये उनके बचपन की एक तस्वीर है और वो बाईं ओर बैठे हैं। वो जयपुर में एक शाही खानदान में पैदा हुए थे लेकिन उन्होंने काफी बुरा वक्त देखा।

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इरफान खान का जन्म 7 जनवरी 1967 को राजस्थान के जयपुर में एक रॉयल फैमिली में हुआ था। उनके पिता का नाम स्वर्गीय जागीरदार खान था जो टोंक जिले के खजुरिया में टायर का बिजनेस चलाते थे। उनकी मां सईदा बेगम टोंक हाकिम फैमिली से थीं। 

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इरफ़ान दो भाई और एक बहन थे। उनकी अम्मी सईदा बेगम की चंद दिनों पहले ही मौत हुई थी। लॉकडाउन के कारण वो अपनी मां के अंतिम संस्कार में शामिल नहीं हो पाए थे। 

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इरफान खान को अपने नाम में एक्स्ट्रा R पसंद आता था, इसलिए उन्होंने अपने नाम को बदलकर Irrfan कर दिया था। 

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इरफान जवानी के दिनों में क्रिकेटर बनना चाहते थे। उनके मां-बाप ने इसमें उनका सपोर्ट नहीं किया। फिर एनएसडी से स्कॉलरशिप मिलने के बाद उन्होंने एक्टिंग में जाने की ठान ली। 

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इरफान ने एमए की डिग्री ली थी, साथ ही एनएसडी से 1984 में एक्टिंग डिप्लोमा भी हासिल किया था। 

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इस एक्टर ने यूं ही शोहरत नहीं पाई थी। अपने स्ट्रगल के दौर में उन्होंने एसी तक रिपयेर करने का काम किया था। वो बताते थे कि जब वो पहली बार AC रिपेयर करने गए तो ये बॉलीवुड के लीजेंड एक्टर राजेश खन्ना का घर था। साथ ही पैसों के लिए ट्यूशन भी पढ़ाया था। उन्हें फिल्मों के लिए मुंबई में काफी स्ट्रगल करना पड़ा। 

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इरफान खान ने एनएसडी की अपनी लेखिका सहपाठी सुतापा सिकंदर से 23 फरवरी 1995 को शादी की। उनके दो बेटे हैं बाबिल और अयान। 

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इरफान खान ने अवार्ड नॉमिनेटेड फिल्म सलाम बॉम्बे से डेब्यू किया था जो 1988 में रिलीज हुई। पर इस फिल्म में उनका रोल काट दिया गया था। उनकी लंबाई को लेकर ये बात कही गई। उन्होंने करियर की शुरुआत में चाणक्य, भारत की खोज, सारा जहां हमारा, बनेगी अपनी बात, चंद्रकांता, अणुगूंज, श्रीकांत, स्टार बेस्टसेलर्स एंड स्पर्श जैसे टीवी सीरियल्स में छोटे-मोटे रोल किये थे।  

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इस फिल्म से मिली पहचान- 

इरफ़ान को पहचान मिली साल 2000 में। जब उन्होंने लंदन बेस्ड डायरेक्टर आसिफ़ कपाड़िया की ‘द वॉरियर’ में काम किया। साल 2001 में विभिन्न फिल्म फेस्टिवल्स में प्रदर्शित की गई इस फिल्म में लाफकेडिया वॉरियर के प्रमुख किरदार की भूमिका निभाने के बाद इरफान को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिलीं। साल 2005 में रोग फिल्म में उन्हें लीड रोल मिला लेकिन फिल्म खास नहीं चली। 

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इसके बाद इरफ़ान ने पीछे पलट कर नहीं देखा। उन्होंने ‘स्लमडॉग मिलेनियर’, ‘पान सिंह तोमर‘, ‘द लंचबॉक्स’ ‘किस्सा’, ‘तलवार’, ‘पीकू’ जैसी फिल्मों में  जमकर सराहना बटोरी। 2017 में इरफ़ान ख़ान की तीन हिट फिल्में ‘मदारी’, ‘हिंदी मीडियम’ और ‘करीब-करीब सिंगल’ ने बॉक्स ऑफिस पर अच्छी कमाई की। 

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इरफान ने हॉलीवुड में ‘स्पाइडर मैन’, ‘जूरासिक वर्ल्ड’, ‘इन्फर्नो’’ के अलावा कई अन्य अंतर्राष्ट्रीय स्तर के प्रोजेक्ट में भी शानदार काम किया। अपनी एक्टिंग से इरफ़ान ने नेशनल फिल्म अवार्ड भी जीता। उन्हें पान सिंह तोमर के लिए नेशनल अवार्ड मिला था।

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इरफान इस्लाम और और धर्म की कट्टरता को लेकर हमेशा बेबाक बयान देते थे। एक बार उन्होंने कुर्बानी से जुड़ा बयान बवाल मचा दिया था। इस्लामिक धर्मगुरुओं ने उनके खिलाफ मोर्चा खोल दिया था। धर्मगुरुओं ने इरफान को अपना काम पर ध्यान लगाने और धार्मिक मामलों में ना पड़ने की सलाह दी है। हालांकि इरफान का कहना था कि वह धर्मगुरुओं से डरने वाले नहीं हैं। वह ऐसे देश में नहीं रहते जिसे धर्म के ठेकेदार चलाते हैं।

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इरफान खान एक मनमोजी इंसान भी रहे हैं, वो गंभीर थे और हंसमुख भी। उनकी एक अजीब ख्वाहिश थी अपनी मां के लिए नोटों से भरा सूटकेस देना। वो चाहते थे कि जैसे फिल्मों में पैसों से भरा सूटकेस देते हैं वैसे ही मैं अपनी मां को ऐसा सूटकेस दूं। 

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इरफान खान साल 2011 में कला क्षेत्र में अपने योगदान के लिए पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किए गए थे। 

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एक बार इरफान खान आतंकवादी घोषित हो गए। अमेरिका के एयरपोर्ट पर उन्हें रोक लिया गया और तलाशी ली गई। ये उनके नाम की वजह से नहीं बल्कि उनकी शक्ल एक खूंखार आतंकवादी से मिल रही थी। बाद में गलतफहमी दूर हुई तो माफी और पूरे सम्मान के साथ उन्हें जाने दिया। 

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इरफान को मिस्टर परफेक्शनिस्ट कह सकते हैं, वो कोई फिल्म या डायलॉग जब तक अच्छे से लिखवा नहीं लेते नहीं करते थे। उनकी पत्नी ने एक बार बताया था कि एक फिल्म को स्क्रीप्ट को उन्होंने लगभग 11 बार रिराइट करवाया था। 

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इरफान हिंदी सिनेमा के इकलौते अभिनेता हैं जिन्हें एकेडेमी अवॉर्डस जीते हैं  Slumdog Millionare (2008) और Life of Pie (2012) के लिए उन्होंने ये अवॉर्ड अपने नाम किए। कान्स फिल्म फेस्टिवल में उनकी फिल्म लंच बॉक्स को सिने च्वाइस अवॉर्ड मिला। 

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इरफान खान को साल 2012 में बेस्ट एक्टर का नेशनल फिल्म अवॉर्ड से मिला था। पान सिंह तोमर के लिए उन्हें फिल्म फेयर क्रिटिक का बेस्ट एक्टर अवॉर्ड मिला था। उन्होंने तीन  इंटरनेशनल इंडियन फिल्म एकेडमी अवॉर्ड अपने नाम किए हैं। उन्हें 2017 में हिंदी मीडियम के लिए बेस्ट एक्टर का फिल्म फेयर अवॉर्ड मिला। 

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