जब 4 साल के सलमान को पापा की वजह से भुगतनी पड़ी सजा, सलीम को हुआ गलती का अहसास तो किया था ये काम

मुंबई.  सलमान खान के पापा और हिंदी फिल्मों के मशहूर स्क्रिप्ट राइटर सलीम खान 84 साल के हो गए हैं। सलीम खान का जन्म 24 नवंबर 1935 को इंदौर में हुआ था। उनके पिता पुलिस में थे। कच्ची उम्र में ही सलीम खान के सिर से मां का साया उठ गया। 1964 में सलीम खान ने महाराष्ट्र की ब्राह्मण लड़की सुशीला चरक से शादी की। शादी के बाद सुशीला ने नाम बदलकर सलमा रख लिया था। सलीम की जिंगदी के जुड़े कई किस्से मशहूर थे। आज उनके जन्मदिन के मौके पर आपको एक दिलचस्प किस्सा बताने जा रहे हैं।

Asianet News Hindi | Published : Nov 24, 2019 8:21 AM IST

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जब 4 साल के सलमान को पापा की वजह से भुगतनी पड़ी सजा, सलीम को हुआ गलती का अहसास तो किया था ये काम
सलीम की जिंदगी से जुड़ा एक किस्सा उनके बेटे सलमान खान के स्कूल के दिनों का है। कुछ महीने पहले जब सलीम-सलमान द कपिल शर्मा शो में पहुंचे थे तो उन्होंने अपनी कहानी बताई थी। सलमान ने बताया था कि उनके पिता को उनकी जगह सजा मिली थी।
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सलमान ने बताया था कि वो बचपन में बहुत शैतान थे। इसलिए उनको अक्सर मार पड़ती रहती थी। जब वे चौथी क्लास में थे। उन्हें टीचर ने क्लास के बाहर खड़ा कर दिया था। पापा सलीम तब किसी काम की वजह से स्कूल के पास से गुजरे तो उन्होंने सलमान को बाहर खड़ा हुआ देखा। उन्हें लगा कि सलमान ने फिर कोई शैतानी की होगी। सलीम ने जाकर सलमान से पूछा कि वो क्यों खड़े हैं?
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सलमान ने जवाब दिया कि उन्हें इस बारे में नहीं पता। तब सलीम खान स्कूल के प्रिंसिपल के पास गए और पूछा कि सलमान को क्यों सजा दी गई है? प्रिंसिपल ने जवाब दिया उनकी स्कूल फीस समय पर जमा नहीं हुई है, इसलिए उन्हें सजा दी गई है।
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सलीम ने प्रिंसिपल से कहा कि फीस न भर पाना उनकी गलती है न कि बेटे की। सलमान को क्लास में बैठना चाहिए और उन्हें सलमान की जगह पर सजा निलना चाहिए। उसके बाद सलीम सजा में तब तक खड़े रहे जब तक स्कूल की छुट्टी नहीं हुई।
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बहुत कम लोग ही ये बात जानते हैं कि सलीम खान मुंबई एक्टर बनने के इरादे से आए थे। शुरुआत में उन्हें छोटे-मोटे किरदारों के लिए 400 रुपए प्रतिमाह के वेतन पर नौकरी मिल गई थी। उन्होंने करीब 14 फिल्मों में छोटे-मोटे रोल भी किए, लेकिन बतौर एक्टर कुछ खास बात नहीं बन पाई। सलीम खान बतौर एक्टर जिन फिल्मों में नजर आए, उनमें 1966 में ‘तीसरी मंजिल’ और ‘सरहदी लुटेरा’, 1967 में ‘दीवाना’ और 1977 में ‘वफादार’ प्रमुख हैं।
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