मुनाफाखोरी कर रही थी बाबा रामदेव की पंतजलि आयुर्वेद, अब ब्याज संग भरना पड़ेगा करोड़ों का जुर्माना

नई दिल्ली। बाबा रामदेव की आयुर्वेद कंपनी पतंजलि आयुर्वेद को लेकर नया मामला सामने आया है। ग्राहकों को लेकर पतंजलि आयुर्वेद की गलती की वजह से उसपर करोड़ों का जुर्माना लग गया है। फाइनेंशियल एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक पतंजलि आयुर्वेद ने जीएसटी दरों मे कटौती के बावजूद अपने ग्राहकों को इसका फायदा नहीं पहुंचाया। 

Asianet News Hindi | Published : Mar 17, 2020 9:09 AM IST / Updated: Mar 17 2020, 03:46 PM IST
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मुनाफाखोरी कर रही थी बाबा रामदेव की पंतजलि आयुर्वेद, अब ब्याज संग भरना पड़ेगा करोड़ों का जुर्माना
ग्राहकों को जीएसटी में कटौती का फायदा नहीं पहुंचाने को लेकर नेशनल एंटी प्रॉफिटिंग अथारिटी ने बाबा रामदेव की पतंजलि आयुर्वेद को दोषी ठहराते हुए 75.08 करोड़ रुपये का भारी भरकम जुर्माना लगाया है।
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फाइनेंशियल एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक 2017 में कई उत्पादों पर जीएसटी के रेट्स 28 से घटाकर 18 फीसदी कर दी गई थी। लेकिन इस कवायद के बावजूद पतंजलि आयुर्वेद ने दायरे में आने वाले प्रोडक्ट्स की कीमतें कम नहीं कीं। उल्टे वाशिंग पाउडर की बेस कीमत को और बढ़ा दिया।
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इस बारे में नेशनल एंटी प्रॉफिटिंग अथारिटी ने कहा, पतंजलि ने वाशिंग पाउडर का बिक्री मल्य कम नहीं किया। कंपनी ने सामानों के बेस प्राइस में बढ़ोतरी कर दी। इस कवायद में पतंजलि आयुर्वेद ने प्रोडक्ट्स बेचकर ग्राहकों से 74.08 करोड़ रुपये का मुनाफा कमाया।
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दोषी पाने के बाद एंटी प्रॉफिटिंग कमिटी ने पतंजलि आयुर्वेद को 74.08 करोड़ रुपये 18 फीसदी ब्याज के साथ केंद्र और राज्यों के कंज्यूमर वेलफेयर फंड्स में जमा करने का आदेश दिया है। कमिटी ने तीन महीने के अंदर पैसे जमा करने को कहा है। कंपनी पर ये कार्रवाई मुनाफाखोरी रोकने के लिए बनाए गए प्रावधानों के तहत की है। नेस्ले, डव जैसी कंपनियों पर भी ऐसी ही कार्रवाई हुई है।
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एंटी प्रॉफिटिंग कमिटी के मुताबिक पतंजलि ने तर्क दिया कि जीएसटी लागू होने के बाद नुकसान उठाना पड़ा था और कंपनी ने रेट बढ़ने के बावजूद कीमतें नहीं बढ़ाई थीं। हालांकि पतंजलि के इस तर्क को खारिज कर दिया गया। एंटी प्रॉफिटिंग कमिटी के मुताबिक कीमतें नहीं बढ़ाना पतंजलि का कारोबारी फैसला था। इसे ग्राहकों तक टैक्स कटौती का फायदा नहीं पहुचाने की वजह नहीं बनाया सकता है।
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पतंजलि आयुर्वेद ने 19(1)(g)के तहत जांच पर भी सवाल उठाए थे। हालांकि एंटी प्रॉफिटिंग कमिटी ने इसे भी खारिज कर दिया। (तस्वीरों का इस्तेमाल स्टोरी प्रेजेंटेशन के लिए किया गया है।)
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