महिला होने की वजह से कोई नहीं था नौकरी देने को तैयार, फिर अपने बल बूते बनाई 50 हजार करोड़ की कंपनी

बिजनेस डेस्क। पद्मश्री और पद्म भूषण से सम्मानित देश की प्रमुख फार्मा कंपनी बायोकॉन लिमिटेड की चेयरपर्सन किरण मजूमदार शॉ कोरोना से संक्रमित हो गई हैं। उन्होंने खुद ट्वीट कर के इसकी जानकारी दी है। अपने ट्वीट में उन्होंने कहा है कि उनके कोरोना टेस्ट की रिपोर्ट पॉजिटिव आई है। इस बीमारी के कुछ मामूली लक्षण उनमें दिखे थे, जिसके बाद उन्होंने टेस्ट कराया। किरण मजूमदार की जिंदगी बहुत संघर्ष से भरी रही है। किसी को भी यह जान कर हैरानी होगी कि उन्होंने बायोकॉन लिमिटेड की शुरुआत महज 1200 रुपए से की थी, जो आज 50 हजार करोड़ की कंपनी बन चुकी है। जानते हैं उनकी सक्सेस स्टोरी के बारे में। 
(फाइल फोटो)
 

Asianet News Hindi | Published : Aug 18, 2020 6:18 AM IST

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महिला होने की वजह से कोई नहीं था नौकरी देने को तैयार, फिर अपने बल बूते बनाई 50 हजार करोड़ की कंपनी

फोर्ब्स की लिस्ट में हो चुकी हैं शामिल
किरण मजूमदार को फोर्ब्स मैगजीन ने दुनिया की 100 सबसे शक्तिशाली महिलाओं की लिस्ट में शामिल किया था। लेकिन एक ऐसा भी समय था, जब सिर्फ महिला होने की वजह से कई कंपनियों ने उन्हें नौकरी देने से मना कर दिया था। इसके बाद उन्होंने अपना कारोबार शुरू करने का निर्णय लिया और 1200 रुपए से कारोबार की शुरुआत की, जो अभी 50 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा की कंपनी बन गई है। 
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ऑस्ट्रेलिया में की थी पढ़ाई
बेंगलुरु के एक मिडल क्लास फैमिली में जन्मीं किरण मजूमदार ने ऑस्ट्रेलिया की फेडरेशन यूनिवर्सिटी से बिजनेस की पढ़ाई की है। साल 1978 में उन्होंने इस यूनिवर्सिटी से शराब निर्माण में मास्टर्स की डिग्री ली थी।(फाइल फोटो)

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भारत की किसी कंपनी में नहीं मिली नौकरी
जब ऑस्ट्रेलिया से शराब निर्माण में मास्टर्स की डिग्री लेकर लौटीं तो उस समय उनकी उम्र सिर्फ 25 साल थी। उन्होंने शराब और बियर बनाने वाली कई कंपनियों में नौकरी के लिए अप्लाई किया, पर महिला होने की वजह से इस क्षेत्र में उन्हें नौकरी नहीं मिली।
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चली गईं स्कॉटलैंड
इसके बाद किरण मजूमदार स्कॉटलैंड चली गईं। स्कॉटलैंड में शराब बनाने की कई विश्व प्रसिद्ध कंपनियां हैं। वहां उन्होंने ब्रूवर की नौकरी शुरू की। स्कॉटलैंड में नौकरी करते हुए ही कुछ ऐसा हुआ कि आगे चल कर उन्होंने बायोकॉन की स्थापना की।
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कैसे की कंपनी इस्टैब्लिश
स्कॉटलैंड में काम करने के दौरान उनकी मुलाकात आइरिश कारोबारी लेस्टी ऑचिनक्लॉस से हुई। लेस्ली भारत में फार्मा सेक्टर में कारोबार शुरू करना चाहते थे। किरण मजूमदर के काम से प्रभावित होने की वजह से लेस्ली ने उन्हें भारत में फार्मा कंपनी खोलने और उसकी जिम्मेदारी संभालने का ऑफर दिया। 
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स्वीकार किया ऑफर
किरण मजूमदार को इस क्षेत्र का कोई अनुभव नहीं था। इसलिए उनके मन में थोड़ी हिचकिचाहट थी, लेकिन लेस्ली ने उन्हें कारोबार संभालने के लिए मना ही लिया। इसके बाद 1978 में बायोकॉन लिमिटेड की स्थापना हुई।
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मिल चुके हैं कई सम्मान
किरण मजूमदार को उनकी उपलब्धियों के लिए कई सम्मान मिल चुके हैं। भारत सरकार ने उन्हें पद्मश्री और पद्म भूषण अवॉर्ड से सम्मानित किया है। हाल ही में किरण मजूमदर शॉ को ऑस्ट्रेलिया के सर्वोच्च नागरिकता अवॉर्ड से सम्मानित किया गया है।
(फाइल फोटो)  
 

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