बिना ड्राइवर के ट्रैक्टर-खेतों में ड्रोन से छिड़काव, सोचिए कितने अमीर होंगे इस देश के किसान
जापान दुनिया भर में अपनी एडवांस टैक्नोलॉजी के लिए प्रसिद्ध है। फिर चाहे वो इलेक्ट्रॉनिक आइटम हो, वाहन हो या फिर खेती किसानी। हर क्षेत्र में अपना लोहा मनवा चुके जापान ने वैज्ञानिक तरीके से खेती करके एक और उदहारण पेश किया है। यूकी मोरी अपने फल और सब्जियां मैदान में नहीं उगाते हैं। उन्हें इसके लिए खेत की ज़रूरत भी नहीं होती। दरअसल जापानी वैज्ञानिक यूकी मोरी अपने फल और सब्जियों को एक पॉलीमर फ़िल्म पर उगाते हैं। यह पॉलीमर से स्पष्ट होता है कि इसकी परतों को आसानी से पार किया जा सकता है। इतना ही नहीं यहां सब्जियां किसी भी वातावरण में उग सकती हैं। इस तकनीक में परंपरागत खेती की तुलना में 90 प्रतिशत कम पानी खर्च होता है। इसमें किसी कीटनाशक की ज़रूरत भी नहीं होती है क्योंकि पॉलीमर खुद से वायरस और बैक्टीरिया को रोकने में सक्षम होता है। आइए जानते हैं इसके बारे में...
Asianet News Hindi | Published : Oct 15, 2019 10:40 AM IST / Updated: Oct 17 2019, 02:26 PM IST
इस फ़िल्म को सबसे पहले इंसानी शरीर के बेहद अहम अंग किडनी के इलाज के लिए विकसित किया गया था। इस पॉलीमर फ़िल्म के सबसे ऊपरी सतह पर पौधे उगते हैं, जहां पानी और पोषक तत्व जमा हो सकते हैं। जापान में खेती के लिए ड्रोन का इस्तेमाल किया जा रहा है।
मोरी की कंपनी मेबॉयल ने इस खोज के पेंटेंट का 120 देशों में पंजीयन करा लिया है। इससे जापान में चल रही कृषि क्रांति का अंदाजा होता है। दरअसल ऑर्टफिशियल इंटेलिजेंस, इंटरनेट ऑफ़ थिंग्स और अत्याधुनिक तकनीकों की मदद से खेतों को तकनीकी केंद्रों में तब्दील किया जा रहा है।
बिना मिट्टी के उगाई गई सब्जियों को दिखाती जापानी महिला। जल संसाधान विकास को लेकर यूएन की वर्ल्ड रिपोर्ट में अनुमान लगाया है कि पर्यावरण क्षरण और जल संसाधन में कमी की मौजूदा दर जारी रही तो 2050 तक अनाज उत्पादन में 40 प्रतिशत की गिरावट हो सकती है जबकि ग्लोबल जीडीपी में 45 प्रतिशत की कमी संभव है।
पॉलिमर का मतलब है कि अब कीटनाशकों की ज़रूरत ही नहीं है। तस्वीर में आप देख सकते हैं कि बिना मिट्टी के टमाटर के पौधे उगाए जा रहे हैं।
ये रोबोट ट्रैक्टर रिमोट से नियंत्रित किए जा सकते हैं और अगर रास्ते में कोई रोक या बाधा आती है तो इसे जीपीएस की मदद से नैविगेट किया जा सकता है। जापान सरकार अभी खेती किसानी में मदद करने में सक्षम 20 तरह के रोबोट को विकसित करने के लिए अनुदान मुहैया करा रही है। ये रोबोट फसल की बुआई से लेकर कटाई तक में हाथ बंटाने वाले होंगे।
जापान की भौगोलिक स्थिति, जापान की खेती किसानी को काफी हद तक प्रभावित करती है। जापान अपनी ज़रूरत का महज 40 प्रतिशत अन्न उत्पादित करता है। जापान के ज़मीनी हिस्से का 85 प्रतिशत हिस्सा पर्वतीय है। खेती उपयुक्त जमीन के अधिकांश हिस्से में धान की खेती होती है।
सरकार की कोशिश अर्थव्यस्था के कृषि सेक्टर में काम करने वाले लोगों की संख्या बढ़ाने की भी है। बीते एक दशक में, जापानी में कृषि उत्पादन के क्षेत्र में लगे लोगों की संख्या 22 लाख से गिरकर 17 लाख रह गई है। इसमें से ज़्यादातर श्रमिकों की औसत आयु 67 साल की हो चुकी है और अधिकतर किसान पार्ट टाइम काम करते हैं।
बिना ज़मीन के पौधों को उगाने की तकनीक, जिसमें खनिज और पोषक तत्वों का इस्तेमाल पानी के घोल में करते हैं। इसके अलावा जापान अब फल और सब्जियां भी इन तकनीकों की मदद से उगा रहा है। फर्श से लेकर छत तक शेल्फ बनाकर खेती करने के मामले में चिभा का मिराई समूह सबसे बेहतर काम कर रहा है। यह समूह हर दिन के लिहाज से 10 हज़ार लोगों के लिए सलाद में इस्तेमाल होने वाले लेट्यूस उगाता है।