जानें क्या होते हैं फ्लोटर फंड, हाई रिटर्न के लिए निवेशक जमकर लगा रहे हैं पैसा, मोटी कमाई की है उम्मीद
बिजनेस डेस्क। स्मॉल सेविंग्स स्कीम्स का अपना महत्व है। इसमें लोग बिना किसी रिस्क के निवेश करते हैं और समय आने पर उन्हें इसका फायदा भी मिलता है। वहीं, ऐसे इन्वेस्टर्स की भी कमी नहीं है, जो हाई रिटर्न के लिए म्यूचुअल फंड्स (Mutual Funds) में पैसा लगाते हैं। इसमें मार्केट के उतार-चढ़ाव के हिसाब से कुछ रिस्क को जरूर होता है, लेकिन मुनाफा भी तगड़ा मिलता है। हाल के दिनों में म्यूचुअल फंड की एक कैटेगरी फ्लोटर फंड (Floating Fund) की तरफ निवेशकों का आकर्षण बढ़ा है। एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड्स ऑफ इंडिया (AMFI) के आंकड़ों के मुताबिक, जनवरी 2021 में निवेशकों ने डेट म्यूचुअल फंड से 33,408 करोड़ रुपए निकाले, वहीं फ्लोटर फंड में 3,128 करोड़ रुपए का इनफ्लो हुआ। जानें इसके बारे में।
(फाइल फोटो)
जनवरी में इक्विटी में भी निवेशकों ने जमकर बिकवाली की थी। दरअसल, आगे ब्याज दरों के बढ़ने की संभावना होने की वजह से निवेशक म्यूचुअल फंड के फ्लोटर फंड में निवेश कर रहे हैं। इस कैटेगरी के एसेट अंडर मैनेजमेंट (AUM) में मई 2020 में करीब 32,481 करोड़ रुपए की तुलना में राशि बढ़कर जनवरी 2021 में 62,638 करोड़ रुपए हो गई है। (फाइल फोटो)
फ्लोटर फंड फ्लोटिंग रेट इंस्ट्रूमेंट्स में अपनी कुल संपत्ति का कम से कम 65 फीसदी निवेश करते हैं। इन फंड्स को बढ़ रहे ब्याज दर से फायदा मिलता है। जब ब्याज दरें बढ़ती हैं, ऐसे इंस्ट्रूमेंट्स पर कूपन को एडजस्ट किया जाता है। इससे इन्हें बढ़ी ब्याज दरों का फायदा मिलता है। (फाइल फोटो)
भारतीय डेट मार्केट में फ्लोटिंग रेट इंस्ट्रूमेंट्स की कमी को देखते हुए ये फंड फिक्स्ड कूपन बॉन्ड में निवेश करते हैं। फिक्स्ड रेट रिसीवेबल्स को फ्लोटिंग रेट में बदलने के लिए ब्याज दर स्वैप जैसे डेरिवेटिव इंस्ट्रूमेंट्स का इस्तेमाल करते हैं। (फाइल फोटो)
हाल के दिनों में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) द्वारा दरों में लगातार कटौती और दूसरे उपायों के बाद ब्याज दरें कई साल के लो पर हैं। आने वाले दिनों में रिजर्व बैंक द्वारा किए जा रहे इस तरह के सपोर्ट में कटौती की संभावना है। इससे ब्याज दरों में बढ़ोत्तरी देखने को मिल सकती है। यही वजह है रि फ्लोटर फंड कैटेगरी की तरफ निवेशकों का आकर्षण बढ़ा है। (फाइल फोटो)
फ्लोटिंग फंड AAA-रेटेड इंस्ट्रूमेंट्स में निवेश करते हैं। इस कैटेगरी में एक साल का रिटर्न करीब 7.8 फीसदी रहा है। 2 साल का औसत रिटर्न 8.48 फीसदी और 3 साल के लिए औसत रिटर्न 8.19 फीसदी रहा है। मौजूदा समय में ये फंड और भी बेहतर रिटर्न दे सकते हैं। (फाइल फोटो)
फ्लोटर फंड एक नई कैटेगरी है। फिलहाल इसमें 8 फंड हैं। इस कैटेगरी में ज्यादातर कॉरपोरेट्स और एचएनआई हैं। ऐसे में, रिटेल निवेशकों के लिए डिफॉल्ट या क्रेडिट रिस्क को समझना जरूरी है। फ्लोटर फंड पर ब्याज दरों का काफी असर पड़ता है। इसलिए जब ब्याज दरों में बदलाव होता है, तो रिटर्न में उतार-चढ़ाव होता है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि फ्लोटर फंड से मिलने वाला रिटर्न आगे और बढ़ने की उम्मीद है। वहीं, निवेश करने के पहले निवेशकों को फंड के पोर्टफोलियो और क्वालिटी को देखना चाहिए। (फाइल फोटो)