हम बात कर रहे हैं आई. ए. एस. रमेश घोलप की जो आज उन युवाओं के लिए प्रेरणा हैं जो सिविल सर्विसेज में भर्ती होना चाहते हैं। रमेश को बचपन में बाएं पैर में पोलियो हो गया था और परिवार की आर्थिक स्थिति इतनी खराब थी कि रमेश को अपनी मां के साथ सड़कों पर चूड़ियां बेचना पड़ा था।
लेकिन रमेश ने हर मुश्किल को मात दी और आई ए एस (IAS) अफसर बनकर दिखाया। इतना ही नहीं वो अपने अपनी मां को अपने दफ्तर भी लेकर गए।