मैंने इस विषय को तत्काल संज्ञान में लिया और संबंधित अधिकारियों से चर्चा कर उनके रहने के लिए उचित स्थान और राशन की व्यवस्था करवाई। इन बेसहारा और वक़्त के मारे श्रमिकों की मदद करना ही हमारा कर्त्तव्य है। मैंने स्वयं अपने जीवन में गरीबी का विभस्त रूप देखा है इसलिए आज जब मदद करना मेरे लिए संभव है तो मैं इस मौके को किसी भी हाल में छोड़ना नहीं चाहता।”
आईपीएस कुमार आशीष ने अपने शुरूआती जीवन में बहुंत संघर्ष किया है। उन्होंने बताया, ‘‘मैंने गरीबी, संघर्ष और संसाधनों के अभाव को बहुत करीब से देखा भी है और महसूस भी किया है, इसलिए किसी भी बेसहारा व्यक्ति को देखता हूँ तो तत्काल मदद के लिए हाथ आगे बढ़ाता हूँ।