सार
JEE एडवांस्ड परीक्षा में प्रयासों की संख्या घटाने के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई के लिए तैयार हो गया है। जानिए इस फैसले का छात्रों के भविष्य पर क्या असर पड़ेगा, क्या नियम बदलेगा?
JEE-Advanced: IIT में एडमिशन से जुड़ी एक नई याचिका सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई है, जिसमें JEE एडवांस्ड परीक्षा में प्रयासों की संख्या 3 से घटाकर 2 करने के फैसले को चुनौती दी गई है। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को इस मामले की सुनवाई करने पर सहमति जताई। यह मामला जस्टिस बी.आर. गवई और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की बेंच के सामने आया। याचिकाकर्ता के वकील ने कहा, "यह मामला IIT एडमिशन प्रक्रिया से जुड़ा है, जहां JEE एडवांस्ड के लिए प्रयासों की सीमा को अचानक कम कर दिया गया है।" वकील ने बताया कि इससे पहले 10 जनवरी को भी इसी विषय पर एक याचिका लगाई गई थी, जिसे मौजूदा याचिका के साथ जोड़ने का निर्देश दिया गया था।
क्या है याचिका में?
यह याचिका अधिवक्ता संजीत कुमार त्रिवेदी के माध्यम से दाखिल की गई है। इसमें आरोप लगाया गया है कि JEE एडवांस्ड परीक्षा आयोजित करने वाली ज्वाइंट एडमिशन बोर्ड (JAB) ने छात्रों के लिए पात्रता मानदंड को "मनमाने तरीके" से बदला है। याचिका में कहा गया, "JAB ने 5 नवंबर, 2024 को एक प्रेस रिलीज में JEE एडवांस्ड के लिए तीन प्रयासों की अनुमति दी थी। लेकिन सिर्फ 13 दिन बाद, 18 नवंबर, 2024 को अचानक इसे बदलकर दो प्रयास कर दिए गए।"
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छात्रों पर इस फैसले का असर
याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि इस अचानक बदलाव ने हजारों छात्रों को प्रभावित किया है। "ऐसे कई छात्रों को, जिनके पास IIT में प्रवेश पाने का आखिरी मौका था, अब इस फैसले के कारण मौका गंवाना पड़ेगा,"।
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क्या हैं आरोप?
याचिका में दलील दी गई है कि यह फैसला प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों के खिलाफ है। इसके अलावा, इसे छात्रों की "वैध अपेक्षाओं और वादों के उल्लंघन" के रूप में बताया गया है। याचिका में सुप्रीम कोर्ट से 18 नवंबर, 2024 के प्रेस रिलीज को रद्द करने की मांग की है। इसके अनुसार, "यह फैसला न केवल छात्रों के भविष्य के साथ अन्याय है, बल्कि उन्हें 2025 की JEE एडवांस्ड परीक्षा से बाहर कर देता है।" अब सुप्रीम कोर्ट यह तय करेगा कि JEE एडवांस्ड की पात्रता को लेकर यह बदलाव छात्रों के हितों के खिलाफ है या नहीं।
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