इन सबके बीच, डॉ. सिंह ने अपने बालों को काटने का फैसला किया और इसे एक एनजीओ को दान कर दिया, जो कैंसर रोगियों के लिए विग बनाता है। हालांकि,ऐसी महामारी के समय घर से बाहर निकलने और वॉलन्टियर के रूप में काम करने के फैसले को लेकर डॉ. सिंह के माता-पिता शुरू में डरे हुए थे। लेकिन अब संकट की इस स्थिति के समय अपनी बेटी की समाज की सेवा करने की भावना पर उन्हें गर्व है।
डॉ. सिंह कहती हैं, “बहुत से लोगों ने मुझसे पूछा है कि ऐसे समय में जब अफ्रीका, जो कोविड-19 के बहुत कम मामलों वाले देशों में से एक है, वहां से वापस आने के लिए इस तरह के कठोर निर्णय लेने के लिए किसने प्रेरित किया है। इस सवाल के लिए मेरा जवाब काफी सरल है: यह मेरा कर्तव्य था। हालांकि, मैं अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद केवल एक साल से प्रैक्टिस कर रही थी लेकिन मेरा मानना है कि एक बार जब आपने समाज की सेवा करने की ओर कदम उठाया है तो जब तक यह पूरा ना हो जाए, पीछे नहीं लौटना चाहिए। दिव्या की ये प्रेराणात्मक कहानी द बेटर इंडिया पर साझा की गई है।