मात्र 4 नंबर से फेल हुई और टूट गया अफसर बनने का सपना, पति ने दिया ऐसा IDEA कि बनकर मानी IAS

मुंबई. IAS Success Story Of Trupti Ankush: यूपीएससी परीक्षा देश की सबसे प्रतिष्ठित और मुश्किल परीक्षा मानी जाती है। इस परीक्षा को पास करने वाले कैंडिडेट योद्धा से कम नहीं होते। ऐसे में जब कोई लड़की अफसर बनने की ठान लेती है तो उसके रास्ते में हजार मुश्किलें आती हैं। शादी के बाद भले ही महिलाओं की जिंदगी घर-परिवार में सिमट जाती हो लेकिन कुछ झांसी की रानी अपने सपने को ससुराल में भी जिंदा रखती हैं। ऐसी ही एक शीरोज हैं महाराष्ट्र की तृप्ति अंकुश धोड़मिसे जिन्होंने कई बार असफल होकर भी अफसर बनने के सपने को नहीं छोड़ा। तृप्ति यूपीएससी कैंडिंडेट्स के लिए बड़ा उदाहरण हैं जो किसी न किसी बहाने के पीछे छिपकर अपनी असफलता को जायज ठहराते हैं।

 

आठ साल का वैवाहिक जीवन साथ में नौकरी और महानगर की भागदौड़ के बीच तृप्ति ने पढ़ाई करके यूपीएससी पास की और सफल रहीं। लगातार फेल होने के बाद जब उन्होंने हिम्मत हार ली तब पति की सलाह से वो आखिरी कोशिश करने में जुटीं। इसी कोशिश में उन्हें सफलता मिल गई। 

 

IAS सक्सेज स्टोरी में हम तृप्ति के संघर्ष और सफलता की कहानी सुना रहे हैं- 

Asianet News Hindi | Published : Jun 1, 2020 4:07 PM IST / Updated: Jun 02 2020, 10:28 AM IST

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मात्र 4 नंबर से फेल हुई और टूट गया अफसर बनने का सपना, पति ने दिया ऐसा IDEA कि बनकर मानी IAS

तृप्ति ने कभी किसी रुकावट को आड़े नहीं आने दिया और वो कर दिखाया जिसका ज्यादातर लोग केवल सपना ही देखते हैं। जैसा की यूपीएससी के कैंडिडेट्स अधिकतर केसेस में मानते हैं कि इस परीक्षा के लिए फुल डेडिकेशन चाहिए। इसके साथ ही कुछ और करने पर लक्ष्य प्राप्ति और मुश्किल हो जाती है लेकिन तृप्ति ने इस बात को धता बताते हुए नौकरी और शादी के साथ ही न केवल यूपीएससी परीक्षा दी बल्कि पास भी कर के दिखाया। 

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हालांकि उनका यह सफर आसान नहीं था। पहले तीन अटेम्पट्स में जब उनका सेलेक्शन नहीं हुआ तो वे लगभग डिप्रेस्ड होकर सिविल सर्विस देने की बात दिमाग से निकाल चुकी थीं। पर यही मौका था जब उनके पति ने आगे बढ़कर उनका सपोर्ट किया और उन्हें विश्वास दिलाया की वे इस परीक्षा को पास कर सकती हैं अभी बहुत मौके हैं। उन्होंने अपने पति की बात रखी और आईएएस बनने के अपने सपने को हकीकत में बदल लिया।

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प्राइवेट नौकरी के दौरान आया ख्याल –

 

तृप्ति ने पुणे कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग से प्रोडक्शन इंजीनियर के तौर पर 2010 में ग्रेजुएशन किया। तुरंत ही उन्हें लार्सन एंड टर्बो कंपनी में प्लेसमेंट मिल गया। यहां उन्होंने चार साल 2010 से 2014 तक काम किया और बेस्ट इंप्लॉई के तौर पर खुद को प्रमाणित किया. यहां काम करने के दौरान ही एक दिन उन्हें ख्याल आया कि उनकी वर्तमान नौकरी उनकी क्षमताओं से कहीं कम है और वे इससे कहीं ज्यादा हासिल कर सकती हैं।

 

तभी उन्होंने महाराष्ट्र सर्विस कमीशन की तैयारी शुरू करी। यहां भी दूसरे अटेम्पट में उनका चयन हुआ और उन्हें महाराष्ट्र जीएसटी डिपार्टमेंट में असिस्टेंट सेल्स कमीशनर की जॉब मिल गयी। इस परीक्षा को पास करने से उनका मोरल हाई हुआ और उन्होंने अबकी बार यूपीएससी परीक्षा देने  की सोची।

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बार-बार की असफलता से भी न हुईं निराश –

 

तृप्ति ने नौकरी और बाकी कामों के साथ यूपीएससी की तैयारी शुरू तो कर दी लेकिन हर बार कुछ न कुछ कमी रह जाती थी। पहले अटेंप्ट में उनका प्रीलिम्स का भी एग्जाम क्वालिफाई नहीं हो पाया था। साल 2016 में तृप्ति ने दूसरा अटेंप्ट दिया। हालांकि, इस बार उनका प्रीलिम्स और मेन्स का एग्जाम क्वालिफाई हो गया, लेकिन इंटरव्यू और ऑप्शनल में कम मार्क्स आए। तृप्ति के मुताबिक वह चार मार्क्स से ही फाइनल लिस्ट में जगह नहीं बना पाई थी। 

 

लगातार तीन बार असफलता का मुंह देखने के बाद तृप्ति के हौंसले ने जवाब दे दिया। एक समय आया जब वे सोचने लगी कि उनके पास एक अच्छी नौकरी है, बढ़िया वैवाहिक जीवन है तो आखिर वे क्यों एक ऐसी चीज़ के पीछे भाग रही हैं जो उनके बार-बार प्रयास करने के बावजूद उन्हें हासिल नहीं हो रही।

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इस विचार के साथ उन्होंने यूपीएससी का आडिया ड्रॉप करने का मन बना लिया। कुछ समय के ब्रेक के बाद उनके पति ने उनका हौंसला बढ़ाया और उनका खोया विश्वास दोबारा हासिल करने में उनकी मदद की। उन्होंने तृप्ति से कहा कि वे कोई भी मुकाम भी हासिल कर सकती हैं और अभी तो कई अटेम्पट्स बाकी हैं। तृप्ति भी पूरी हिम्मत से दोबारा जुट गयीं और अबकी बार उन्होंने सफलता हासिल करके ही दम ली।

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तृप्ति देती हैं ये टिप्स –

 

तृप्ति कहती हैं की यूपीएससी का सफर आसान नहीं होता पर उसमें ऐसा कुछ भी नहीं है जो पाया ही न जा सके। अगर सही प्लानिंग और अपनी कमियों को दूर करते हुये प्रयास किया जाये तो सफलता जरूर मिलती है। वे कहती हैं कैंडिडेट की साइकोलॉजी बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। एक साक्षात्कार में उन्होंने बताया कि 2016 में मेन्स तक पहुंच जाने के बाद साक्षात्कार में न होने के सदमे ने उन्हें इस कदर झकझोरा था कि 2017 का पेपर देते समय उनका दिमाग बिलकुल भी केंद्रित नहीं था।

 

इसका डबल नुकसान उन्हें 2017 में हुआ जब प्री में भी चयन नहीं हुआ। इसलिये वे कहती हैं कि कैंडिडेट को अपने दिमाग को हमेशा स्ट्रांग रखना चाहिये। अगर आपको लगता है कि आप कर सकते हैं तो आप सच में कर लेंगे। इसके उलट बात भी उतनी ही सही है। इसी सोच के साथ तृप्ति अंकुश धोड़मिसे ने साल 2018 में 16वीं रैंक के साथ यूपीएससी की परीक्षा न केवल पास की बल्कि टॉपर्स में भी शामिल हुईं।

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