आशीष अपनी कहानी खुद सुनाते हुए बताते हैं कि, जब मेरे माता-पिता को डॉक्टरों ने बुला कर ये कहा कि, 'आपके बेटे को सेरेब्रल पाल्सी नाम की दुर्लभ बीमारी है, ये कभी चल नहीं सकता। आपको यह सत्य स्वीकार करना होगा। एक अच्छी बात ये है कि इसकी आई क्यू (IQ) ठीक है, वर्ना ऐसे अधिकांश मामलों में मानसिक क्षमता के नष्ट होने की भी बहुत सम्भावना होती है।’
इस सत्य को स्वीकार करने के अलावा मेरे और मेरे परिवारजनों के पास कोई और विकल्प नहीं था। आदर्श अवस्था तो यही होती है कि आप कठिन-से-कठिन सत्य को भी सरलता से और प्रसन्नता से स्वीकार कर लें।