जिस UPSC परीक्षा से लगता था बेहद डर उसे हिंदी भाषा में पास करके IPS बना गरीब लड़का, जिंदगी भर दिए ढेरों एग्जाम

नई दिल्ली.  यूपीएससी परीक्षा से बहुत से बच्चे डरते हैं। सोचते हैं इस परीक्षा को पास करने के लिए जी-तोड़ मेहनतक करनी होगी। कौन इतना पढ़ेगा? कैसे होगी तैयारी? पास न हो पाए तो जिंदगी बर्बाद हो जाएगी। ऐसे सवाल मन में उठते हैं। पर बहुत से बच्चे इस परीक्षा की तैयारी करते हैं। फेल होते हैं फिर भी कोशिश करना नहीं छोड़ते हैं। ऐसे ही हम आपको यूपीएससी परीक्षा से डरने वाले एक लड़के की कहानी सुनाने जा रहे हैं। वो आज इंडियन पुलिस सर्विस में अफसर जरूर है लेकिन इस समय में वो सिविल सर्विस परीक्षा से बहुत डरता था। उसने कभी नहीं सोचा था कि वो अफसर बन सकेगा वो तो घर चलाने के लिए एक छोटी-मोटी सरकारी नौकरी चाहता था।

 

इसलिए सारी जिंदगी इस लड़के की एग्जाम देने में ही गुजर गई। IPS सक्सेज स्टोरी (IPS Success Story) में लखन सिंह यादव के संघर्ष की कहानी सुनाएंगे....

Asianet News Hindi | Published : Apr 20, 2020 5:28 AM IST / Updated: Apr 20 2020, 11:40 AM IST

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जिस UPSC परीक्षा से लगता था बेहद डर उसे हिंदी भाषा में पास करके IPS बना गरीब लड़का, जिंदगी भर दिए ढेरों एग्जाम

अलवर, राजस्थान के लखन सिंह यादव ने परीश्रम, लगन और धैर्य की एक उत्कृष्ट मिसाल कायम की। सिविल सेवा परीक्षा 2017 में एक बड़ी सफलता के साथ सामान्य पृष्ठभूमि और हालातों से जुझते आज के युवाओं के लिए आशा की किरण बन कर उभरे है।

 

कालेज आफ इंजीनियरिंग एण्ड टेक्नोलोजी, बीकानेर से सिविल इंजीनियरिंग कर लखन ने जब अपने करियर के बारे में मन बनाना शुरू किया तो सिविल सेवाओं के बारे में सोचा ज़रूर, पर अपनी औसत अकादमिक पृष्ठभूमि के कारण थोड़ा संशय भी रहा।

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चन्द शब्दों में लखन अपनी करियर यात्रा का सार कह ड़ालते हैं। आकादमिक उपलब्धियों के नाम पर बस किसी तरह नईया किनारे लग ही गई। अपने हालातों का जिक्र करते हुए लखन ने बताया, “यदि मैं पीछे मुड़ कर देखूं तो ग्रेजुएशन में मेरा प्रदर्शन औसत, नहीं सही कहूं, तो बहुत खराब था। केवल 59 प्रतिशत से इंजीनियरिंग की और वह भी 4 वर्ष का कोर्स 6 वर्ष में पूरा कर पाया।

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ऐसे में मैने कभी IAS बनने के बारे में सोचा तक नहीं था। इतनी बड़ी परीक्षा को पास करने का सोचना तो दूर इसमें शामिल होने का निर्णय मेरे लिये बहुत हिम्मत का काम रहा। मेरा लक्ष्य तो बस RPSC परीक्षा पास करके RAS/RPS बनने का था। अब इसे सौभाग्य ही कहूंगा कि RPSC की लेट-लतीफी से तंग आकर मैंने UPSC की तैयारी करने का निर्णय लिया।

 

इस तथ्य को समझते हुए लखन ने अपने लिये करियर विकल्प हेतु सिविल सेवा परीक्षा के साथ-साथ विभिन्न स्तर पर कई परीक्षाओं में भाग लिया और एक के बाद एक कदम बढ़ाते हुए कई परीक्षाओं में सफलता भी प्राप्त करते गए और अंततः एक ऐसी सफलता प्राप्त की जिसके बारे में पहले वह सोचने से भी डरते थे।

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शुरूआत में तो मैं किसी को बता भी नही सकता था कि मैं IAS बनना चाहता हूं और सिविल सेवा परीक्षा का फॉर्म भी भर रहा हूं। परन्तु, हार ना मानने की जिद और कुछ अच्छा और बड़ा करने के हौसले ने लखन को सिविल सेवा परीक्षा 2017 की सफलता प्राप्त करने में में महत्वपूर्ण योगदान दिया। जैसे-जैसे आगे बढ़ा, बाद में सभी चीज़ें बदल गयी और थोड़ा समय ज़रूर लगा पर मैं अंततः आखिरी लिस्ट में आ पाया। लखन सिंह यादव ने 2017 में 565 रैंक के साथ सिविल सेवा परीक्षा अपने चौथे प्रयास में सफलता प्राप्त की।

 

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उन्होंने वैकल्पिक विषय के रूप में राजनीतिक विज्ञान एवम् अंतरराष्ट्रीय संबंध विषय का चयन किया। सिविल सेवा में ही कैरियर, क्यों ? इस बारे में लखन ने कहा, “ये ऐसी सेवाएं हैं जो व्यक्ति के जीवन से जुड़े हर क्षेत्र को छूती हैं जहां प्रत्यक्ष रूप से किसी की मदद की जा सकती है। मैं मानता हूँ कि इन सेवाओं में करने को इतना सब है कि 34-35 वर्ष की सेवा में शायद व्यक्ति हर बार नए नए अनुभव से गुजरता है।

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जब भी मैं क्या, किसी भी युवा का सरकारी सेवा में जाने का विचार मन में आता है तो सबसे पहले यही आता है कि IAS/IPS से बेहतर क्या हो सकता है” परिवार का परिचय देते हुए उनके योगदान के बारे में बताते हुए लखन ने कहा, “मेरे पिताजी श्री मानसिंह यादव (Assistant Block Elementary Education Officer) और मां श्रीमती दुलारी देवी ग्रहणी हैं, दो बहने हैं सुमन यादव, एकता यादव और भाई प्रधुम्न सिंह यादव (IIT KANPUR) में है।

 

मेरी सफलता में मेरे परिवार का बहुत बड़ा योगदान है। मुझे लंबे समय के संधर्ष के बाद सिविल सेवा परीक्षा में आशातीत सफलता मिली, तब तक परिवार का सदैव मुझ पर भरोसा और हर विफलता पर मिला उनका पूर्ण समर्थन। सभी के प्यार के कारण ही मैं ये कर पाया अन्यथा संभव नही था।

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करियर के लिये लक्ष्य स्थापित करने में तो ज्यादा कठिनाई नहीं रही परन्तु इस तक पहुंचने की राह आसानी से नहीं मिली. लखन ने लक्ष्य के प्रति पूर्ण समर्पण और धैर्य के साथ अपने प्रयास तो जारी रखे, साथ ही अपने लिये कैरियर विकल्प हेतु विभिन्न स्तर पर कई परीक्षाओं में शामिल हुए और एक के बाद एक कदम बढ़ाते हुए कई सफलताएँ भी प्राप्त करते गए।  मैंने सबसे पहले राजस्थान विद्युत में जूनियर इंजीनियर के पद पर काम किया, उसके बाद ssc की परीक्षा दी।

 

इसके अलावा मैंने 2 बार राजस्थान लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित राजस्थान प्रशासनिक परीक्षा पास की परन्तु अच्छी रैंक ना ला पाने के कारण उन्हें जॉइन नही किया था। इसलिए आई.ए.एस. की परीक्षा तक आने में मुझे इस कारण ही इतना समय लगा। शायद मैं इस बड़े स्तर की परीक्षा से डरता था।

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इसके अलावा मैंने 2 बार राजस्थान लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित राजस्थान प्रशासनिक परीक्षा पास की परन्तु अच्छी रैंक ना ला पाने के कारण उन्हें जॉइन नही किया था। इसलिए आई.ए.एस. की परीक्षा तक आने में मुझे इस कारण ही इतना समय लगा। शायद मैं इस बड़े स्तर की परीक्षा से डरता था।

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तैयारी-योजना पर सही सलाह कहां से मिली तो सादगी भरे अंदाज़ में लखन ने कहा, “ये मेरा दुर्भाग्य ही रहा कि मेरे जीवन में सिविल सेवा क्षेत्र से संबंधित कोई अनुभवी व्यक्ति नही रहा जो मुझे सही समय पर सही सलाह दे। अपनी समझ के अनुरूप मैंने खान स्टडी ग्रुप, जयपुर से कोचिंग की और अपनी तैयारी का एक आधार तैयार किया। फिर, राजेश मिश्र सर का वैकल्पिक विषय राजनीतिक विज्ञान एवम अंतरराष्ट्रीय संबंध में महत्वपूर्ण योगदान मिला। साथ ही कुछ मदद मैंने शुभ्रा रंजन मैम के नोट्स से भी ली। इसके अलावा मैंने अपनी गलतियों से ही सीख ली।

 

 

भविष्य में सिविल सेवा परीक्षा में शामिल होने वाले हिन्दी माध्यम के उम्मीदवारों को प्रेरित करने हेतु लखन का संदेश -

“औसत मेहनत करने से औसत परिणाम ही मिलेंगे।

कुछ बड़ा करना है तो बड़ी मेहनत से नही डरना है

और विफलता से तो बिल्कुल भी नही डरना है।

जब तक तोड़ेंगे नही, छोड़ेंगे नही"

इस अभिवृत्ति के साथ तैयारी करें।

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