मैंने गत वर्ष नीट में 506 अंक प्राप्त किए, मैं अपने लक्ष्य से थोड़ी सी दूर रह गई। अगले वर्ष फिर से कोचिंग करने में परिवार की आर्थिक परिस्थितियां आडे़ आ रही थी। परिवार असमंजस में था कि कोचिंग करवाएं या नहीं, ऐसे में एलन कॅरियर इंस्टीट्यूट ने हाथ थामा, मुझे पढ़ाई के लिए प्रेरित किया। संस्थान द्वारा मेरी 75 प्रतिशत फीस माफ कर दी गई। सालभर दिन-रात मेहनत की। इस वर्ष 603 अंक प्राप्त किए। नीट रैंक 2283 है। यदि मैं कोटा नहीं आती तो शायद आज बीएससी करके घर के कामकाज कर रही होती।
मैं आज जहां तक भी पहुंची हूं, इसमें ससुराल का बहुत बड़ा योगदान रहा है। इतना साथ नहीं मिलता तो शायद आगे नहीं बढ़ पाती। पहले साल जब मेरा सलेक्शन नहीं हुआ तो गांव वालों की तरफ से खुसर-फुसर होने लगी। क्यों पढ़ा रहे हो, क्या करोगे पढ़ाकर, घर की बहू है काम करवाओ, इस तरह की बातें आने लगी। यही नहीं मेरे कोटा में पढ़ाई के दौरान ससुराल वालों ने खर्चों की पूर्ति के लिए उधार पैसे लेकर भैंस खरीदी थी। ताकि दूध बेचकर अतिरिक्त कमाई की जा सके लेकिन ये भैंस भी 15 दिन में मर गई। इससे करीब सवा लाख का घाटा हुआ लेकिन मुझे किसी ने नहीं बताया।