मेडिकल की पढ़ाई करने के बाद वह सिविल सेवा की परीक्षा की तैयारी करने लगे। फर्स्ट अटेम्प्ट में विफल होने के बाद भी उन्होंने हार नहीं मानी और लगातार तैयारी में जुटे रहे। रोजाना आठ-दस घंटे पढ़ाई में जुटे रहे और आखिरकार आईएएस बन ही गए। डॉ. कार्तिकेयन ने ‘वन्स अपॉन एन आइएएस एग्ज़ाम’ में अपनी कोचिंग के अनुभवों, कोचिंग सेंटरों के तौर तरीकों को भी साझा किया है।
डॉ कार्तिकेयन कहते हैं कि 'लोगों से कैसे बातचीत की जाती है, यह जानना-समझना काम का होता है। इसके लिए क्विज़, भाषण प्रतियोगिता, वाद-विवाद जैसी प्रतियोगिताओं के साथ ही लेखन में निपुण हो जाना चाहिए। एक प्रशासनिक अधिकारी अपने काम के दौरान विभिन्न प्रकार के लोगों से मिलता है। हमारे अंदर उन लोगों से घुलने-मिलने की योग्यता जरूरी है। अपने पहले ही प्रयास में मैं सफल नहीं हुआ।