दो साल खुद को एक कमरे में कर लिया कैद...सिर्फ पढ़ाई और पढ़ाई, खुद को तपाकर ऐसे IPS बना पहाड़ी लड़का

नई दिल्ली. हम सभी जानते हैं कि यूपीएससी पास करना कितनी बड़ी बात है। हिंदी मीडियाम से आने वाले छात्रों को इसमें चार गुना मेहनत करनी पड़ती है। ऐसे ही पहाड़ से आए एक लड़के ने अफसर बनना का सपना देखा। जब उसने पढ़ाई शुरू की सेल्फ स्टडी के जरिए खुद एक साधू की तरह तपाना शुरू किया। एक कमरे में बंद रहकर सिर्फ पढ़ाई की न कोई शादी अटेंड की न सोशल मीडिया पर एक्टिव रहा। आज इस मोटिवेशनल सीरीज़ में हमारे सामने हैं उत्तराखंड के नैनीताल के युवा, कंचन कांडपाल की प्रेरक कहानी, जिन्होंने हिंदी मीडियम से होकर पहाड़ सरीखी चुनौतियों से लड़ते हुए आख़िरकार अपना मुक़ाम हासिल किया और फ़िलहाल नागालैंड में IPS अधिकारी के रूप में सेवारत हैं।

IPS सक्सेज स्टोरी (IPS Success Story) में हम आपको कंचन कांडपाल के संघर्ष की कहानी सुनाने जा रहे हैं।

Asianet News Hindi | Published : May 1, 2020 5:26 AM IST / Updated: May 01 2020, 11:50 AM IST

18
दो साल खुद को एक कमरे में कर लिया कैद...सिर्फ पढ़ाई और पढ़ाई, खुद को तपाकर ऐसे IPS बना पहाड़ी लड़का

कंचन बताते हैं कि, मेरा जन्म 1994 में नैनीताल में हुआ और परिवार में शैक्षणिक माहौल मिलने के कारण सर्वश्रेष्ठ अंकों के साथ अपनी स्कूली शिक्षा पूरी की। कक्षा 10 में राज्य वरीयता सूची में तीसरा स्थान व 12वीं में राज्य में प्रथम स्थान प्राप्त किया।। उसी साल राज्य के प्रतिष्ठित पंतनगर विश्वविद्यालय में बी.टेक. पाठ्यक्रम में प्रवेश लिया, वर्ष 2015 में स्नातक पूरा होने के साथ ही कैम्पस प्लेसमेंट हाथ में था, जब सभी साथी नौकरी पकड़कर मौज-मस्ती की भावी योजनाएं बना रहे थे, उसी समय मन में एक ख्याल आया, हमारे इंसान होने की सार्थकता इसी बात में है कि समाज को हम क्या सौंपकर जाते हैं। 

28

इसलिए मैंने अफसर बनने की सोच ली। इसी के लिए खुद को तैयार करना शुरू कर दिया। बस यही विचार सिविल सेवा की तरफ अंतिम प्रेरणा साबित हुआ और किताबों की, मार्गदर्शन की खोज ने मुझे UPSC के मक्का यानी कि दिल्ली पहुंचा दिया। 

38

युवाओं के मन में UPSC क्लिअर करने के सपनों, एक नए कल की उम्मीदों के अलावा यहां दिल्ली में एक भय अंदर-ही-अंदर सबको खाए जा रहा था, वह था- हिंदी माध्यम के साथ यू.पी.एस.सी का भेदभाव। मुखर्जी नगर पहुँचते ही एक बात सबने मन में बैठा दी, हिन्दी माध्यम से परीक्षा उत्तीर्ण करना उतना ही मुश्किल है, जितना किसी बॉलीवुड फिल्म को ऑस्कर से नवाजा जाना। 

 

 

 (Demo Pic)

48

इसी भय के बीच कुछ सुझाव माध्यम बदल लेने के लिए भी प्रेरित कर रहे थे, हिंदी माध्यम का परीक्षाफल वर्ष-दर-वर्ष-खराब होता जा रहा था और कुछ परीक्षार्थी या तो अपने सपनों को तिलांजली देने को मजबूर हो रहे थे, तो वहीं कुछ इस पहाड़ सरीखी चुनौती से लड़ने-झगड़ने को भी तैयार थे। बस, चुनौती लेकर हम भी कूद पड़े इस ‘महासंग्राम’ में, और साथियों सच बताना चाहूंगा, हिंदी इस पूरी यात्रा में कमजोरी नहीं, बल्कि एक ताकत के रूप में साथ रही।

 

  (Demo Pic)

58

2016 मार्च में उत्तर प्रदेश सिविल सेवा प्रारम्भिक परीक्षा, अगस्त में UPSC सिविल सेवा प्रारम्भिक परीक्षा, सितम्बर में राजस्थान व जनवरी-2017 में उत्तराखण्ड सिविल सेवा प्रारम्भिक परीक्षा में लगातार उत्तीर्ण होता चला गया, उत्साह अपने चरम पर था और इसी उत्साह के बीच दो राज्यों की मुख्य परीक्षा व यू.पी.एस.सी. का इंटरव्यू दिया।

 

(Demo Pic) 

68

मई 2017 में 263वीं रैंक के साथ IPS सेवा की प्राप्ति हुई, और उस दिन उन सारे भय, आशंकाओं का भी अंत हो गया, जो छोटे शहर के युवाओं, सापेक्षिक रूप से कम संसाधन सम्पन्न क्षेत्रीय भाषाओं के परीक्षार्थियों को बड़े सपने देखने से रोकती है।  31 मई, 2017 का दिन मेरे लिए कुछ ऐसा ही था, शाम के लगभग 7 बजे थे, नैनीताल की गर्मियों की ‘ठंडी हवा’ के बीच UPSC के फ़ाइनल रिज़ल्ट की PDF में अपना नाम देखना, सचमुच में अविस्मरणीय पल था।

 

  (Demo Pic)
 

78

ईश्वर की अनुकम्पा, परिजनों के आशीर्वाद व गुरुजनों के सहयोग ने जीवन को एक नया मंच दे दिया था, वर्षों से जिस पद की ओर टकटकी लगाकर देखा करते थे, आज वही IPS का पद अपने हाथ में था। 

दो राज्यों की सिविल सेवाओं की इंटरव्यू कॉल तथा IPS एक वर्ष के भीतर मिलना यदि संभव हुआ, तो इसका सीधा-सा अर्थ है कि अगर दृढ़ निश्चय, कुशल रणनीति व बेहतर मार्गदर्शन से अनवरत प्रयत्न किया जाएँ तो सफलता निश्चित रूप से आपके कदम चूमेगी। 

 

(Demo Pic)

88

युवा साथियों से यही कहूंगा कि- 

 

‘ऊँचाइयाँ अगर बुलंद हो, 
तो मौजूद हैं रास्ते, 
हमें तो निकलना है बस, 
तरक्की के वास्ते।’

 

Share this Photo Gallery
click me!

Latest Videos

Recommended Photos