क्रियेटिविटी और कुछ करने के जुनून का उम्र या अमीरी-गरीबी से कोई वास्ता नहीं होता। जो व्यक्ति कुछ करने की ठान लेता है, वो करके रहता है। यह कहानी 'आत्मनिर्भर भारत' की एक मिसाल है। ये हैं तमिलनाडु के मदुरै में रहने वाले मुरुगेसन। ये महज 8वीं तक पढ़े हैं। घर के आर्थिक हालात ऐसे नहीं थे कि आगे पढ़ सकें। लिहाजा मुरुगेसन को पिता के साथ खेती-किसानी में हाथ बंटाना पड़ा। लेकिन परंपरागत तरीके से खेती-किसानी करने के कारण उन्हें मुनाफा नहीं हो रहा था। मेहनत ज्यादा थी। एक बार मुरुगेसन गांव में कहीं जा रहे थे, तभी किसी को केले की छाल से रस्सी बनाते देखा। वो आदमी इस रस्सी से फूलों की माला तैयार कर रहा था। यही से मुरुगेसन के दिमाग में बिजनेस का आइडिया आया। आज वे केले के छिलकों से बड़ेस्तर पर रस्सी बनाते हैं। उनका सालाना टर्नओवर एक करोड़ रुपए है।