6 माह की उम्र में पिता की हत्या, मां संग हत्यारों को सजा दिलाने लड़ी लड़ाई; IAS बनकर यूं पूरा किया सपना

Published : May 04, 2020, 05:28 PM ISTUpdated : May 04, 2020, 05:46 PM IST

लखनऊ(Uttar Pradesh). कहते हैं जिन्दगी में कभी-कभी ऐसे भी मोड़ आते हैं जब इंसान टूट कर बिखर जाता है । उसके बाद वह कभी पूरी लाइफ में संभल नही पाता और उसका भविष्य बर्बाद हो जाता है । लेकिन मुश्किल हालातों में भी जिसने परेशानियों से जंग जीत ली वह ही समाज के लिए नजीर बन जाता है । एशिया नेट न्यूज़ हिन्दी प्रतियोगी छात्रों की हौसला आफाजाई के लिए लगातार ऐसे IAS, IPS व अन्य क्षेत्रों में सफल लोगों की जिन्दगी की हकीकत से रूबरू कर रहा है जिन्होंने लाइफ में काफी संघर्षों के बाद मुकाम पाया हो। इस कड़ी में आज हम आपको बता रहे हैं यूपी कैडर 2008 बैच की IAS किंजल सिंह की। किंजल सिंह इस समय पंचायती राज विभाग की निदेशक हैं। किंजल सिंह की लाइफ काफी संघर्षभरी रही है...

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6 माह की उम्र में पिता की हत्या, मां संग हत्यारों को सजा दिलाने लड़ी लड़ाई; IAS बनकर यूं पूरा किया सपना

आईएएस किंजल सिंह का जन्म 5 जनवरी 1982 को यूपी के बलिया में हुआ था । इनके पिता केपी सिंह यूपी पुलिस में डिप्टी एसपी थे। उनके पिता केपी सिंह बेहद कड़क और तेजतर्रार पुलिस अफसर थे। उनकी नाम सुनते ही बड़े से बड़े अपराधियों की हालत पतली हो जाती थी ।   

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किंजल जब केवल 6 माह की थी उसी समय उनके यहां एक ऐसी घटना घटी जिससे उनकी पूरी जिंदगी ही बदल गई । ये बात 12 मार्च 1982 की है । उस समय किंजल के पिता केपी सिंह गोंडा जिले में तैनात थे । उन्हें एक गांव में कुछ अपराधियों के छिपे होने की सूचना मिली । केपी सिंह ने पुलिस बल के साथ गांव में घेराबंदी की । दोनों ओर से गोलियां चलीं।   
 

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किंजल के पिता डीएसपी केपी सिंह भी गोलेबारी में घायल हुए । बताया जाता है कि उनके अधीनस्थों की अपराधियों के साथ मिली भगत थी । इसी का फायदा उठाते हुए उनके साथ रहे पुलिसकर्मियों ने उन्हें गोली मार दी। अस्पताल ले जाने के बाद उन्होंने दम तोड़ दिया । बाद में आरोप लगा कि डीएसपी केपी सिंह की हत्या अपराधियों की गोली से नही बल्कि उन्ही के मातहतों द्वारा की गई है । इस मामले को CBI को ट्रांसफर किया गया ।   

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पिता की मौत के समय किंजल की मां विभा सिंह गर्भवती थी। उन्होंने 6 माह बाद एक और बेटी को जन्म दिया जिसका नामा प्रांजल रखा गया। पिता की मौत के बाद इस परिवार पर मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा। सरकार ने डीएसपी केपी सिंह की मौत के बाद उनकी पत्नी विभा सिंह को वाराणसी के ट्रेजरी आफिस में नौकरी दे दी ।  

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किंजल की मां विभा सिंह भी अपने पति की तरह बेहद साहसी और निर्भीक महिला थीं। उन्होंने पति के हत्यारों को उनके किए की सजा दिलाने की ठान ली थी। वह अपनी बेटी किंजल और प्रांजल को गोद में लेकर बलिया से CBI कोर्ट दिल्ली का सफर तय करती थी।    
 

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उनकी मां जब लोगों से कहती थीं कि वे अपनी दोनो बेटियों को आइएएस अफसर बनाएंगी तो लोग उन पर हंसते थे। मां की तनख्वाह का एक बड़ा हिस्सा उस मुकदमे की फीस व अन्य खर्च में चला जाता था जो जिसे जीतना उनकी जिन्दगी का मकसद बन चुका था ।  
 

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धीरे-धीरे किंजल और प्रांजल दोनों बहनें बड़ी हुईं । शुरुआती पढ़ाई पूरी करने के बाद किंजल ने दिल्ली के श्रीराम कालेज में दाखिला लिया । वहां किंजल ग्रेजुएशन के पहले सेमेस्टर में ही थे तभी पता चला कि उनकी मां को कैंसर जैसी घातक बीमारी हो गई है । लेकिन उनकी मां बीमारी से लड़ने के साथ ही वह बेटियों के भविष्य बनाने व पति के हत्यारों को सजा दिलाने की लड़ाई भी लड़ रही थीं।  

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किंजल ने जब देखा कि उनकी मां की तबियत तेजी से बिगडती जा रही है तब उन्होंने मां से एक वादा किया , उन्होंने कहा कि उनकी दोनों बेटियां प्रशासनिक अफसर बन कर उनका सपना पूरा करेंगी। किंजल के इस शब्द ने उनकी मां को बेहद सुकून दिया। लेकिन बीमारी से लड़ते हुए साल 2004 में उन्होंने दम तोड़ दिया।   
 

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अब छोटी बहन प्रांजल की भी जिम्मेदारी किंजल के कन्धों पर आ पड़ी थी । लेकिन मां-पिता की तरह साहसी किंजल ने हिम्मत नही हारी और लगातार अपने प्रयास में लगी रही। साल 2008 में दूसरे प्रयास में वह IAS के लिए सिलेक्ट हुईं। यही नही उसी साल उनकी छोटी बहन प्रांजल भी IRS के लिए सिलेक्ट हुई । दोनों बहनों ने अपने मां-बाप का सपना पूरा कर दिया था ।   अब समय था उस सपने को पूरा करने की जो उनके मां ने पिता के हत्यारों को सजा दिलाने का सोचा था।   
 

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किंजल ने मजबूती से CBI कोर्ट में पिता की हत्या का मुकदमा लड़ा और उसमे उनकी जीत हुई । 5 जून, 2013 को लखनऊ CBI की विशेष कोर्ट ने डीएसपी केपी सिंह की हत्या में 18 पुलिसकर्मियों को दोषी मानते हुए सजा सुनाई । उस समय किंजल सिंह बहराइच की डीएम थीं ।  

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