पिता ने की गार्ड की नौकरी और खेतों में किया काम, हर गरीबी को नजदीक से देख बेटा बन गया अफसर

रायबरेली(Uttar Pradesh). फरवरी में CBSE बोर्ड के साथ अन्य बोर्ड के एग्जाम भी स्टार्ट हो जाते हैं। इसके साथ ही बैंक, रेलवे, इंजीनियरिंग, IAS-IPS के साथ राज्य स्तरीय नौकरियों के लिए अप्लाई करने वाले  स्टूडेंट्स प्रोसेस, एग्जाम, पेपर का पैटर्न, तैयारी के सही टिप्स को लेकर कन्फ्यूज रहते है। यह भी देखा जाता है कि रिजल्ट को लेकर बहुत सारे छात्र-छात्राएं निराशा और हताशा की तरफ बढ़ जाते हैं। इन सबको ध्यान में रखते हुए एशिया नेट न्यूज हिंदी ''कर EXAM फतह...'' सीरीज चला रहा है। इसमें हम अलग-अलग सब्जेक्ट के एक्सपर्ट, IAS-IPS के साथ अन्य बड़े स्तर पर बैठे ऑफीसर्स की सक्सेज स्टोरीज, डॉक्टर्स के बेहतरीन टिप्स बताएंगे। इस कड़ी में आज हम 2015  बैच के IRS ( इंडियन रेवेन्यू सर्विसेज) अफसर कुलदीप द्विवेदी की कहानी आपको बताने जा रहे हैं। कुलदीप ने ये मुकाम पाने के लिए काफी संघर्ष किया है। 

Asianet News Hindi | Published : Feb 20, 2020 12:18 PM IST / Updated: Feb 20 2020, 05:49 PM IST
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पिता ने की गार्ड की नौकरी और खेतों में किया काम, हर गरीबी को नजदीक से देख बेटा बन गया अफसर
कुलदीप मूलतः उत्तर प्रदेश के रायबरेली जिले के बछरावां के रहने वाले हैं। उनके पिता सूर्यकांत द्विवेदी लखनऊ विश्वविद्यालय में सिक्यूरिटी गार्ड हैं। कुलदीप तीन भाइयों व एक बहन में तीसरे नंबर पर हैं।
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कुलदीप बचपन से ही पढ़ने में बहुत तेज थे। यही वजह रही कि उनके पिता सूर्यकांत ने कभी उनकी पढ़ाई में बाधा न पैदा हो इसके लिए दिन रात मेहनत की। सिक्यूरिटी की नौकरी से छुट्टी मिलने के बाद वह खेतों में मेहनत करने में जुट जाते थे। उनका सपना था कि उनके बच्चे पढ़ लिखकर अफसर बने।
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कुलदीप के पिता ने साल 1991 में लखनऊ विश्विद्यालय में सिक्यूरिटी की नौकरी शुरू की थी। उस समय उन्हें सिर्फ 1100 रूपए सैलरी मिलती थी। बहुत मुश्किल से परिवार का खर्च चल पाता था। धीरे-धीरे बच्चे बड़े हुए तो पढ़ाई का भी खर्च बढ़ने लगा। लेकिन उन्होंने खेती और नौकरी दोनों में दिन रात मेहनत की और किसी तरह बच्चों को पढ़ाया।
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कुलदीप ने 2009 में इलाहाबाद विश्विद्यालय से ग्रैजुएशन किया उसके बाद वहीं से पोस्ट ग्रैजुएशन भी पूरा किया। पीजी करने के बाद कुलदीप सिविल सर्विस की तैयारी में लग गए। उनके पास उस समय मोबाइल भी नहीं था। उनकी जरूरत को देखते हुए उनके पिता ने पैसे जुटाकर उनके लिए मोबाइल खरीदकर दी।
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साल 2015 में कुलदीप ने पहली बार सिविल सर्विस का एग्जाम दिया। वह पहली बार में ही सिलेक्ट हो गए। उन्हें 246 वीं रैंक मिली थी। उन्हें IRS ( इंडियन रिवेन्यू सर्विसेज ) के लिए सिलेक्ट किया गया। 2016 में वह ट्रेनिंग के लिए नागपुर चले गए। ट्रेनिंग पूरी होने के बाद कुलदीप की पहली पोस्टंग असिटेंट कमिश्नर इनकम टैक्स के रूप में हुई।
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कुलदीप के बड़े भाई लखनऊ में डेरी की दुकान चलाते हैं जबकि दूसरे भाई लखनऊ हाईकोर्ट में वकालत करते हैं। उनकी बहन दिल्ली में रहकर सिविल सर्विस की तैयारी कर रही है।
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