कोचिंग की 30 हजार फीस भरने के लिए पैरेंट्स को लेना पड़ा था लोन,अब बेटा है IPS
लखनऊ(Uttar Pradesh ). फरवरी में CBSE बोर्ड के साथ अन्य बोर्ड के एग्जाम भी स्टार्ट हो जाते हैं। इसके साथ ही बैंक, रेलवे, इंजीनियरिंग, IAS-IPS के साथ राज्य स्तरीय नौकरियों के लिए अप्लाई करने वाले स्टूडेंट्स प्रोसेस, एग्जाम, पेपर का पैटर्न, तैयारी के सही टिप्स को लेकर कन्फ्यूज रहते है। यह भी देखा जाता है कि रिजल्ट को लेकर बहुत सारे छात्र-छात्राएं निराशा और हताशा की तरफ बढ़ जाते हैं। इन सबको ध्यान में रखते हुए एशिया नेट न्यूज हिंदी ''कर EXAM फतह...'' सीरीज चला रहा है। इसमें हम अलग-अलग सब्जेक्ट के एक्सपर्ट, IAS-IPS के साथ अन्य बड़े स्तर पर बैठे ऑफीसर्स की सक्सेज स्टोरीज, डॉक्टर्स के बेहतरीन टिप्स बताएंगे। इस कड़ी में आज हम 2011 बैच के IPS और प्रतापगढ़ के SP अभिषेक सिंह के संघर्षों की कहानी बताने जा रहे हैं।
अभिषेक सिंह मूलतः यूपी के अम्बेडकरनगर के रहने वाले हैं। उनके पिता लखनऊ में वकालत करते थे इसलिए बचपन से ही अभिषेक सिंह की पढ़ाई लखनऊ में ही हुई। उनके एक बड़ी बहन भी है जो गवर्नमेंट जॉब में हैं।
अभिषेक सिंह ने बताया कि शुरुआत में मेरा मन पढ़ने में ज्यादा नहीं लगता था। लेकिन घर में अनुशासन काफी ज्यादा था। मेरे पिता अपने परिवार के पहले पढ़े-लिखे व्यक्ति थे। वह पढ़ाई के महत्व को बाखूबी समझते थे। एक बार बचपन में मुझे मां ने हिंदी में सुलेख लिखने को दिया था। मै कुछ देर बाद उससे इरीटेट हो गया और मैंने किताब ही उठाकर फेंक दी। जिसके बाद मेरी खूब पिटाई हुई।
धीरे-धीरे मै बड़ा हुआ जिसके बाद मैंने मैकेनिकल इंजीनियरिंग से बीटेक करना शुरू किया। मेरे परिवार के पास मेरी कोचिंग फीस भरने के भी पैसे नहीं थे। मुझे याद है उस समय मेरी फीस 30 हजार रूपए थी। लेकिन 30 हजार रूपए घर में नहीं थे। जिसके बाद मेरे पिता को लोन लेना पड़ा। जिसे वह चुका पाए।
मैकेनिकल इंजीनियरिंग के बाद मुझे एक आस्ट्रेलियाई कम्पनी में जॉब मिल गई। ये बात 2009 की है। उस समय मेरी सेलरी लगभग 15 लाख रूपए सालाना थी। मैंने कुछ दिन तो नौकरी की लेकिन मै अपने देश वापस आकर यहां पब्लिक के लिए काम करना चाहता था।
मैंने ये बात अपने पिता को बताई उन्होंने मेरा सपोर्ट किया और मुझे वापस आने को कह दिया। लेकिन यह डिसीजन काफी हार्ड था। 15 लाख की नौकरी छोड़ कर एक ऐसी चीज के लिए कोशिश करना जो कि काफी मुश्किल था। जहन में एक बात ये भी थी कि मेरे माता-पिता ने अपने कई सपनो को अंदर ही दबाए रखा ताकि मै अच्छे से पढ़ सकूं। मेरी पढ़ाई में कभी पैसा न आड़े आए। इसलिए तमाम बातें जेहन में थीं।
पिता जी ने मेरा हौसला बढ़ाया और मै वापस इंडिया आकर दिल्ली चला गया। वहां मै सिविल सर्विस की तैयारी में लग गया। मैने तैयारी के बाद दो एग्जाम एक दिए। एक कैट का और दूसरा यूपीएससी का। मै दोनों में सिलेक्ट हो गया। मुझे यूपीएससी में यूपी कैडर में IPS मिल गया था इसलिए मैंने IPS ज्वाइन कर लिया।
अभिषेक सिंह यूपी पुलिस के जांबाज अफसरों में शुमार किया जाते हैं। वह प्रतापगढ़ के SP से पहले लखनऊ STF के SSP रहे थे। उन्होंने कई दुर्दांत अपराधियों को पकड़ कर जेल की सलाखों के पीछे पहुंचाया है। प्रतापगढ़ में पोस्ट होने से पहले ही उन्होंने यहीं के एक खूंखार अपराधी को एनकाउंटर में मार गिराया था।