Success Story: हिंदी मीडियम से भी UPSC में पा सकते हैं सक्सेज, लेडी IAS ने दिए टिप्स

करियर डेस्क. UPSC Success Tips: दोस्तों, हर साल यूपीएससी की सिविल सेवा परीक्षा होती है। इस बार जून में प्रीलिम्स की परीक्षा होनी है। सैकड़ों कैंडिडेट्स इसकी तैयारी में जुटे हैं। सिविल सेवा परीक्षा में अंग्रेजी मीडियम के कैंडिडेट्स ज्यादा सफल होते हैं। ऐसा पिछले कुछ सालों के रिजल्ट में लगातार देखा जा रहा है। इसलिए कैंडिडेट्स हिंदी में परीक्षा देने से कतराते हैं। हालांकि बहुत से कैंडिडेट्स ने इस परीक्षा को न सिर्फ पास किया है बल्कि टॉप करके दिखाया है। ऐसे ही बिहार की ऋचा रत्नम ने हिंदी भाषा से सिविल सेवा परीक्षा देकर मेरिट लिस्ट में अपना अर्जित करवाया। हालांकि ऋचा के लिए हिंदी में परीक्षा देना एक कठिन सफर था क्योंकि हिंदी भाषा में UPSC का स्टडी मटेरियल मिल पाना काफी मुश्किल था। परन्तु ऋचा ने हार नहीं मानी और 4 असफल प्रयासों के बावजूद उन्होंने UPSC की तैयारी जारी रखी और 2019 में अपने लक्ष्य को प्राप्त किया। आइये जानते हैं ऋचा ने अपने इस कठिन सफर में किन किन चुनौतियों का सामना कर सफलता प्राप्त की- 

Asianet News Hindi | Published : Mar 23, 2021 10:23 AM IST / Updated: Mar 23 2021, 04:55 PM IST

17
Success Story: हिंदी मीडियम से भी UPSC में पा सकते हैं सक्सेज, लेडी IAS ने दिए टिप्स

ऋचा मूल रूप से बिहार के सीवान जिले की रहने वाली हैं। उन्होंने अपनी 10वीं तक की पढ़ाई हिंदी माध्यम से की है और 11वीं-12वीं की पढ़ाई अंग्रेज़ी मीडियम में सीवान के महावीर सरस्‍वती विद्या मंदिर से पूरी की। उनके पिता शैलेंद्र कुमार श्रीवास्‍तव जयप्रकाश विश्‍वविद्यालय छपरा में इतिहास के प्रोफेसर थे और अब सेवानिवृत हो गए हैं। 

27

ऋचा ने बेशक UPSC की परीक्षा में हिंदी माध्यम को चुना परन्तु उन्होंने अपनी B.Tech की डिग्री जयपुर के VIT कॉलेज से इंग्लिश मीडियम से पास की है। 

37

नोएडा रह कर की UPSC की तैयारी 

 

ऋचा बताती हैं की उन्होंने UPSC की तैयारी के शुरुआती दो साल कोलकाता में रह कर की। उस समय वह कोलकाता के एक मीडिया हाउस में जॉब करती थीं और उसके साथ साथ ही तैयारी भी कर रहीं थी। हालांकि वह पढ़ने के लिए पर्याप्त समय नहीं निकाल पाती थीं इसीलिए वह अपने पहले दो UPSC एटेम्पट में प्रीलिम्स परीक्षा भी पास नहीं कर पाई थीं। इसीलिए उन्होंने जॉब छोड़ कर नॉएडा में अपने भाई के घर रह कर तैयारी करने का फैसला किया। 

47

हिंदी मीडियम से दी UPSC Mains परीक्षा 

 

UPSC की मेंस परीक्षा में 9 पेपर होते हैं और इन सभी पेपर्स को किसी भी एक भारतीय संविधान में लिखी भाषाओँ या अंग्रेजी में दिया जा सकता है। अमूमन उम्मीदवार इस परीक्षा को अंग्रेजी में ही देते हैं क्योकि ज़्यादातर कोचिंग और स्टडी मटेरियल अंग्रेजी में ही उपलब्ध रहता है। परन्तु इंग्लिश मीडियम से B.Tech.करने के बावजूद ऋचा रत्नम ने इस परीक्षा को हिंदी मीडियम से दिया। अपने इस फैसले के बारे में ऋचा कहती हैं "मुझे लगता था कि हिंदी में मेरा ‘नेचुरल थॉट’ है। मेरे विचार हिंदी में अच्छी तरह सामने आ सकता है। मैं खुद को हिंदी माध्यम से अच्छी तरह अभिव्यक्त कर सकती हूं। इसीलिए मैंने  हिंदी भाषा से पेपर देने का फैसला किया। 

57

ऐसे की UPSC Prelims और Mains की तैयारी 

 

ऋचा कहती हैं की प्रीलिम्स के लिए उन्होंने NCERT और कुछ चुनिंदा खास किताबों को आधार बनाया। वह कहती हैं की "संसाधन को सीमित बनाना होगा, अन्‍यथा हम पढ़ते रह जाएंगे। मैंने पॉलिटी के लिए सिर्फ लक्ष्‍मीकांत को आधार बनाया, जो मेरे खयाल से पर्याप्त है।

 

प्रारंभिक परीक्षा में तथ्‍यों की बजाय कॉन्‍सेप्ट पर जोर दिया जाता है। अगर कॉन्‍सेप्‍ट स्‍पष्‍ट है, तो उत्‍तर आसानी से दिए जा सकते हैं। सीसैट का पेपर बेशक क्‍वालिफाइंग है, पर इसे हल्‍के में नहीं लेना चाहिए। हालांकि इससे डरने की जरूरत नहीं है। पीटी से 90 दिन पहले से मैंने सीसैट की नियमित तैयारी की। कॉम्पिहेंशन यानी परिच्छेद को समझना और उन पर आधारित सवालों के जवाब देना बहुत मुश्किल नहीं है।" 

67

मेंस परीक्षा के लिए ऋचा बताती हैं की अख़बार का एडिटोरियल कॉलम और तथ्यों के लिए करंट अफेयर्स का ज्ञान उनके काफी काम आया। वहीं निबंध पेपर के लिए GS पेपर्स के पढ़ाई काफी काम आई। शिक्षा, स्वास्थ्य, गरीबी आदि विभिन्न मुद्दों को अच्छी तरह समझने के लिए किताबों से काफी मदद मिली। वह बतातीं हैं की "पिछले वर्षों में पूछे गए निबंधों का वर्गीकरण करके इसे समझना आसान हो जाता है। मैं हर रविवार एक निबंध लिख कर अभ्‍यास करती थी। इससे लिखने का अच्छा अभ्यास हो जाता है।"

 

77

हिंदी भाषा के UPSC कैंडिडेट्एस के लिए ऋचा की सलाह  

 

ऋचा रत्नम का है कि कोचिंग की जरूरत किसी अभ्‍यर्थी को हो सकती है और किसी को नहीं। कोचिंग में केवल फाउंडेशन तैयार कराया जाता है। क्‍वालिटी कंटेंट हिंदी में उपलब्‍ध नहीं है। बहुत कम किताबें हैं, जिनका हिंदी में अनुवाद उपलब्ध है। इसके बावजूद भाषा कोई बाधा नहीं हो सकती। खुद को सीमित ना करें।

 

मॉक टेस्‍ट और आंसर राइटिंग का जमकर अभ्‍यास करें। इससे आपके सवाल छूटेंगे नहीं। पहले मेरे भी कुछ सवाल छूट गए थे। इससे मैंने यह सीखा कि हमें अभ्‍यास खूब करना चाहिए। इससे लिखने की गति आती है और परीक्षा भवन में प्रश्न छूटने की नौबत नहीं आती। मैंने अनावश्‍यक डायग्राम या ग्राफ नहीं बनाए। जहां जरूरी था, वहीं ऐसा किया।"

Share this Photo Gallery
click me!
Recommended Photos